108 दीपकों की आरती से माता की सन्धि पूजा हुई।
28 वर्षों से जय क्लब प्रांगण में दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन कर रही
22 अक्टूबर महाष्टमी को प्रातः माता की आरती और पुष्पांजली के पश्चात फल प्रसादी का वितरण किया गया तत्पश्चात महिलाओं ने महाअष्टमी पूजा की इसमें महिलाएं माता को फल, मिठाई, सिन्दूर
रयपुर। शास्त्रों में दुर्गा पूजा का एक अलग ही महत्व है शास्त्रों के अनुसार इस समय मां दुर्गा अपने बच्चों मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय के साथ अपने पीहर आती हैं और इसी समय मां दुर्गा, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय की विधिवत पूजा की जाती है।
इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए प्रोबासी बेंंगाली कल्चरल सोसायटी पिछले 28 वर्षों से जय क्लब प्रांगण में दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन कर रही है। सोसायटी के अध्यक्ष डॉ एस के सरकार ने बताया कि पांच दिवसीय दुर्गा पूजा महोत्सव में बच्चों के लिए आकर्षक झूले और विभिन्न प्रकार के स्टॉल लगाए गए हैं।
डॉ एस के सरकार ने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को जोड़ना और हमारी आगामी पीढ़ी को संस्कृति की पहचान करवाना ही सोसायटी का मुख्य उद्देश्य है। पांच दिवसीय इस पर्व में 22 अक्टूबर महाष्टमी को प्रातः माता की आरती और पुष्पांजली के पश्चात फल प्रसादी का वितरण किया गया तत्पश्चात महिलाओं ने महाअष्टमी पूजा की इसमें महिलाएं माता को फल, मिठाई, सिन्दूर और आलता चढ़ाती हैं।
पंगत प्रसादी में खिचड़ी मिक्स सब्जी टमाटर की चटनी और खीर बांटी गई। सांयकाल 5 बजे संधि पूजा हुई। संन्धि पूजा को दुर्गा पूजा की सबसे महत्वपूर्ण पूजा माना जाता है।
पौराणिक मान्यताओं अनुसार यह वही समय होता है जब अष्टमी समाप्त होकर नवमी प्रारंभ होती है और इसी समय मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इस पूजा में मां दुर्गा का श्रृंगार करके 108 दीपकों से आरती की गई और एक कद्दू एक केला और एक गन्ने की बलि दी गई। इसके बाद प्रतिदिन की भांति विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।
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