15 लाख की आबादी, 4300 लाख लीटर पानी सप्लाई

शहर की प्रतिदिन डिमांड से 1300 लाख लीटर पानी ज्यादा दे रहा अकेलगढ़

15 लाख की आबादी,  4300 लाख लीटर पानी सप्लाई

लोगों को शुद्ध पानी मुहैया करवाने के लिए सरकार बिजली, मशीन मेंटिनेंस, क्लोरिन, बिलिचिंग, एलम सहित कर्मचारियों व अधिकारियों की तनख्वाह पर करोड़ों रूपए खर्च कर रही है।

कोटा। जल ही जीवन, यह तीन शब्द स्लोगन नहीं बल्कि जिंदगी का वो सार है। जिस पर पूरी दुनिया टिकी है। पृथ्वी पर 70 प्रतिशत पानी है लेकिन पीने योग्य महज 3 प्रतिशत ही है। दुनिया जल संकट से जूझ रही है, इसके बावजूद हम पानी का मोल नहीं समझ रहे। चंबल की गोद में बसा कोटा भी प्यासा है। जबकि, शहर को अपनी जरूरत से डेढ़ गुना करोड़ों लीटर शुद्ध पानी रोजाना मिल रहा है, फिर भी यहां लोगों के हलक सूखे हैं। आज विश्व जल दिवस है, सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक रोजमर्रा के काम में कितना पानी हम बर्बाद कर रहे, इस पर आत्मचिंतन की जरूरत है। 

4300 लाख लीटर पानी की प्रतिदिन हो रही सप्लाई
जलदाय विभाग के दोनों पम्प हाउस से कोटा शहर को प्रतिदिन 4 हजार 300 लाख लीटर पानी की सप्लाई की जा रही है। जिसमें अकेलगढ़ से 300 एमएलडी और मिनी अकेलगढ़ से 130 एमएलडी पानी दिया जाता है। लोगों को शुद्ध पानी मुहैया करवाने के लिए सरकार बिजली, मशीन मेंटिनेंस, क्लोरिन, बिलिचिंग, एलम सहित कर्मचारियों व अधिकारियों की तनख्वाह पर करोड़ों रूपए खर्च कर रही है। तभी, घरों तक पानी पहुंच रहा है। इसके बावजूद शहरवासी पानी का महत्व नहीं समझ रहे। एक रिसर्च के मुताबिक एक समान्य परिवार दिनभर में करीब 750 लीटर पानी रोजमर्रा के काम में बर्बाद कर देता है। जबकि, यह वो पानी है, जिसका इस्तेमाल पीने व खाना बनाने में नहीं किया जाता है।

3 हजार लाख लीटर पानी की प्रतिदिन डिमांड
शहर की 15 लाख आबादी को प्रतिदिन 3 हजार लाख लीटर पानी की डिमांड रहती है। जिसके मुकाबले अकेलगढ़ पम्प हाउस 4 हजार 300 लाख लीटर पानी की सप्लाई कर रहा है। इसके बावजूद अंतिम छोर पर जल संकट गहरा रहा है। लोगों को पीने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। क्योंकि, हैड क्षेत्र में बसे लोग पानी का दुरूपयोग कर रहे हैं। जिसकी वजह से जल डिस्टीब्यूशन गड़बड़ा रहा है। नतीजन, अंतिम छोर पर जल संकट गहरा रहा है। शहर के प्रेम नगर, डीसीएम, कंसुआ, रायपुरा, थेकड़ा, छावनी, संजय नगर, कोटड़ी, बजरंग नगर, बोरखेड़ा क्षेत्र, देवली अरब सहित कई इलाके ऐसे हैं जो पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। लोगों को आत्मचिंतन की जरूरत है, यदि वे पानी को व्यर्थ होने से बचाएं तो टेल तक पानी पहुंच सकता है।

