खतरे में बचपन, घट रहा नामांकन जर्जर सरकारी स्कूल

अभिभावक कटा रहे टीसी, प्राइवेट स्कूलों में दिला रहे दाखिला

खतरे में बचपन, घट रहा नामांकन जर्जर सरकारी स्कूल

इटावा व सुल्तानपुर ब्लॉक के उच्च प्राथमिक विद्यालयों के बुरे हाल ।

कोटा। अंधेर नगरी, चौपट राजा..., कहावत की यह पंक्तियां इन दिनों कोटा जिले के राजकीय विद्यालयों व शिक्षाधिकारियों पर सटीक बैठती है। इन विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना तो दूर कल्पना तक नहीं की जा सकती। हालात यह है, सरकार एक तरफ नामांकन बढ़ाने पर जोर दे रही है वहीं, दूसरी तरफ शिक्षा विभाग की लापरवाही से नामांकन बढ़ने के बजाए लगातार घट रहा है। विभागीय अधिकारियों के क्वालिटी एजुकेशन के दावों की ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में धज्जियां उड़ रही हैं। इटावा व सुल्तानपुर ब्लॉक के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय एक-एक कमरों में चल रहे हैं। जबकि, अन्य कमरें जर्जर हो चुके हैं। जिन्हें ताला लगाकर बंद कर दिया गया है। 

डिंडोरा व रणमल दोनों ही स्कूलों में घटा नामांकन: सुल्तानपुर व इटावा ब्लॉक के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय रणमल व राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय डिंडोरा दोनों में ही गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष नामांकन घट गया है। रणमल स्कूल में कक्षा 1 से 5वीं तक कुल 18 विद्यार्थियों का नामांकन था, जो इस वर्ष घटकर 11 ही रह गया। यहां कक्षा-3 में एक भी विद्यार्थी नहीं है। नामांकन जीरो है। वहीं, पहली कक्षा में अब तक मात्र-1 ही विद्यार्थी का दाखिला हुआ है। इसी तरह इटावा ब्लॉक के डिंडोरा स्कूल में पिछले साल कुल 28 छात्र-छात्राओं का नामांकन था, जो अब तक घटकर 24 ही रह गए।

ब्लॉक इटावा : स्कूल डिंडोरा के हालत
एक कमरे में लगती 5 कक्षाएं
स्कूल शिक्षक से मिली जानकारी के अनुसार, विद्यालय में वर्तमान में कुल 4 कक्ष हैं, जिनमें से 2 पूरी तरह से जर्जर हैं, जिनमें विद्यार्थियों को नहीं बिठाया जाता।। एक प्रधानाध्यापक कक्ष है, जिसकी छत से प्लास्टर  गिरता रहता है, छतें टपकती है। ऐसे में एक ही कक्ष है, जिसमें कक्षा 1 से 5वीं तक की क्लासें लगती है। यह कक्ष भी गत मई-जून माह में स्थानीय भामाशाह बच्छाराजी मीणा ने 3 लाख रुपए की लागत से बनवाया है। 

जहां मिड-डे मिल बनता, उसी में बच्चे पढ़ते
गत दो माह पहले भामाशाह द्वारा बनवाया गया एक ही कक्ष बच्चों को बिठाने लायक है। इसी में एक साथ पांच कक्षा चलती है और इसी में बच्चों के लिए मिड-डे मिल का भोजन बनता है। क्योंकि, बारिश के दिनों में पोषाहार को गिला होने से बचाने के लिए इसी भवन में खाद्यय सामग्री रखी जाती है। यहां पढ़ाने के लिए  दो ही शिक्षक ही, जिसमें से एक के पास बीएलओ का चार्ज भी है। 

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ब्लॉक सुल्तानपुर : स्कूल बंबूलिया रणमल के हालत
1 से 5वीं तक 11 ही विद्यार्थी, 7 की कटी टीसी
इस स्कूल में कक्षा 1 से 5वीं तक वर्तमान में 11 ही विद्यार्थियों का नामांकन है। जबकि, गत वर्ष 18 बच्चे थे। ऐसे में 7 बच्चों की टीसी कट चुकी है। हालांकि, अभी प्रवेशोत्सव चल रहा है। विद्यालय में 1 ही कक्षा में 5वीं तक की कक्षाएं संचालित होती है। सुविधाओं का अभाव होने के कारण अभिभावक भी सरकारी विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने में रुचि नहीं रखते और प्राइवेट विद्यालयों में दाखिला करवा रहे हैं। 

