चारदीवारी के अवैध निर्माण करें ध्वस्त : हाईकोर्ट ने निगम उपायुक्तों पर भी कार्रवाई के दिए निर्देश, कहा- 2 माह में पूरी की जाएं कार्रवाई
ढिलाई बरतने की अनुमति नहीं दी जा सकती
अदालत ने निगम आयुक्त को कहा है कि संबंधित उपायुक्त और जिन अधिकारियों से नोटिस देने के बाद कार्रवाई नहीं की, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर की चारदीवारी के भीतर हुए अवैध निर्माणों पर कार्रवाई के बजाए नगर निगम की ओर से समय-समय पर सिर्फ नोटिस जारी करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि जिन भवन मालिकों को अवैध निर्माण के नोटिस जारी किए जा चुके हैं, उन बिल्डिंगों को स्थाई रूप से सील कर दो माह में ध्वस्त करने की कार्रवाई पूरी की जाए। अदालत ने निगम आयुक्त को कहा है कि संबंधित उपायुक्त और जिन अधिकारियों से नोटिस देने के बाद कार्रवाई नहीं की, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए।
डीएलबी सचिव आदेश की पालना सुनिश्चित करें
अदालत ने कहा है कि यदि इन अफसरों को तबादला भी हो चुका है तो डीएलबी सचिव आदेश की पालना सुनिश्चित करें। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने यह आदेश जितेन्द्र कुमार साधवानी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
पूरी चारदीवारी के भीतर अवैध इमारतें बनी
अदालत ने कहा कि नगर पालिका अधिनियम के प्रावधानों के तहत निगम के अधिकारियों के पास कार्रवाई करने की शक्तियां हैं। इसके बावजूद उन्होंने समय-समय पर अंतिम नोटिस के नाम पर कागजी कार्रवाई की और उसके बाद प्रभावी कदम नहीं उठाया। अदालत ने कहा कि नगर निगम की ओर से प्रभावी कदम नहीं उठाने से पूरी चारदीवारी के भीतर अवैध इमारतें बन गई हैं। अवैध बिल्डिंग पूरे शहर और समाज के लिए खतरा बन गई है। इसने चारदीवारी के विरासत मूल्यों को बर्बाद कर दिया है। निगम की इस कार्य प्रणाली से अन्य लोग भी अवैध निर्माण के लिए प्रोत्साहित होते हैं। ऐसे में अधिकारियों को इन अवैध निर्माणों पर आंख मूंदकर बैठने और नोटिस जारी करने के 6 माह बाद भी ढिलाई बरतने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

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