लॉ की शिक्षा खुद कमजोर बुनियाद पर आधारित हो, तो इसका सीधा असर पूरे न्याय तंत्र पर पड़ेगा

बार-बार पूछे जा रहे हैं चुनिन्दा प्रश्न 

लॉ की शिक्षा खुद कमजोर बुनियाद पर आधारित हो, तो इसका सीधा असर पूरे न्याय तंत्र पर पड़ेगा

हर साल इन विश्वविद्यालयों में आयोजित होने वाली परीक्षाओं में देखने को मिल रहा है कि 10 में से 7-8 प्रश्न पिछले सालों के प्रश्नपत्र से रिपीट होते हैं।

जयपुर। वकालत का पेशा समाज में न्याय और अधिकारों की रक्षा का प्रतीक रहा है। वकील न केवल अदालतों में न्याय दिलाने का काम करते हैं, बल्कि समाज के नैतिक और संवैधानिक ढांचे को भी मजबूती प्रदान करते हैं। ऐसे में अगर लॉ की शिक्षा खुद कमजोर बुनियाद पर आधारित हो, तो इसका सीधा असर पूरे न्याय तंत्र पर पड़ेगा। राजस्थान विश्वविद्यालय और डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेजों में अब यह चिंता वास्तविकता का रूप लेती दिख रही है। यहां परीक्षा का स्तर इतना गिर गया है कि रट्टामार प्रणाली ने लॉ जैसी गंभीर शिक्षा को मात्र एक औपचारिक डिग्री प्राप्ति का साधन बना दिया है। लॉ कॉलेजों में पढऩे वाले छात्रों को परीक्षा पास करने के लिए अब किताबें या क्लास करने की जरूरत नहीं है। बस पिछले तीन से चार साल के प्रश्नपत्र हल कर लेना ही परीक्षा में सफल होने की गारंटी बन गया है। 

हर साल इन विश्वविद्यालयों में आयोजित होने वाली परीक्षाओं में देखने को मिल रहा है कि 10 में से 7-8 प्रश्न पिछले सालों के प्रश्नपत्र से रिपीट होते हैं। परीक्षा में पूछे जाने वाले अधिकांश प्रश्न पुराने प्रश्नपत्रों से हूबहू (कट-पेस्ट) दोहराए जा रहे हैं। परीक्षा में विद्याथिज़्यों को 10 में से सिफज़् 5 प्रश्न ही हल करना होता है। छात्रों के बीच यह चलन आम हो चुका है कि परीक्षा से कुछ दिन पहले पुराने हल किए गए पेपसज़् का रट्टा मार लो और निश्चिंत होकर परीक्षा दो। यह कोई एक-दो बार की बात नहीं है, बल्कि लगातार यही पैटनज़् चल रहा है। इसमें छात्रों को सफलता भी मिल रही है। प्रश्नपत्र बनाने वाली समितियों की निष्क्रियता भी इस स्थिति को बढ़ावा दे रही है। चिंताजनक पहलू यह है कि पेपर सेट करने वाली टीम की तरफ से भी किसी तरह के सुधार की कोशिश नहीं की जा रही। प्रश्नपत्र बनाने की प्रक्रिया में न कोई नयापन है, न ही किसी मौलिक सोच को शामिल किया जा रहा है।

प्रश्नपत्र तैयार करने की क्या है प्रक्रिया?
बोडज़् ऑफ स्टडीज (बीओएस) में 5 लोगों की टीम होती है जो सिलेबस से लेकर प्रश्नपत्र तैयार करवाने के लिए जिम्मेदार होती है। बीओएस के संयोजक प्रश्नपत्र तैयार करने वाले प्रोफेसरों के नाम की सिफारिश करते हैं। एक विषय के लिए तीन प्रोफेसरों का नाम चुना जाता है। ये तीन लोग किसी भी सरकारी कॉलेज, गैरसरकारी कॉलेज और विश्वविद्यालय के हो सकते हैं। ये तीन लोग एक ही विषय के तीन प्रश्नपत्र तैयार करते हैं। इसके बाद लॉटरी सिस्टम से किसी एक प्रश्नपत्र का चयन किया जाता है। प्रश्नपत्र चयन करने से लेकर परीक्षा सेंटर तक पहुंचाने की प्रक्रिया गोपनीय होती है।  

राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रश्नपत्र रिपीट
राजस्थान विवि द्वारा साल 2024 में आयोजित एल.एल.बी सेकंड ईयर के पब्लिक इंटरनेशनल लॉ एंड ह्यूमन राइट्स विषय में 10 में से 8 सवाल पिछले साल के रिपीट थे। लेबर लॉ विषय में 7 सवाल पिछले साल के प्रश्नपत्र से पूछे गए थे। एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ विषय में 6 सवाल रिपीट थे। प्रोफेशनल एथिक्स बार बेंच रिलेशन एंड मूट कोटज़् विषय में भी 8 सवाल रिपीट थे। द लॉ रिलेटिंग टू ट्रांसफर ऑफ प्रॉपटीज़् एंड ईसमेंट विषय में 5 सवाल पिछले साल के रिपीट थे। कंपनी लॉ विषय में भी 5 सवाल पिछले साल से रिपीट थे। 

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बीआर अंबेडकर लॉ यूनिवसिज़्टी में भी सवाल हुए रिपीट
डॉ. भीमराव अंबेडकर लॉ यूनिवसिज़्टी द्वारा साल 2024 में आयोजित एल.एल.बी थडज़् ईयर के लॉ ऑफ एविडेंस विषय में 10 में से 6 सवाल पिछले साल के प्रश्नपत्र से पूछे गए थे। लैंड लॉ विषय में भी 6 सवाल रिपीट थे। कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर विषय में 5 सवाल रिपीट थे। एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ एंड राइट टू इनफॉमेज़्शन एक्ट विषय में 5 सवाल रिपीट थे। ड्राफ्टिंग प्लीडिंग एंड कन्वेयंस विषय में 5 सवाल रिपीट थे। इंटरप्रेटेशन ऑफ स्टेट्स एंड प्रिंसिपल्स ऑफ लेजिस्लेशन विषय में 4 सवाल रिपीट थे।

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इस मुद्दे को समझने के लिए हमने राजस्थान विश्वविद्यालय के लॉ डिपाटज़्मेंट के डीन डॉ. गोविंद सिंह राजपुरोहित से खास बातचीत की।
सवाल: विद्याथीज़् अगर पिछले 3-4 साल का प्रश्नपत्र पढ़ लेते हैं तो छात्र आसानी से परीक्षा पास कर जाएंगे। क्योंकि 10 में से 7-8 सवाल ऐसे हैं, जो पिछले साल के प्रश्नपत्र से रिपीट है।   
जवाब: मैं आपके इस बात से सहमत नहीं हूं। विश्वविद्यालय के सक्षम प्रोफेसरों द्वारा पेपर तैयार किया जाता है और वे अपने विषय के विशेषज्ञ होते है। पेपर सेटर को इस बात की पूरी स्वतंत्रता होती है कि वो उस विषय के किस पाटज़् से कौन सा सवाल बनाना चाहते है। 

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सवाल: कुछ सवाल तो हूबहू कट-पेस्ट करके पूछे गए हैं, इस पर आपका क्या कहना है? 
जवाब: पेपर सेट करने वाले लोग सभी वरिष्ठ प्रोफेसर होते है। कोई भी प्रोफेसर कट-पेस्ट करे यह मेरी समझ से बाहर है। लॉ का सारांश एक होता है। इसलिए सवाल वहीं से जनरेट होता है तो जवाब लगभग सेम हो सकता है। कट-पेस्ट का सवाल ही नहीं उठता। 

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