खुद के साथियों के साथ भी दगा करने से नहीं चूकती पुलिस
मामला प्रदेश में पुलिस एनकाउंटर में मौत का शिकार हुए गैंगस्टर आनंदपाल के भाई रूपिन्दर सिंह उर्फ विक्की से जुड़ा है।
जयपुर। पुलिस की मिलीभगत या लापरवाही से या तो अपराधी पुलिस के चंगुल से बच निकलते हैं या फिर कोर्ट से बरी हो जाते हैंं। मामला प्रदेश में पुलिस एनकाउंटर में मौत का शिकार हुए गैंगस्टर आनंदपाल के भाई रूपिन्दर सिंह उर्फ विक्की से जुड़ा है।
जयपुर। पुलिस की मिलीभगत या लापरवाही से या तो अपराधी पुलिस के चंगुल से बच निकलते हैं या फिर कोर्ट से बरी हो जाते हैंं। मामला प्रदेश में पुलिस एनकाउंटर में मौत का शिकार हुए गैंगस्टर आनंदपाल के भाई रूपिन्दर सिंह उर्फ विक्की से जुड़ा है। एसओजी में सीआई रहे सूर्यवीर सिंह ने रूपेन्दर के खिलाफ सिविल लाइन्स थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें कोर्ट से पीडि़त सीआई के बयान जारी कराने के लिए तीन बार वारंट जारी हुए लेकिन पुलिस ने अलग-अलग बार दो बार बहाने लगाकर वारंट तामील नहीं कराए। इस कारण कोर्ट में पीडि़त के बयान नहीं हुए, जिससे कोर्ट ने विक्की को बरी कर दिया। इसके बाद सीआई सूर्यवीर सिंह के एडवोकेट अभिषेक पाराशर ने एडीजी-३ अजमेर कोर्ट में पैरवी की और पूर्व में दिए आदेश का अपास्त कराया। अब वापस उसी कोर्ट में सूर्यवीर सिंह, अमरचंद और सत्यनारायण के बयान कराए जाएंगे।
यह था मामला
पांच सितम्बर २०१७ को करीब सवा तीन बजे एसओजी के पुलिस निरीक्षक सूर्यवीर सिंह, एएसआई शिव सिंह कोर्ट के आदेश पर अजमेर हाई सिक्योरिटी जेल में बंद रूपेन्द्रपाल सिंह उर्फ विक्की को पूछताछ के लिए लेने पहुंचे थे। बंदी को सुपूर्द करने के लिए कारागृह के मेन गेट पर बुलाया गया एवं बंदी की सघन तलाशी ली गई। इसके बाद राजकार्य कर रहे सीआई सूर्यवीर सिंह के पीछे से तेज वार कर दिया। इस पर तुरंत एएसआई शिवसिंह, सूर्यवीर सिंह सीआई, गार्ड अमरचन्द, सत्यनारायण, तेजकरण तिवाड़ी मुख्य प्रहरी अवतार सिंह हैड कांस्टेबल आरएएसी ने रूपेन्द्रपाल को पकड़ लिया। रूपेन्द्रपाल ने सूर्यवीर सिंह को जमकर गालियां दीं और कहा कि तूने मेरे भाई आनन्दपाल सिंह को मारा है मैं तुङो और तेरे परिवार व बच्चों को जिन्दा नहीं छोडूंगा। इसकी रिपोर्ट थाना सिविल लाइन्स में दर्ज हुई और आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
वारंट नहीं कराए तामील
कोर्ट में इस केस की सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने तीन बार पीडि़त सूर्यवीर सिंह बयान के लिए वारंट जारी किए। संबंधित पुलिसकर्मी ने दो बार बहाना लगाया कि समय पेशी नजदीक होने के कारण वारंट तामील नहीं हुए। तीसरी बार बहाना लगाया कि सीआई सूर्यवीर सिंह का एसओजी से तबादला हो गया, ऐसे में तामील नहीं कराए गए। इसके अलावा रूपेन्द्र का आपराधिक रिकॉर्ड भी साथ में पेश नहीं किया वहीं पीडि़त का राज्यकर्मचारी होने का रिकॉर्ड भी नहीं दिया। ऐसे में कोर्ट से रूपेन्द्र बरी हो गया।
अभियोजन विभाग ने नहीं की पैरवी
इस प्रकरण में अभियोजन विभाग की भी घोर लापरवाही सामने आई। रूपेन्द्र के बरी होने के बाद पीडि़त ने अभियोजन अधिकारियों से पैरवी करने के लिए कहा लेकिन किसी ने नहीं सुनी। इसके बाद खुद सूर्यवीर सिंह ने ऊपरी कोर्ट में पैरवी की, जिसके आधार पर अब वापस उसी कोर्ट में बयान दर्ज होंगे और आगे की कार्रवाई होगी।
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