एसआई पेपर लीक मामला : पिता ने पेपर खरीदकर अपने जेईएन बेटे को पढ़वाकर बनाया एसआई, बेटा गिरफ्तार
सिद्धार्थ की एसआई परिणाम में 59 रैंक आई थी
राजेन्द्र शुरू में 20 अगस्त 2021 से परीक्षा सह प्रभारी व बाद में वर्ष 2022 से परीक्षा प्रभारी का काम देखता था।
जयपुर। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने फरार चल रहे बेटे सिद्धार्थ यादव को गिरफ्तार किया है, जबकि पिता राजेन्द्र यादव को पूर्व में गिरफ्तार किया जा चुका है। पिता ने ही लीक पेपर खरीदकर बेटे को पढ़वाया था। अब एसओजी टीम रिमाण्ड पर पूछताछ कर रही है। सिद्धार्थ की एसआई परिणाम में 59 रैंक आई थी। एसओजी एडीजी वीके सिंह ने बताया कि उप-निरीक्षक संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा-2021 के सम्बन्ध में दर्ज मुकदमे में आरोपित सिद्धार्थ यादव पुत्र राजेन्द्र कुमार यादव निवासी कुमावत कॉलोनी खातीपुरा रोड झोटवाड़ा, हाल पदस्थापित जेईएन (विद्युत) सार्वजनिक निर्माण विभाग बारां को 16 दिसम्बर को गिरफ्तार किया गया। इसे 20 दिसम्बर तक रिमांड पर सौंपा है।
ऐसे पढ़वाया पेपर
एडीजी सिंह ने बताया कि सिद्धार्थ के पिता राजेन्द्र मेजर दिग्विजय सिंह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय खातीपुरा जयपुर में अध्यापक के पद पर कार्यरत था। राजेन्द्र शुरू में 20 अगस्त 2021 से परीक्षा सह प्रभारी व बाद में वर्ष 2022 से परीक्षा प्रभारी का काम देखता था। राजेन्द्र का परिचित राजेश खण्डेलवाल रविन्द्र बाल भारती सीनियर सैकण्डरी स्कूल शांतिनगर हसनपुरा जयपुर में अकाउन्टेंट है। यूनिक भाम्बू उर्फ पंकज चौधरी, शिवरतन मोट, राजेश खण्डेलवाल ने मिलकर उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा 2021 का पेपर लीक किया। राजेन्द्र ने अपने गैंग के सदस्यों यूनिक भाम्बू, जगदीश विश्नोई एवं शिवरतन मोट से मिलीभगत कर अपने बेटे सिद्धार्थ यादव के लिए पेपर लिया और 15 सितम्बर को आयोजित एसआई परीक्षा में परीक्षा पूर्व पेपर पढ़वा दिया। इसके बाद सिद्धार्थ का एसआई में चयन हो गया।
ज्वॉइन नहीं करने दिया
एसआई मामले में सिद्धार्थ के पिता राजेन्द्र कुमार यादव, जगदीश विश्नोई एवं शिवरतन मोट एवं राजेश खण्डेलवाल को एसओजी पूर्व में गिरफ्तार कर चुकी है। ये वर्तमान में न्यायिक हिरासत में चल रहे हैं। राजेन्द्र के बेटे सिद्धार्थ यादव इस परीक्षा में मेरिट संख्या 59 पर चयनित हुआ। राजेन्द्र को भनक लग गई कि सिद्धार्थ भी गिरफ्तार हो सकता है, ऐसे में उसने सिद्धार्थ को एसआई के पद पर आरपीए में ज्वॉइन नहीं करने दिया। सिद्धार्थ अपने पूर्व की राजकीय सेवा कनिष्ठ अभियन्ता पर कार्य करता रहा। पिता के गिरफ्तार होने के बाद सिद्धार्थ फरार हो गया था।
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