राजस्थान कार्डियोलॉजी समिट- 2025 का समापन : बीपी की दवा बार-बार बदलने से जीवन में अधिक जोखिम
ऐसी स्थिति में दवा बीपी को काबू करने में नाकाम साबित होती
ब्लड प्रेशर की दवा अगर बार-बार बदलनी पड़ें या मरीज उन्हें अनियमित रूप से लें तो यह स्थिति साधारण हाइपरटेंशन को खतरनाक रेजिस्टेंट हाइपरटेंशन में बदल सकती है।
जयपुर। ब्लड प्रेशर की दवा अगर बार-बार बदलनी पड़ें या मरीज उन्हें अनियमित रूप से लें तो यह स्थिति साधारण हाइपरटेंशन को खतरनाक रेजिस्टेंट हाइपरटेंशन में बदल सकती है। ऐसी स्थिति में दवा बीपी को काबू करने में नाकाम साबित होती हैं और मरीज को हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, किडनी फेलियर जैसी जानलेवा जटिलताओं का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। राजस्थान कार्डियोलॉजी समिट- 2025 के समापन के अवसर पर देशभर से आए विशेषज्ञों ने इस गंभीर स्थिति को लेकर आगाह किया।
विशेषज्ञों ने बताया कि हाई बीपी से ग्रसित लगभग 15 प्रतिशत मरीज अब रेजिस्टेंट हाइपरटेंशन की चपेट में आ रहे हैं। ऑर्गेनाइजिंग सेटरी डॉ. संजीब रॉय ने बताया कि राजस्थान कार्डियोलॉजी फाउंडेशन, सीके बिड़ला हॉस्पिटल और राजस्थान मेडिकल काउंसिल की ओर से आयोजित कॉन्फ्रेंस के दोनों दिनों में हाइपरटेंशन समेत कई पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया। रॉय ने बताया कि कुछ मरीज नियमित रूप से दवाएं नहीं लेते, कुछ बिना डॉक्टर की सलाह के बार-बार ब्रांड या डोज बदलते हैं। यह आदत धीरे-धीरे रेजिस्टेंट हाइपरटेंशन की ओर ले जाती है। इस स्थिति में हार्ट की अंदरूनी संरचना पर असर पड़ता है, वाल्व डैमेज हो सकते हैं और मरीज की जान पर जोखिम बढ़ जाता है। अगर बीपी लंबे समय तक नियंत्रण में नहीं आ रहा है तो उसके लिए नई तकनीक रीनल डिनिर्वेशन आ गई है।

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