हो रहे हादसे, मवेशी से सड़क दुर्घटना तो मामला दर्ज क्यों नहीं!

गायों को सड़क पर छोड़ने वालों को जेल और जुर्माना क्यों नहीं

हो रहे हादसे, मवेशी से सड़क दुर्घटना तो मामला दर्ज क्यों नहीं!

आमजन को लावारिस विचरण करने वाले पालतू पशुओं के आंतक से राहत देने के लिए राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन विभाग ने नए गोपालन नियम लागू तो कर दिए लेकिन शहर में यह मूर्तरूप नहीं ले रहे है। जिससे शहर में सड़को पर अभी लावारिस मवेशी घूम रहे है।

कोटा। कैटल फ्री सिटी का सपना अभी साकार नहीं हो पा रहा है। मुख्य कारण पशु मालिकों पर कठोर कानून लागू नहीं किए जा रहे है। निगम की ओर से जुर्माना देकर ही पशुओं छोडने का नियम होने से शहर कैटल फ्री नहीं हो पा रहा है। रेलवे में जहां ट्रेक पर पशुओं के आने पर उनके मालिकों पर केस और जुर्माना के साथ सजा के प्रावधान है वैसे ही कड़े नियम शहर की सड़कों पर विचरण वाले पशुओं के मालिकों लागू करें तो निश्चित ही शहर कैटल फ्री बन सकता है। शहरवासियों का कहना है कि पशुओं से होने वाली दुर्घटना रोकने के लिए नगर निगम की ओर से कड़े  नियम और सजा के प्रावधान लागू करने पर ही शहर कैटल फ्री बन सकता है। 

नए नियमों में ये शर्तें भी शामिल जिनकी नहीं हो रही पालना
- गाय या भैंस बांधने के स्थान का पशु घर के रूप में 1 हजार रुपए चुकाकर लाइसेंस लेना होगा। बिना लाइसेंस चारा बेचा तो जुर्माना भरना पड़ेगा।
- पशु लावारिस घूमता मिला तो प्रति पशु 500 रुपए परिवहन और 100 रुपए प्रतिदिन चारे के वसूले जाएंगे।
- लाइसेंसशुदा पशु के सड़क या बाहर मिलने पर पहली बार 5 हजार और दूसरी बार 10 हजार जुर्माना लगेगा।
- शहरों में सार्वजनिक स्थान पर रिजका, चारा की बिक्री नहीं कर सकेंगे। बिना लाइसेंस चारा बेचने पर 500 रुपए जुर्माना  लगेगा।
- हर साल 31 मार्च को लाइसेंस की अवधि खत्म होगी, 1 अप्रैल को शुल्क देकर नया लाइसेंस लेना होगा।
- पशु घर 100 वर्गगज का रखने के साथ 200 वर्गफीट तक कवर करना, 250 वर्गफीट तक खुला रखना जरूरी होगा।
- पशुघर के ऊपर कोई मकान आदि रहवासी स्थान नहीं बना सकेंगे।
- पशुघर में गड्ढा बनाकर गोबर-मूत्र आदि एकत्र करना होगा और गंदगी पाए जाने पर 5000 रुपए जर्माना लगेगा।
- 95 फीसदी आबादी पर होगा नए नियमों का असर जिन लोगों के मकान 500 वर्गमीटर से बड़े होंगे, वे ही 100 वर्गगज जमीन एक गाय बछड़े के लिए अलग रख सकते हैं। शहरों में 500 वर्गमीटर से बड़े आवासों वाले लोग 5% भी नहीं हैं। यानि 95% आबादी गाय-भैंस नहीं खरीद सकता है। 

