कृषि उपज मंडी व्यापारियों का धरना प्रदर्शन, सरकार को ज्ञापन सौंपकर यूज़र चार्ज को तत्काल वापस लेने की मांग

यूज़र चार्ज के प्रभाव और तर्क

कृषि उपज मंडी व्यापारियों का धरना प्रदर्शन, सरकार को ज्ञापन सौंपकर यूज़र चार्ज को तत्काल वापस लेने की मांग

राजस्थान सरकार द्वारा 13 अगस्त 2025 को जारी एक आदेश के तहत कृषि उपज मंडी प्रांगण में व्यापार करने पर 0.50 प्रतिशत यूज़र चार्ज लगाए जाने के विरोध में प्रदेशभर के कृषि उपज मंडी व्यापारियों ने गहरा असंतोष व्यक्त किया। मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर इस यूज़र चार्ज को तत्काल वापस लेने की मांग। मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि यह नया शुल्क किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं, तीनों के हितों के प्रतिकूल है, इसलिए इसे राज्य और जनता के हित में तत्काल निरस्त किया जाए।

जयपुर। राजस्थान सरकार द्वारा 13 अगस्त 2025 को जारी एक आदेश के तहत कृषि उपज मंडी प्रांगण में व्यापार करने पर 0.50 प्रतिशत यूज़र चार्ज लगाए जाने के विरोध में प्रदेशभर के कृषि उपज मंडी व्यापारियों ने गहरा असंतोष व्यक्त किया है। मंडी व्यापारियों ने इस निर्णय के विरोध में बुधवार को धरना प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर इस यूज़र चार्ज को तत्काल वापस लेने की मांग की है। व्यापारियों ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि यह नया शुल्क किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं, तीनों के हितों के प्रतिकूल है, इसलिए इसे राज्य और जनता के हित में तत्काल निरस्त किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि यह 'काला कानून' वापस नहीं लिया जाता है, तो प्रदेशभर के मंडी व्यापारी संगठित होकर आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

यूज़र चार्ज के प्रभाव और तर्क
व्यापारियों के अनुसार, सरकार द्वारा लगाया गया यह यूज़र चार्ज केवल मंडी प्रांगण में होने वाले व्यापार पर लागू किया गया है। इससे मंडी के अंदर वस्तुएँ महंगी हो जाएंगी और व्यापारियों का कारोबार बुरी तरह प्रभावित होगा। जब वस्तुएँ महंगी बिकेंगी तो ग्राहक मंडी से दूरी बना लेंगे, जिससे सरकार को किसी प्रकार की अतिरिक्त आय भी नहीं होगी। उन्होंने आशंका जताई कि इस निर्णय से मंडियों में भ्रष्टाचार बढ़ेगा और निरीक्षक राज पुनः शुरू हो जाएगा। व्यापारियों ने यह भी बताया कि पिछले 60-70 वर्षों में इस प्रकार का कोई शुल्क पहले कभी नहीं लगाया गया था, जबकि सरकार को अब तक टैक्‍सों के माध्यम से पर्याप्त राजस्व मिलता रहा है।

व्यापारियों पर पहले से ही कई करों का बोझ
व्यापारियों ने बताया कि वे पहले से ही मंडी टैक्स (1.60 प्रतिशत), कल्याण सेस (0.50 प्रतिशत), दुकान किराया, यू.डी. टैक्‍स, जी.एस.टी. और इनकम टैक्स जैसे अनेक करों का वहन कर रहे हैं। मंडियों में मुख्य रूप से कृषि से जुड़े खाद्य पदार्थ जैसे तेल, दाल, चीनी आदि का व्यापार होता है, जिन पर पहले ही मंडी टैक्स वसूला जा रहा है।

रोजगार और मंडी व्यवस्था पर खतरा
व्यापारियों का कहना है कि मंडी व्यापारियों का कार्य मुख्य रूप से खरीफ और रबी के सीजन में दो महीनों के लिए ही सक्रिय रहता है, और वे सीमित व्यापार के माध्यम से अपनी आजीविका चलाते हैं। इस व्यापार से सैकड़ों कर्मचारियों, मुनीमों और पल्लेदारों को रोजगार मिलता है।
व्यापारियों ने चिंता व्यक्त की कि यदि यूज़र चार्ज लागू होता है, तो केवल बाय-प्रोडक्ट्स का व्यापार होगा, और ऐसी देसी मंडियाँ जहाँ किसानी माल आता है, वहाँ से यह यूज़र चार्ज लागू होने पर व्यापारी पूरी तरह बेरोजगार हो जाएंगे।

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'भाजपा समर्थक' व्यापारियों की अनदेखी
व्यापारियों ने यह भी उल्लेख किया कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय में भी ऐसा प्रयास किया गया था, तब भाजपा ने व्यापारी हित में इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि वे भाजपा समर्थक हैं और वर्षों से पार्टी के साथ मन-धन से जुड़े रहे, इसलिए सरकार को उनके हितों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यह निर्णय लागू रहने पर स्थानीय व्यापारी हाशिया पर चले जाएंगे और विदेशी कंपनियाँ तथा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इसका लाभ उठा लेंगे। इसका परिणाम प्रदेश में बेरोजगारी और महंगाई दोनों में वृद्धि होगा तथा मंडियों का स्वरूप नष्ट हो जाएगा।
ये व्यापारी नेता थे उपस्थित 
रामचरन नाटाणी (अध्यक्ष)
अविनाश जैन (मंत्री)
सतीश वागडीवाल (सहमंत्री)
राजधानी उपज कृषि मंडी एवं थोक ठाकुरिया (अध्यक्ष)
सूरजपोल मंडी
प्रदीप अग्रवाल - अध्यक्ष, मोहना खाद्य पदार्थ संघ

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