सुसाइड समस्या का हल नहीं, खुद करनी होगी अपनी मदद
जेकेके में हास्य नाटक द सुसाइड का मंचन
कोई राजनीतिक प्रतिनिधि है तो कोई धर्मगुरु तो कोई सामाजिक संगठन का व्यक्ति सब सैम की मौत को भुनाने की सोचते हैं।
जयपुर। जवाहर कला केंद्र की पाक्षिक नाट्य योजना के अंतर्गत हास्य नाटक द सुसाइड खेला गया। युवा नाट्य निर्देशक सैफ अंसारी के निर्देशन में होने वाले नाटक की कहानी निकोलाई एर्डमन ने लिखी है जिसका नाट्य रुपांतरण मैड वन थिएटर ट्रस्ट ने किया है। यह नाटक ऐसे महत्वाकांक्षी युवा की कहानी पर आधारित है जो अपने सपने पूरा करना चाहता है, हताशा मिलने पर वह आत्महत्या का विचार करता है लेकिन जब लोग उसकी मौत का भी फायदा उठाने की सोचते है तो वह संतोष पूर्ण जीवन की ओर बढ़ता है। नाटक में हास्यात्मक व्यंग के जरिए लोगों के स्वार्थपूर्ण रवैये पर कटाक्ष किया गया है। जयपुर में पहली बार हुए इस नाटक का मुख्य पात्र सैम जो अपनी पत्नी और सास के साथ रहता है। दोनों ही महिलाएं कामकाजी है, अपने भविष्य और काम को लेकर सैम अभी भी चिंतित है। इसी बीच म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट टुबा बजाने की इच्छा उसके मन में प्रकट होती है। इस काम में भी असफल होना उसे इस कदर अखरता है कि वह सुसाइड करने की सोचता है। पत्नी और सास के ताने आग में घी का काम करते हैं। मुझे सिर्फ सत्ता नहीं सताती, तुम भी सताती हो, मेरी मौत का तुम्हें बड़ा अफसोस होगा, मेरी कब्र की एक झलक पाने को तुम्हें लंबी-लंबी कतारों से गुजरना होगा। सैम सोचता है कि सभी समस्याओं का अंत अब सुसाइड ही है। सैम का पड़ोसी एलेक्स इस बात का फायदा उठाता है और अलग-अलग वर्ग के लोगों से सैम की जान का सौदा कर बैठता है।
कोई राजनीतिक प्रतिनिधि है तो कोई धर्मगुरु तो कोई सामाजिक संगठन का व्यक्ति सब सैम की मौत को भुनाने की सोचते हैं। इसके बदले में एलेक्स सभी से धन भी ले लेता है। यह सभी लोग सैम को अपने लिए जान देने को उकसाते है जिससे वह उसकी मौत का खुद के लिए महिमा मंडन कर सके। सैम स्थिति को भांपते हुए मरने का नाटक करता है। सभी लोग सैम की आलोचना करते हैं और अपनी योजना पर पानी फिरने से माथा पीटते हैं। सभी की सच्चाई सैम के सामने आती है तो उसे जिंदगी का महत्व पता लगता है, सुसाइड नहीं मुझे खुद ही करनी होगी अपनी मदद इसी भावना के साथ वह सामान्य जीवन की ओर अग्रसर होता है।
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