डॉक्टरों और स्टाफ की लापरवाही ने ली सचिन की जान, चढ़ा दिया था गलत ब्लड ग्रुप का रक्त, परिजन करवाई की मांग पर अड़े 

दो बार होती है ब्लड ग्रुप की जांच

डॉक्टरों और स्टाफ की लापरवाही ने ली सचिन की जान, चढ़ा दिया था गलत ब्लड ग्रुप का रक्त, परिजन करवाई की मांग पर अड़े 

राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल सवाई मानसिंह (एसएमएस) में भर्ती मरीज के गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने के बाद आज सुबह युवक सचिन की आईसीयू में मौत हो गई है।

जयपुर। राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल सवाई मानसिंह (एसएमएस) में भर्ती मरीज के गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने के बाद आज सुबह युवक सचिन की आईसीयू में मौत हो गई है। इसके बाद परिजनो में आक्रोश है और उन्होने शव लेने से इंकार करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। वही  एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल ने इस मामले की जांच के लिए एक बोर्ड बनाया है। वहीं हॉस्पिटल प्रशासन ने मरीज के इलाज के लिए भी अलग से मेडिकल बोर्ड का गठन किया है। हालांकि हॉस्पिटल प्रशासन अब भी ये बात नहीं बता पा रहा है कि गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने में गलती कहां और किससे हुई है।

आपको बता दें कि एसएमएस हॉस्पिटल के ट्रोमा वार्ड में 12 फरवरी को सचिन शर्मा नाम के युवक को रोड एक्सीडेंट के बाद इलाज के लिए भर्ती करवाया था। भर्ती के बाद ऑपरेशन के लिए मरीज को ब्लड की जरूरत बताई गई। मरीज के परिजनों को पर्ची देकर ब्लड लाने के लिए कहा। ट्रॉमा सेंटर स्थित ब्लड बैंक से परिजनों को एबी पॉजिटिव ब्लड और प्लाज्मा दे दिया गया। ब्लड चढ़ाने के बाद मरीज का ट्रोमा में ऑपरेशन करने के बाद उसे प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट में शिफ्ट किया। यहां जब मरीज को दोबारा ब्लड की जरूरत पड़ी तो डॉक्टरों ने फिर से पर्ची बनाकर दी। पर्ची बनाकर देने के बाद जब मरीज के परिजन ब्लड लेकर पहुंच तो ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव (O+) बताते हुए ब्लड दिया गया। इसे जब वार्ड के डॉक्टरों ने देखा तो पूरा मामला सामने आया। इस घटना के बाद मरीज की स्थिति बिगड़ गई और दोनों किडनी खराब हो गई।  

दो बार होती है ब्लड ग्रुप की जांच
डॉक्टरों के मुताबिक वार्ड में भर्ती मरीज का ब्लड मंगवाने से पहले मरीज के ब्लड और ब्लड बैंक में रखे ब्लड की जांच होती है। दोनों का ग्रुप मैच करके ही मरीज को चढ़ाने की कार्यवाही की जाती है। 

ये होती है ब्लड बैंक से ब्लड रीलिज होने की प्रक्रिया
डॉक्टरों ने बताया कि किसी भी वार्ड में भर्ती मरीज को ब्लड की रिक्वायमेंट होने पर रेजीडेंट डॉक्टर ब्लड बैंक की पर्ची पर लिखकर ब्लड की डिमांड करता है। इस पर्ची के साथ डॉक्टर उस मरीज का ब्लड सैंपल वॉयल में लेता है और उसे मरीज के परिजन या हॉस्पिटल का स्टाफ को देकर ब्लड बैंक भेजता है। ब्लड बैंक आने पर व्यक्ति पर्ची के साथ सैंपल का वॉयल भी बैंक में जमा करवाता है। 

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यहां बैंक में सैंपल की जांच की जाती है और ब्लड का ग्रुप निकाला जाता है। उसके बाद जिस ग्रुप का ब्लड होता है उस ग्रुप का ब्लड बैग बैंक से निकाला जाता है और उस बैग में रखे ब्लड का सैंपल लेकर उसका क्रॉस चैक किया जाता है कि बैग में रखा ब्लड और बैग में चिपकी पर्ची पर लिखा ग्रुप एक ही है। क्रॉस मैच होने के बाद ब्लड मरीज के परिजन या हॉस्पिटल स्टाफ को दिया जाता है।

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