सजा के प्रावधान को शामिल करने पर ही मिलेगी लावारिस पशुओं से राहत
आमजन को लावारिस विचरण करने वाले पालतू पशुओं के आंतक से राहत देने के लिए राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन विभाग ने नए गोपालन नियम लागू तो कर दिए लेकिन शहर में यह मूर्तरूप नहीं ले रहे है। जिससे शहर में सड़को अभी लावारिस मवेशी घूम रहे है। रेलवे ट्रेक पर किसी पशु पालक पशु आता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सजा और जुर्माने का प्रावधान है। ऐसा ही नियम सड़का पर विचरण करने वाले पशु मालिकों पर लागू होना चाहिए। नये गोपालन नियम के तहत पशु मालिक को पाबंद करना होता है, ताकि पड़ोस में रहने वालों को गोबर-मूत्र आदि से कोई परेशानी न हो। नए नियमों के जरिए प्रदेश के 213 शहरों में गाय- भैंस पाली जा सकेगी। साथ रोड पर पशु दिखाई देने पर जुर्माना और सजा के प्रावधान भी लागू किए हुए लेकिन कोटा नगर निगम की ओर से पशुओं को पकड़ने पर परिवहन का ही जुर्माना वसुला जाता है। जिससे पशु पालक बेहिचक रोड पर पशुओं को छोड़ देते है। 

पशु मालिक के खिलाफ पीड़ित पक्ष अनुच्छेद 226 के तहत कर सकता है केस
नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना सरकार और स्थानीय प्रशासन की लीगल ड्यूटी है। अगर गाय या किसी अन्य जानवर के हमले से दुर्घटना या किसी के जीवन को संकट पैदा होता है, तो यह उसके मौलिक अधिकारों का हनन है। लिहाजा पीड़ित पक्ष अनुच्छेद 226 के तहत सीधे हाईकोर्ट और अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट में केस कर सकता है।  इसके अलावा निचली अदालत में भी केस किया जा सकता है।  सड़कों पर हमला करने वाले बेल, गाय और डॉग का अगर हमला करने वाले जानवर का कोई मालिक है, तो पीड़ित पक्ष उसके खिलाफ क्रिमिनल या सिविल केस कर सकता है।  अगर गाय, कुत्ता या फिर किसी अन्य जानवर के मालिक के खिलाफ सिविल केस किया जाता है तो कोर्ट पीड़ित पक्ष को मुआवजा दिलवाता है। वहीं, क्रिमिनल केस में आरोपी को दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई जाती है और जुर्माना लगाया जाता है। 
- प्रतिमा दीक्षित, अधिवक्ता कोटा 

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पशु मालिक के खिलाफ हो पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज
दूध निकालने के बाद अब गोवंश को छोड़ने वालों को जेल  भेजने चाहिए। अगर पशु मालिक के पशु सड़क पर दिखते हैं तो उनके खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया कराकर। इसमें छह महीने तक की सजा और 50 हजार  रुपए जुमार्ना का प्रावधान लागू करने से ही शहर केटल फ्री हो सकता है। प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी ऑन एनिमल्स एक्ट (पीसीए) 1960 के मुताबिक किसी पशु को आवारा छोड़ने पर तीन महीने की सजा का प्रावधान है। उसको कड़ाई से लागू करें तो सड़कों पर लावारिस घुमने वाले मवेशियों पर अंकुश लग सकता है। सड़कों पर घुमने वाले अधिकांश पशुओं पर पशु पालन विभाग की ओर से दस अंक वाला यूनिक कोड टेक लगा रखा जिससे मालिक पता चल सकता है। उस पर मुकदमा दर्ज करने में आसानी होगी। निगम की ओर से शहर रोड पर बैठने वाले पशुओं को चिंहित कर उनके मालिकों खिलाफ मुकदमा दर्ज करना चाहिए।
- रवि सिंह, निजी बस संचालक कोटा

