शिक्षक पदोन्नति में टेट की अनिवार्यता एवं अल्पसंख्यक संस्थानों पर प्रभाव का विस्तृत विश्लेषण हो : शर्मा
प्रभावित शिक्षकों की संख्या और कम
टेट की अनिवार्यता केवल कक्षा एक से आठ तक पढ़ने वाले शिक्षकों के लिए ही अनिवार्य है कक्षा 9 से 12 पढ़ाने वाले वरिष्ठ अध्यापक एवं व्याख्याता के लिए टेट की बाध्यता नहीं है।
जयपुर। शिक्षकों को पदोन्नति के लिए टेट की अनिवार्यता के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ ने प्रतिक्रिया दी है। प्रदेशाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने कहा है कि राज्य में 2011 के बाद टेट लागू हो गया था । ऐसे में 2005 ,2008 तथा 2010 की बड़ी भर्तियों से पहले 1998 के पूर्व लगे तृतीय श्रेणी शिक्षकों कि अगर संख्या देखें तो करीब एक लाख शिक्षक प्रभावित होंगे और उन्हें टेट की अनिवार्यता से गुजरना पड़ेगा ।( गौरतलब है कि 1999 से 2004 तक राजस्थान में तृतीय श्रेणी की कोई भर्ती नहीं निकल गई)। 55 वर्ष से अधिक आयु के शिक्षक अगर पदोन्नति नहीं चाहेंगे तो टेट की अनिवार्यता नहीं होगी, ऐसे में प्रभावित शिक्षकों की संख्या और कम होगी।
टेट की अनिवार्यता केवल कक्षा एक से आठ तक पढ़ने वाले शिक्षकों के लिए ही अनिवार्य है कक्षा 9 से 12 पढ़ाने वाले वरिष्ठ अध्यापक एवं व्याख्याता के लिए टेट की बाध्यता नहीं है। भविष्य में राज्य सरकारों, शिक्षा बोर्डों और शैक्षणिक संस्थानों को मिलकर काम करना होगा ताकि इस निर्णय का क्रियान्वयन प्रभावी ढंग से किया जा सके और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके। इसके लिए उपलब्ध संसाधनों एवं प्रशिक्षण सुविधाएं और विशेष कार्य योजना की आवश्यकता होगी। यह निर्णय भारतीय शिक्षा के इतिहास में एक मील के पत्थर के रूप में याद किया जाएगा।

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