रिश्वत प्रकरण में एमएलए पटेल की जमानत अर्जी खारिज, विधानसभा में उठाए गए सवालों को वापस लेने के बदले मांगी घूस
ऐसे में उसे जमानत दिया जाना उचित नहीं है
वह मौजूदा एमएलए है और मामले के अनुसंधान को प्रभावित कर सकता है। मामले में अनुसंधान लंबित है। ऐसे में उसे जमानत दिया जाना उचित नहीं है।
जयपुर। एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम 1 ने विधानसभा में उठाए गए सवालों को वापस लेने के बदले रिश्वत लेने से जुड़े प्रकरण में बागीदौरा के एमएलए जयकृष्ण पटेल की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। पीठासीन अधिकारी सुरेन्द्र कुमार ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी पर ढाई करोड़ रुपए रिश्वत की मांग कर एक संगठित गिरोह बनाकर पहली किस्त के तौर पर 20 लाख रुपए की रकम लेने और उसे खुर्द-बुर्द करने का आरोप है। यह मामला गंभीर है और उसे जमानत देने से समाज पर गलत संदेश जाएगा। वह मौजूदा एमएलए है और मामले के अनुसंधान को प्रभावित कर सकता है। मामले में अनुसंधान लंबित है। ऐसे में उसे जमानत दिया जाना उचित नहीं है।
आरोपी एमएलए की ओर से जमानत अर्जी में कहा गया कि जिन सवालों को वापस लेने की बात कही जा रही है, वह विधानसभा सत्र समाप्त हो चुका था। ऐसे में उसके पास परिवादी का कोई काम लंबित नहीं था और न ही वह सक्षम था। शिकायतकर्ता ने परिवाद में 2.50 लाख रुपए की राशि बताई है, लेकिन उस पर 2.50 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप है। अर्जी में कहा गया कि उसकी ओर से रिश्वत राशि को मौके पर बीस फीट दूर खडे भाई को देने की बात कही है, लेकिन भाई को तभी अभिरक्षा में नहीं लिया गया और उसे घर पहुंचने तक अभिरक्षा में क्यों नहीं लिया गया। प्रार्थी प्रतिष्ठित व्यक्ति व एमएलए है और उसके फरार होने की कोई संभावना नहीं है। इसलिए उसे जमानत दी जाए। इसके विरोध में एसीबी की विशेष लोक अभियोजक शालिनी गौतम व शिकायतकर्ता के अधिवक्ता गौरीशंकर खंडेलवाल ने बताया कि मामले में किए गए अनुसंधान से स्पष्ट है कि आरोपी ने करौली जिले स्थित खानों के सही नहीं चलने के संबंध में लगाए गए प्रश्नों को डिलीट करने के लिए 2.50 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी और पहली किस्त 20 लाख रुपए दलालों के जरिए ली। मामले में अनुसंधान जारी है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनकर आरोपी एमएलए की जमानत अर्जी खारिज कर दी।

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