छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने को लेकर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब : मूलभूत अधिकार को किसी कानून या कोर्ट आदेश से छीना नहीं जा सकता
विश्वविद्यालय के प्रत्येक छात्र को अपना प्रतिनिधि चुनने का संवैधानिक अधिकार है
कमेटी की सिफारिश के अनुसार सत्र शुरु होने के छह से आठ सप्ताह के भीतर छात्रसंघ चुनाव होने चाहिए।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने आरयू के छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन से एक अगस्त तक जवाब मांगा है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश छात्र जय राव की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए। याचिका में अधिवक्ता शांतनु पारीक ने बताया कि विश्वविद्यालय के प्रत्येक छात्र को अपना प्रतिनिधि चुनने का संवैधानिक अधिकार है। अपने प्रतिनिधि के माध्यम से ही विद्यार्थियों की समस्याएं प्रशासन तक पहुंचती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी केरल विश्वविद्यालय के मामले में इसे मूलभूत अधिकार माना है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट कर चुका है कि मूलभूत अधिकार को किसी कानून या कोर्ट आदेश से छीना नहीं जा सकता। वहीं लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के तहत हर साल छात्रसंघ चुनाव कराए जाने चाहिए। कमेटी की सिफारिश के अनुसार सत्र शुरु होने के छह से आठ सप्ताह के भीतर छात्रसंघ चुनाव होने चाहिए। याचिका में कहा गया कि विवि ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के आधार पर कोड ऑफ कंडक्ट बना रखा है और यदि उसकी अवहेलना होती है तो कार्यवाही का प्रावधान भी किया गया है। इसके बावजूद विवि प्रशासन की ओर से ही इस कमेटी की सिफारिशों को नहीं माना जा रहा।

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