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पशुपालकों के लिए नए नियम लागू कर दिए
राजस्थान के शहरी क्षेत्रों में पशुपालकों के लिए नए नियम लागू कर दिए गए हैं। इन नियमों के मुताबिक प्रदेश के 213 शहरों में एक ही गाय या भैंस पाली नियम बनाया है। इसके लिए भी कम से कम 100 वर्गगज जमीन अलग तय कर निगम या पालिका से लाइसेंस लेना प्रावधान किया है। स्वायत्त शासन विभाग ने नए गोपालन नियम लागू कर दिए हैं। इसके तहत पशु मालिक को पाबंद किया गया है कि पड़ोस में रहने वालों को गोबर-मूत्र आदि से कोई परेशानी न हो। उसके बावजूद कोटा शहर इन नियमों की पालना नहीं हो रही है। 
- कुंदन चीता, संयोजक, हाड़ौती किसान आंदोलन 

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मुआवजे के लिए केस कर सकते हैं
अगर आवारा गाय या जानवर ने आप पर हमला कर दिया है, तो आप सरकार और स्थानीय प्रशासन, नगर निगम के खिलाफ मुआवजे के लिए केस कर सकते हैं। आईपीसी की धारा 289 में ये प्रावधान किया गया है कि किसी भी पालतू जानवर की किसी भी हरकत के लिए उसका मालिक जिम्मेदार होगा।  यहां तक कि अगर जान बूझकर किसी ने ऐसा किया है और उसके पालतू जानवर ने किसी को जानलेवा नुकसान पहुंचाया है।  इसके बाद अगर पीड़ित थाने में जाकर मुकदमा दर्ज करवाता है, तो पालतू जानवर के मालिक को धारा 289 के तहत 1 हजार रुपए जुर्माना या 6 महीने की सजा या फिर दोनों भुगतना पड़ सकता है। पीड़ित पक्ष को दो तरह से उपचार प्राप्त हैं। 
- अमर सिंह, अधिवक्ता कोटा 

पालतू पशु यदि सड़क पर घूमता हुआ मिलता है तो उस पशु पालक के खिलाफ पेनल्टी का प्रावधान है। यह बॉयलॉज कोटा में भी लागू है। सड़कों पर लावारिस हालत में घूमने वाले पशुओं को पकड़कर गौशाला मे लाया जा रहा है। छोड़ने पर जुर्माना भी काफी अधिक किया गया है। इसके अलावा शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए यूआईटी की देव नारायण योजना बन गई है। वहां पशुओ व पशुपालकों को शिफ्ट किया जा रहा है।
- राजपाल सिंह, आयुक्त, नगर निगम कोटा दक्षिण

सड़क पर अवारा पशुओं के बारे में कार्रवाई करने का अधिकार नगर निगम का है। पुलिस तो केवल ट्रक आदि में ठूंस-ठूंस कर भरे जाने वाले जानवरों के मामले में पशु क्रूरता अधिनियम में मुकदमा दर्ज करती है और आरोपियों को गिरफ्तार करती है। आवारा घूमने वालों के खिलाफ कार्रवाई नगर निगम करता है।
- अमर सिंह राठौड़, डिप्टी एसपी कोटा सिटी 

घरों में पालने वाले पशुओं के लिए राज्य सरकार ने बायलॉज बना रखा है। पालतू पशु यदि सड़क पर घूमता हुआ मिलता है तो उस पशु पालक के खिलाफ पेनल्टी का प्रावधान है। यह बॉयलॉज कोटा में भी लागू है। लेकिन अभी तक इस प्रावधान के तहत कितने पशु पालकों पर जुर्माना किया गया इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन सड़कों पर लावारिस हालत में घूमने वाले पशुओं को पकड़कर गौशाला मे लाया जा रहा है। छोड़ने पर जुर्माना भी काफी अधिक किया गया है। इसके अलावा शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए यूआईटी की देव नारायण योजना बन गई है। वहां पशुओं व पशु पालकों को शिफ्ट किया जा रहा है।
- राजपाल सिंह, आयुक्त, नगर निगम कोटा दक्षिण

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