मोहर्रम आज, मातमी धुनों के बीच शाम को निकलें ताजिए

हर ताजिए की अपनी खासियत

मोहर्रम आज, मातमी धुनों के बीच शाम को निकलें ताजिए

खुशहाली व सम्पन्नता की कामना के साथ ताजिए पर बनाया पीपल

जयपुर। इस्लामिक साल के पहले महीने में मनाया जाने वाला मोहर्रम यौमे ए आशूरा आज मनाया गया। मोहर्रम से एक दिन पहले सोमवार को कत्ल की रात में मातमी धुनों के साथ ताजियों का जुलूस निकाला। दसवें दिन मंगलवार को यौम ए आशूरा पर कर्बला में ताजियों को सुपुर्द खाक किया । सुबह शिया समाज की ओर से जंजीरी मातम मनाते हुए अलम के साथ दुलदुल की सवारी निकाली गई। इसके बाद सब कर्बला पहुंचे। राजधानी में आज करीब 300 से अधिक ताजिए कर्बला में आज सुपुर्द ए खाक हुएं।

हर ताजिए की अपनी खासियत
सेंट्रल हिलाल कमेटी के कंवीनर और राजस्थान चीफ काजी खालिद उस्मानी ने समाजजनों से सौहार्द कायम रखने की अपील की।इस मौके पर अकीदतमंद रोजे रखकर इबादत करेंगे। मोहर्रम के मौके पर निकलने वाले ताजियों को बनाने का काम परकोटे समेत अन्य जगहों पर लगभग पूरा हो चुका है। इस बीच अलग अलग आकार में किसी मोहल्ले का बड़ा ताजिया नजर आ रहा है तो किसी का छोटा या मंझोला।

 खुशहाली व सम्पन्नता की कामना के साथ ताजिए पर बनाया पीपल
पन्नीगरों के मौहल्ले में ताजिया बनाने वाले मोहम्मद असलम ने बताया कि कोरोना के पहले से बनाना शुरू किया था, परिस्थितियों के कारण काम अटका भी रहा मगर पूरी तैयारी के साथ 22 फुट का ताजिया परिजनों की मदद से तैयार किया है। लागत चार लाख रुपए आई है। पीपल के पेड़ का डिजाइन ताजिए में उकेरा है। उन्होंने बताया कि पेड़ ताजा हवा देने का स्त्रोत है। इसे आस्था के रुप देखा जाता है इसलिए हमने अपने ताजिए में 200 रुपए किलो से लेकर 500 रुपए किलो तक की अभ्रक लगाई है जिससे ताजिया भारी बन गया है।

ताजिए के साथ चला मुल्क की शान तिरंगा
ताजिया बनाने वाले हाजी अब्दुल लतीफ ने अपने ताजिए पर जौहरी बाजार स्थित जामा मस्जिद और मोती डूंगरी स्थित मस्जिद को बारीक काम के साथ बनाया है। उन्होंने बताया कि भारत देश के हम वासी है और मुल्क पर गर्व का अहसास कराने के लिए इस बार ताजिया के साथ तिरंगा लेकर निकलें।| 

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दरगाह मौलाना साहब के नायब सज्जादा नशीन बादशाह मियां ने बताया के मोहर्रम के 2 दिन रोजा रखे जाते हैं ।ताजिए हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मनाया जाता है,और उसके साथ मातम भी किया जाता है ।पूरे 10 दिन मजलिसों का दौर रहता है मजलिस में मैदान ए कर्बला का बयान बताया जाता है ।उन्होंने बताया 9 मोहर्रम को कत्ल की रात मनाई जाती है यानी 10 तारीख को हजरत इमाम को शहीद कर  दिया गया ।उन्होंने बताया इस महीने में 2 दिन के रोजे भी रखे जाते हैं 9 और10 मोहर्रम या 10 और11मोहर्रम के रोज़े रखे जाते है उन्होंने बताया इस महीने में पानी की छबीले लगाई जाती है शर्बत बनाया जाता है  और दस्तरखान वासी कर अपने रिस्तेदारो दोस्तो को दावत दी जाती है।

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