अफोर्डेबल हाउस:10 साल में ही पड़ने लगी दरारें, दीवारों पर उग आए पेड
हादसे के डर से बाहर बैठना भी नहीं कर पा रहे कॉलोनी निवासी
जिसका कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा दीवारों में सीलन की भी समस्या कॉलोनी के निर्माण के समय से ही बनी हुई है। हर बारीश के मौसम में दीवारों में सीलन होती है जिससे बदबू भी बनी रहती है।
कोटा। किसी परिवार के लिए एक घर उसकी सारी जिंदगी की कमाई होती है जिसे वो बड़े अरमानों के साथ सजाता और संवारता है। वहीं सरकार भी रियायती दामों पर आवासीय योजनाएं बनाकर ऐसे लोगों की मदद करती है जो खुद से मकान बनाने में अक्षम होते हैं। इसी तरह साल 2013 में नगर विकास न्यास द्वारा शहर के कंसुआ ईलाके में करीब 1 हजार फ्लैट की अर्फोडेबल आवसीय याजना बनाई ताकि मकान बनाने में अक्षम लोगों अपनी खुद की छत मिल सके। लेकिन इस आवासीय योजना की हालत अभी से खस्ता होने लगी है। मात्र 10 साल के बाद ही इस योजना में बनी बिल्डिंग की दीवारों में दरारें पड़ने के साथ ही प्लास्टर उखड़ने लगा है। इसके अलावा इसमें बनी सीवरेज लाइन का पानी भी सड़क पर आने लगा है। लोग हजारों लाखों रुपए खर्च करके अपने फ्लैटों की मरम्म करवा रहे हैं। वहीं इमारतों से हर समय प्लास्टर गिरने की संभावना बनी रहती है।
इमारतों में उगे पेड़ बना रहे दरारें
1 हजार से ज्यादा फ्लैटों की इस कॉलोनी की ईमारतों की तीसरी व चौथी मंजिलों पर पेड़ उग आए हैं। जो समय के साथ बड़े हो रहे हैं और इमारतों की दीवारों में दरारें पैदा कर रही हैं जो दीवारों के साथ साथ इमारत को भी कमजोर कर रही हैं। दीवारों में पेड़ उगने की घटना इमारत को बनाने में उपयोग की गई निर्माण सामग्री पर सवाल खड़ा करती है। वहीं इमारतों की दीवारों का प्लास्टर भी कमजोर होकर आए दिन गिरता है। कॉलोनी में रहने वालों का कहना है कि दीवारों पर पेड़ जब शुरू में उगने लगे तो हमने कटवा दिए लेकिन दीवार के अंदर पेड़ के बीज होने से ये फिर उग आते हैं। जिसका कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा दीवारों में सीलन की भी समस्या कॉलोनी के निर्माण के समय से ही बनी हुई है। हर बारीश के मौसम में दीवारों में सीलन होती है जिससे बदबू भी बनी रहती है।
दीवारों का प्लास्टर भी उखड़ा
कॉलोनी की दीवारों पर पेड़ के उगने की समस्या तो बनी ही है दूसरी तरफ इन दीवारों का प्लास्टर भी आए दिन गिरता रहता है। कई बार तो प्लास्टर कॉलानियों में रहने वालों के ऊपर ही गिर जाता है जिसके डर के कारण यहां रहने वालों ने बाहर बैठना तक बंद कर दिया है। कॉलोनी में रहने वाले अमन महावर ने बताया कि कुछ महीने पहले बी ब्लॉक में इमारत के छज्जे का प्लास्टर गिरकर नीचे गिर गया था गनीमत ये रही कि छज्ज के नीचे कोई नहीं बैठा हुआ था नहीं तो बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। इसके अलावा कॉलोनी में सिवरेज पानी के निकास के लिए बनी लाइन से भी कई जगह पर पानी बाहर निकल रहा है, जिससे इलाके में बदबू बनी रहती है।
कॉम्प्लेक्स बस बनकर खड़ा है
इन सबके अलावा कॉलानी में एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी बनाया गया था जिसकी बस इमारत बनकर खड़ी हुई कॉम्प्लेक्स कब चालू होगा किसी को पता नहीं है। इस कॉम्प्लेक्स में कॉलोनी में रहने वाले लोगों के लिए दुकाने लगनी थी जिनके लिए अभी तक किसी प्रकार की कोई व्यस्था नहीं की गई है। वहीं कॉलोनी के बीच स्थित सामुदायिक भवन पर भी आवारा मवेशियों व जानवरों ने डेरा डाला हुआ है। जिस पर भी किसी का ध्यान नहीं है।
कॉलोनी की इमारतों पर उगे पेड़ों को कई बार कटवा दिया लेकिन ये वापस उग आते हैं, इनकी जड़ों ने दीवारों में दरारें बनाना शुरू कर दिया है जो इमारत को ही कमजोर कर रही है।
- अमन महावर
कॉलोनी में निर्माण के दौरान की गई लापारवाही का नतीजा आज हमें भुगतना पड़ रहा है क्योंकि प्लास्टर और सीलन के कारण बार दीवारों पर काम करवाना पड़ता है जिससे हजारों रुपए बेवजह खर्च होते हैं।
- बबलू कसाना
कॉलोनी का शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आज तक चालू नहीं हुआ है पहले इसकी इमारत बनती रही अब उसमें दुकानों के लगने का इंतजार है।
- राकेश व्यास
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