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3 में से 2 कमरे जर्जर, दीवारें भी क्षतिग्रस्त
बम्बूलिया रणमल विद्यालय में एकमात्र शिक्षक रामकल्याण मीणा ने बताया कि स्कूल में कुल 3 कक्ष  है। इसमें 2 जर्जर हो चुके हैं। एक ही कक्ष है, जिसमें  एक से पांचवीं तक की कक्षाएं संचालित करवाते हैं।   बच्चों का नामांकन भी कम है। पढ़ाने के अलावा बीएलओ का भी चार्ज है। विभाग द्वारा मांगी जाने वाली सूचनाएं भी खुद ही तैयार करनी पड़ती है और गांव में मतदाताओं की संख्या, नाम जोड़ने से लेकर हटाने तक के सभी कार्य स्वयं करने पड़ते हैं। स्कूल के संबंध में उच्चाधिकारियों को जानकारी भेजी हुई है। 

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छत की पट्टियां टूटी, लोहे के पाइप से रोकी 
उन्होंने बताया कि जिस कमरे में मिड-डे मिल बनता है, उसकी छत की पट्टियां टूटी हुई है। दरारें चल रही हैं, जिसे लोहे के पाइप को बेल्डिंग करवाकर रोक रखी है। इसी में पोषाहार भी रखा जाता है। दूसरा कमरा नहीं होने से मजबूरी में इसी कमरे में रखना पड़ता है। वहीं, बारिश के दौरान हादसे की आशंका लगी रहती  है। स्कूल में उच्चाधिकारियों से एक और शिक्षक लगाने की मांग की थी लेकिन अब तक नहीं लगाया गया। 

क्या कहते हैं अभिभावक
विद्यालय जर्जर अवस्था में है। बरसों से इसकी मरम्मत नहीं करवाई गई। शिक्षाधिकारियों से शिकायत भी की लेकिन समाधान नहीं हुआ। इन दिनों भारी बारिश का दौर चल रहा है, ऐसे में अनहोनी की आशंका लगी रहती है। ऐसे में बच्चों को निजी स्कूल में भेजते हैं।
- केदार लाल, अभिभावक डिंडोरा गांव 

शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को गांव में आकर स्कूल के हालात देखना चाहिए। यहां कक्षा-कक्ष जर्जर हैं, दीवारे ढह गई, छतों की पट्टियां टूट रही है। एक ही कक्षा में एक से पांचवी तक की कक्षाएं चलाई जाती है। जिस दिन बारिश नहीं होती उस दिन खुले आसमान के नीचे कक्षाएं लगती हैं। 
- बजरंग कुमार, अभिभावक बम्बूलिया गांव 

शिक्षा मंत्री के गृह जिले में सरकारी स्कूलों के हालत   बदतर हो रहे हैं। मैंने स्कूल बचाओ अभियान के तहत इन स्कूलों की स्थति से शिक्षा विभाग व प्रशासन को अवगत कराया, इसके बावजूद सुधारात्मक कार्य नहीं हुआ। जिम्मेदारों की अनदेखी से बच्चों की सुरक्षा दांव पर लगी रहती है। प्रशासन को विद्यार्थियों के हित में  ठोक कदम उठाकर जर्जर भवनों का जीर्णोंद्धार करवाना चाहिए। ताकि, विद्यार्थियों को क्वालिटी एजुकेशन मिल सके।
- शिव प्रकाश नागर, जिलाध्यक्ष, बेरोजगार महासंघ कोटा

समग्र शिक्षा विभाग के इंजीनियर्स से विद्यालयों का सर्वे करवाया है। जिसमें कई स्कूल जर्जर मिले हैं। जो भवन विद्यार्थियों के लिहाज से असुरक्षित हैं, उन्हें डिसमेंटल किए जाने के आदेश जारी किए हैं। वहीं, कई विद्यालय भवन  ऐसे हैं, जिनमें मरम्मत की आवश्यकता है, वहां रिपेयरिंग करवाई जाएगी।  साथ ही नए भवन निर्माण के लिए जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संस्थाओं व भामाशाहों से सहयोग का आग्रह किया है। विभागीय उच्चाधिकारियों के दिशा-निर्देशों की शत-प्रतिशत पालना की जा रही है। 
- रूप सिंह मीणा, जिला शिक्षाधिकारी प्रारंभिक 

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