एक्सपर्ट व्यू 
घरों में यूं होता है पानी बर्बाद
- घरों में साधारण नल से एक मिनट में 9 लीटर पानी बहता है। ऐसे में कोई व्यक्ति नल खोलकर टूपब्रश करने का आदि है और वह इस काम में एक मिनट का समय लगाता है तो 9 लीटर पानी बर्बाद कर देता है। वह जितना समय लगाएगा उतना ही पानी बर्बाद होता रहेगा। 
- टॉयलेट में प्लश से एक बार में लगभग लगभग 15 से 20 लीटर पानी फ्लश होता है। ऐसे में व्यक्ति दिनभर में 5 बार फ्लश का इस्तेमाल करता है तो वह 100 लीटर पानी व्यर्थ कर चुका होता है। 
- 4 लोगों के समान्य परिवार में अगर एक साधारहण वॉशिंग मशीन है, तो उसमें एक बार में 30 लीटर पानी इस्तेमाल होता है। ऐसे में कपड़े धोने के लिए तीन बार मशीन का उपयोग होता है तो 90 लीटर पानी बर्बाद हो जाएगा। 
- किसी परिवार के पास कार है और उसे धोने के लिए पाइप का उपयोग करता है तो एक बार में ही करीब 400 लीटर पानी बर्बाद हो जाएगा। 
- घरों व दहलीज की सफाई के लिए पाइप द्वारा धोया जाता है तो करीब 250 लीटर से अधिक पानी व्यर्थ हो जाता है। 

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आदतें बदले तो यूं बचा सकते हैं पानी 
- ब्रश करते वक्त नल बंद रखें तो एक मिनट में बर्बाद होने वाला 9 लीटर पानी को बचाया जा सकता है। 
- टॉयलेट में वाटर सेविंग फ्लश लगवाकर पानी व्यर्थ होने से बचाया जा सकता है। यह तकनीक जापान में कई सालों से उपयोग की जा रही है। इससे एक बार में ही 18 से 20 लीटर पानी बचाया जा सकता है। 
- वॉशिंग मशीन के इस्तेमाल के दौरान ज्यादा से ज्यादा कपड़े एक बार में  ही धोने की कोशिश करें। इससे पानी की खपत 50 प्रतिशत तक कम हो सकती है। 
- कार वॉशिंग को पाइप की बजाए बाल्टी में पानी लेकर कपड़े से साफ करें तो एक बार में 400 लीटर पानी बर्बाद होने से बचा सकते हैं। 
- टपकते नलों को ठीक करवाकर भी पानी को व्यर्थ होने से बचाया जा सकता है। क्योंकि, घर में किसी नल से एक सैंकड में एक बूंद पानी भी टपकता है तो महीनेभर में लगभग एक हजार लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। 
- पीने के पानी के लिए, घर में पानी की टीडीएस यानी टोटल डिवाल्स  सोलिस की मात्रा 250 से कम है तो आरओ न लगवाएं। यदि यह मात्रा अधिक है तो आरओ से बह रहे बेकार पानी को पौधोें में डालने या धुलने में इसका इस्तेमाल कर उपयोग में लिया जा सकता है। 

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समझें पानी का मोल 
संयुक्त राष्टÑ संघ ने पानी का महत्व समझाने के लिए पहली बार 22 मार्च 1993 को जल दिवस मनाया था, तभी से यह परम्परा जारी है।  हर साल जल दिवस पर पानी बचाने की बात तो करते हैं लेकिन अपनी आदतों को नहीं बदलते। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक एक समान्य परिवार के पानी की खपत देखें तो दिनभर में 750 लीटर से अधिक पानी बर्बाद कर देते हैं। यह उस पानी की मात्रा है, जिसका इस्तेमाल पीने या खाना बनाने में नहीं किया जाता है।                  
 - लियाकत अली खान, शिक्षक

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अमृत 2.0 योजना में बन रहे दो फिल्टर प्लांट
शहरवासी पानी को अमृत समझे और सद्ुपयोग करें। टपकते नलों को तुरंत ठीक करवाकर पानी बचाएं। वर्तमान में दूरस्थ इलाकों में कॉलोनियां तो बस रही हैं लेकिन वहां पानी की सप्लाई के लिए अभी तंत्र विकसित नहीं हुए हैं। हालांकि, स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत यूआईटी द्वारा श्रीनाथपुरम में 50 एमएलडी और सकतपुरा में 70 एमएलडी के दो फिल्टर प्लांट बनाए जा रहे हैं। जिनके अप्रेल में शुरू होने की संभावना है। दोनों प्लांट के प्रारंभ होने के बाद 120 एमएलटी उत्पादन बढ़ेगा। जिससे जलापूर्ति में काफी सुधार होगा।
 -श्याम माहेश्वरी, एक्सईएन जलदाय विभाग  

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