व्यापार प्रबंधन पढ़े बिना पूरी हो रही वाणिज्य शिक्षा

पांच साल से बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन पढ़ाने को शिक्षक ही नहीं : कॉमर्स कॉलेज में नहीं लगती बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन की क्लासें, 12 पद हैं स्वीकृत, एक भी फैकल्टी कार्यरत नहीं, विद्या संबल शिक्षक भी हटाए, दो माह बाद द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा

व्यापार प्रबंधन पढ़े बिना पूरी हो रही वाणिज्य शिक्षा

हाड़ौती के 32 कॉलेजों में से मात्र दो कॉलेजों में ही बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन की एक-एक नियमित फैकल्टी है। इनमें जेडीबी कॉमर्स व राजकीय बारां महाविद्यालय शामिल है। इसके अलावा किसी भी कॉलेज में न तो नियमित फैकल्टी है और न ही विद्या संबल योजना में है।

कोटा। कोटा संभाग के सबसे बड़े गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज में वाणिज्य शिक्षा का बुरा हाल है। यहां क्वालिटी एजुकेशन मिलना तो दूर विद्यार्थियों का एग्जाम में पास होना ही चुनौती बन गया। कॉलेज के बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन डिपार्टमेंट में 12 पद स्वीकृत हैं लेकिन 5 साल से एक भी शिक्षक कार्यरत नहीं है। लंबे समय से यहां बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन की क्लासें नहीं लग रही। जबकि, कोटा यूनिवर्सिटी द्वारा सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया है। द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा दो माह बाद जुलाई में होनी है। ऐसे में क्लासें नहीं लगने से विद्यार्थी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। कॉलेज प्रशासन भी समस्या का लेकर गंभीर नहीं है। विद्यार्थी फर्स्ट सेमेस्टर की तरह सैकंड सेमेस्टर में भी सिलेबस अधूरा रहने को लेकर चिंतित हैं। 

संभाग में दो ही शिक्षक
हाड़ौती के 32 कॉलेजों में से मात्र दो कॉलेजों में ही बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन की एक-एक नियमित फैकल्टी है। इनमें जेडीबी कॉमर्स व राजकीय बारां महाविद्यालय  शामिल है। इसके अलावा किसी भी कॉलेज में न तो नियमित फैकल्टी है और न ही विद्या संबल योजना में है। ऐसे में विद्यार्थियों की क्लासें ही नहीं लग पाती। मजबूरन बच्चों को कोचिंग का सहारा लेना पड़ता है। समय पर कोर्स पूरे नहीं हो पाते। एमकॉम प्रिवियस के पहले सेमेस्टर में करीब 35 प्रतिशत ही कोर्स पूरा हो पाया था। राजकीय कॉमर्स कॉलेज कोटा में बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन की आखिरी क्लास 11 मार्च को लगी थी। इसके बाद विद्या संबल योजना के तहत लगे सहायक आचार्यों को सरकार ने हटा दिया था। 

क्यों नहीं हो रही नियमित व्याख्याताओं की नियुक्ति 
गत वर्ष आरपीएससी ने व्यवसायिक प्रशासन विषय में 127 पदों पर भर्ती निकाली थी। जिनके साक्षात्कार आयोग द्वारा ले लिए गए थे। लेकिन, आयोग ने नियमों के अनुरूप सिर्फ व्यवसायिक प्रशासन में एमकॉम योग्यताधारी अभ्यर्थियों को ही योग्य माना और एमबीए  स्नातकोत्तर करने वाले अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। जिससे नाराज एमबीए उत्तीर्ण अभ्यर्थी कोर्ट की शरण में चले गए और हाई कोर्ट से स्टे ले लिया। वर्तमान में मामला न्यालय में विचाराधीन है। 

इन विषयों की नहीं लग रही कक्षाएं
विद्यार्थियों ने बताया कि एमकॉम फाइनल व प्रिवियस में कई ऐसे विषय हैं, जिनकी नियमित कक्षाएं नहीं लग पा रही। वहीं, कुछ विषयों की तो एक भी कक्षाएं नहीं लगी। एमकॉम फाइनल में मार्केटिंग मैनेजमेंट, इंटरनेशनल मार्केटिंग, रिसर्च मैथोलॉजी,  एचआरडी और यूनियन मैनेजमेंट रिलेशन विषय शामिल हैं। वहीं, प्रिवियस के द्वितीय सेमेस्टर में आॅर्गेनाइजेशन बिहेवियर, स्टेÑजिक मैनेजमेंट, एचआरडी, रिसर्च मैथोलॉजी सहित अन्य विषयों की कक्षाएं प्रथम सेमेस्टर के बाद से अभी तक नहीं लगी।  

