पीसीसी संगठन में रखेगी केवल ‘हिनहिनाते घोड़े’ बैठकों में अनुपस्थिति रहेगी निष्क्रियता का पैमाना
एससी-एसटी, ओबीसी वोट बैंक खिसके
लगातार तीन या ज्यादा बैठकों में बिना कोई सूचना के अनुपस्थित रहने वालों को निष्क्रिय मानकर कार्रवाई की जाएगी।
जयपुर। राजस्थान कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ धरातल पर संघर्ष करने के लिए ब्लॉक स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाकर केवल सक्रिय पदाधिकारियों को ही रखने की कवायद तेज कर दी है। विधानसभा प्रभारियों की रिपोर्ट के बाद संगठन बैठकों में लगातार अनुपस्थित रहने वालों को पद से मुक्त करके केवल धरातल पर सक्रिय रहने वालों को ही पार्टी में पद मिलेगा। यह कवायद पहले भी शुरू की जा चुकी है, लेकिन सिफारिशी सीट से नहीं हिल पाए। इस बार कवायद की मॉनिटरिंग खुद कर रहे पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा जल्दी ही बड़े बदलावों का दावा कर रहे हैं। कांग्रेस का राजस्थान में धरातल तक बड़ा जनाधार हुआ करता था और परपंरागत वोट बैंक में कोई भी पार्टी सेंधमारी नहीं कर पाती थी। पिछले कुछ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के परपंरागत वोट बैंक भी खिसके तो पार्टी रणनीतिकारों ने चिंता जताते हुए पार्टी को धरातल पर फिर से मजबूत करने की जरूरत बताई।
कांग्रेस को अहसास हो गया कि अब केवल हिनहिनाते हुए घोड़ों से ही पार्टी रफ्तार पकड़ पाएगी। पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा ने हाल ही में नवनियुक्त 200 विधानसभा प्रभारियों की बैठक लेकर उन्हें सभी विधानसभा क्षेत्रों में धरातल पर कांग्रेस की वास्तविक रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। साथ ही, संगठन के निचले स्तर तक लोगों से फिर से जुड़ाव बढ़ाने के लिए सिफारिशी की जगह सक्रिय कार्यकर्ताओं को संगठन में मौका देने की कवायद शुरू की। अब ब्लॉक स्तर से लेकर जिला और प्रदेश स्तर तक प्रभारियों की रिपोर्ट के आधार पर निष्क्रिय व सिफारिशी पदाधिकारियों को हटाकर स्थानीय वरिष्ठ नेताओं की राय के आधार पर सक्रिय कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाएगा।
निष्क्रियों की होगी छंटनी
प्रभारी ब्लॉक और जिला स्तर पर बैठकें कर लगातार संगठन बैठकों में अनुपस्थित रहने वाले पदाधिकारियों का रिकॉर्ड जुटाएंगे। बिना सूचना के लगातार तीन या अधिक बैठकों में अनुपस्थित रहने वाले पदाधिकारियों का हाजिरी रजिस्टर के माध्यम से रिकॉर्ड पीसीसी मंगाया जाएगा। अभी प्रभारियों के माध्यम से अप्रैल और मई महीने का रिकॉर्ड भी इकट्ठा किया जाएगा। निष्क्रियों की छंटनी के साथ ही जिलों के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर सक्रिय कार्यकर्ताओं के नाम भी पीसीसी लेकर पदों पर नियुक्ति करेगी।
एससी-एसटी, ओबीसी वोट बैंक खिसके
ग्रामीण क्षेत्रों में एससी-एसटी, ओबीसी जातिवर्ग के लोग कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक माने जाते थे। पिछले कुछ विधानसभा और लोकसभा चुनाव में संगठन नेताओं के फील्ड में लोगों के बीच सक्रिय नहीं रहने के कारण ये वोट बैंक भी खिसकने लग गया। लोगों के बीच सक्रिय नहीं रहने वाले नेताओं की वजह से कांग्रेस का दिल्ली, यूपी, एमपी, हरियाणा जैसे राज्यों में भी वोट प्रतिशत घटा है। पार्टी रणनीतिकारों का कहना है कि कुछ सक्रिय लोग विधायक या सांसद टिकट मिलने से पहले पार्टी के लिए बड़े बड़े दावे करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद लोगों के बीच जाना ही बंद कर देते हैं तो लोगों का पार्टी से जुड़ाव टूट जाता है। संगठन में अब ऐसे जनप्रतिनिधियों की लिस्ट भी तैयार की जाएगी।
पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव जल्द
लगातार तीन या ज्यादा बैठकों में बिना कोई सूचना के अनुपस्थित रहने वालों को निष्क्रिय मानकर कार्रवाई की जाएगी। प्रभारियों के माध्यम से इनका हाजिरी रिकॉर्ड ऑनलाइन मंगाया जा रहा है। पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बहुत जल्दी बड़े बदलाव करने वाले हैं।
-गोविन्द सिंह डोटासरा,
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष
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