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काम जयपुर में और तनख्वाह कोटा से 
राजकीय कॉमर्स कॉलेज में सरकारी रिकॉर्ड में बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन डिपार्टमेंट में एक शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर लगे हैं। लेकिन, वर्तमान में वे जयपुर आयुक्तालय में कार्यरत हैं और उनकी तनख्वाह कॉलेज से ही मिलती है। वहीं, गत वर्ष एक शिक्षिका का बारां जिले में ट्रांसफर हो गया। ऐसे में यहां 12 शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं। विद्यार्थियों की क्लासें नहीं लग पा रही। हालात यह हो रहे हैं कि कॉलेज में इस विषय को पढ़ाने वाला कोई शिक्षक नहीं है। जबकि, विद्यार्थियों ने इसकी शिकायत कई बार प्राचार्य से कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो सकी। 

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65 प्रतिशत कोर्स रह गया था अधूरा
स्टूडेंट्स सुरभी शर्मा व आशुतोष जादौन ने बताया कि एमकॉम प्रिवियस में फस्ट सेमेस्टर के एग्जाम 31 मार्च से शुरू हुए थे, जो 8 अपे्रल तक जारी रहे। इन दिनों व्यवसायिक प्रशासन विषय में करीब 35 प्रतिशत ही कोर्स पूरा हो पाया था। जबकि, 65 प्रतिशत से अधिक सिलेबस अधूरा रह गया था।आधी-अधूरी तैयारियों के बीच एग्जाम दिए हैं। ऐसे में रिजल्ट बिगड़ने की चिंता सता रही है। 

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70 किमी से अपडाउन फिर भी क्लास नहीं
छात्रा खुशबू कुमारी का कहना है कि वे प्रतिदिन रावतभाटा से 70 किमी का सफर कर कॉलेज आती हैं, इसके बावजूद बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन की क्लास नहीं मिलती।  जबकि, यह विषय कॉमर्स संकाय में सबसे महत्वपूर्ण सब्जेक्ट है। इसमें इंडस्ट्रीज में समय के साथ क्या अपडेट हो रहा है, बिजनेस मैकेनिज्म में आए बदलाव की जानकारी दी जाती है। लेकिन, शिक्षकों के अभाव में इंडस्ट्रीज में नया क्या हो रहा है, बिजनेस की कला सहित कई बारीकियों से अनजान रहते हैं। ऐश्वर्य महावर ने बताया कि प्रतिदिन 200 से 250 रुपए खर्च कर पढ़ने को कॉलेज आते हैं लेकिन पढ़ाई नहीं होने से समय और पैसा दोनों ही बर्बाद हो रहा है। 

दो महीने बाद पेपर, कैसे करें तैयारी
अजय सुमन ने बताया कि फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षाएं समाप्त होने के बाद 11 अप्रेल से सैकंड सेमेस्टर की क्लासें लगना शुरू हो गई। लेकिन, व्यवसायिक प्रशासन पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं होने से पीरियड खाली रहता है। अधिकतर विद्यार्थियों को तो सिलेबस का भी पता नहीं है।  कैसे इंटरनल एग्जाम की तैयारी होगी और कैसे मुख्य सेमेस्टर की पढ़ाई कर पाएंगे। 

यह दुखद है कि संभाग के सबसे बड़े वाणिज्य महाविद्यालय में व्यवसायिक प्रशासन का एक भी शिक्षक नहीं है। जबकि, इस विभाग में 12 पद स्वीकृत हैं। इसके बावजूद न तो नियमित शिक्षक लगाए गए और न ही गेस्ट फैकल्टी।   हाड़ौती में इस विषय के 2 ही शिक्षक कार्यरत हैं। विद्यार्थियों को इंडस्ट्रीज में समय के साथ क्या बदलाव हुए, इसकी व्यवहारिक जानकारी नहीं मिल पा रही। 
- अनुज विलियम, सहायक आचार्य विद्या संबल, व्यवसायिक प्रशासन

यह बात सही है कि कॉलेज में व्यवसायिक प्रशासन विभाग में कोई फैकल्टी नहीं है। शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर पूर्व में तीन बार उच्च शिक्षा आयुक्तालय को पत्र लिख चुके हैं।  लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला। वहीं, आयुक्तालय के ज्वाइंट डायरेक्टर एचआरडी ताराचंद बैरवा को भी पत्र भेज मामले से अवगत करा चुके हैं। हमारे लिए विद्यार्थियों का हित सर्वोपरि है। उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे हैं। वहीं, महाविद्यालय की विकास समिति से गेस्ट फैकल्टी लगाने के लिए भी उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन मांगने का प्रयास किया जाएगा।  
- सीमा राठौर, प्राचार्य, कॉमर्स कॉलेज

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