श्वान लाइलाज, अब अधिक हो रहे खूंखार

नवज्योति लगातार चेता रहा : निगम के प्रयास नाकाम, लोग परेशान

श्वान लाइलाज, अब अधिक हो रहे खूंखार

शहर में श्वानों की समस्या कम होने की जगह लगातार बढ़ती ही जा रही है।

कोटा। नगर निगम की ओर से सड़कों पर घूमने वाले लावारिस श्वानों का बधियाकरण तो किया जा रहा है। लेकिन उसका आमजन को कोई लाभ नहीं हो रहा है। न तो इनकी संख्या कम हो रही है और न ही लोगों को इनका शिकार होने से बचाया जा रहा है। बधियाकरण के बाद श्वान अधिक खूंखार हो गए हैं। अब ये लोगों के साथ ही जानवरों तक को अपना शिकार बनाने लगे हैं। बजरंग नगर और महावीर नगर समेत कई इलाके ऐसे हैं जहां श्वानों के काटने की घटनाएं अधिक हो रही है। विशेष रूप से महिलाएं व बच्चों को श्वान अधिक शिकार बना रहे हैं। स्टेशन क्षेत्र के डडवाड़ा में मंगलवार को एक बंदर गली पार कर रहा था। इसी दौरान वहां 4 से 5 श्वान उसके पीछे भागते हुए आए और उसे पकड़ लिया। सभी श्वान उस पर झपट पड़े। जिससे बंदर को लहुलुहान कर दिया। बंदर पर श्वानों के हमले को देख वहां से गुजर रहा एक युवक उनकी तरफ दौड़ा और पत्थर उठाकर उन श्वानों को वहां से भगाया। करीब 10 से 15 सैकंड के दौरान श्वानों के हमले में लहुलुहान बंदर तुरंत श्वानों से छूटकर नजदीक ही पेड़ पर जा बैठा। 

श्वानों की समस्या का नहीं हो रहा स्थायी समाधान
शहर में श्वानों की समस्या कम होने की जगह लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसका स्थायी समाधान भी नहीं हो पा रहा है। जिससे लोगों  के लिए ये परेशानी का कारण भी बन रहे हैं। नगर निगम कोटा दक्षिण के बाद कोटा उत्तर निगम ने भी श्वान शाला में श्वानों का बधियाकण व वैक्सीनेशन करने का काम शुरू कर दिया है। अब तक दोनों निगम क्षेत्रों में करीब 16 हजार से अधिक श्वानों का बधियाकरण व वैक्सीनेशन किया जा चुका है। उसके बाद भी इनकी संख्या कम होने की जगह  लगातार बढ़ती ही जा रही है। पिछले कुछ समय से शहर में हर गली मौहल्ले में श्वानों के पिल्ले घूमते हुए देखे जा रहे हैं। 

बाग बगीचों तक में बसेरा
श्वान केवल शहर में सड़कों पर ही नहीं हैं वरन् नगर निगम के बाग बगीचों तक में ये नजर आने लगे हैं। नयापुरा स्थित नेहरु पार्क हो या चम्बल गार्डन। चम्बल गार्डन में तो इनकी संख्या इतनी अधिक है कि ये जगह-जगह घूमते और बैठे हुए नजर आने लगे हैं। यहां तक कि गार्डन में श्वानों के पिल्ले भी काफी अधिक हैं। 

गौशाला की तरह हो श्वानशाला
लोगों का कहना है कि श्वानों को पकड़कर उनका बधियाकरण करना ही पर्याप्त नहीं है। वैक्सीनेशन व बधियाकरण के बाद फिर से उन्हें उसी जगह पर छोड़ने से कोई समाधान नहीं हो रहा है।  श्वानों से मुक्ति के लिए उन्हें भी गौशाला की तरह ही श्वानशाला में रखा जाए। जिससे वहीं रखकर उन्हें खाना पीना दिया जाए। तभी इनकी संख्या कम हो सकती है। 

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सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन की पालना
श्वानों को पकड़ने व बधियाकरण के लिए नगर निगम ने लाखों रुपए खर्च कर श्वान शाला बनवाई है। इसका ठेका दिया हुआ है। उस पर भी लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। जहां तक इन्हें श्वान शाला में रखने का मामला है सुप्रीम कोर्ट की ऐसी कोई गाइड लाइन नहीं है। कोर्ट की गाइड लाइन की पालना की जा रही है। हालांकि पूर्व में लोकसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिखा गया था। जिसमें श्वानों के मामले में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन में बदलाव का आग्रह किया गया था। अभी तक उसका कोई जवाब नहीं आया है। 

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सीसीटीवी में कैद हुई बंदर पर हमले की घटना
लोगों ने बताया कि बंदर पर श्वानों के हमले की यह घटना वहां गली में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। ऐसे कई मामले शहर में रोजाना हो रहे हैं। जब आमजन के साथ ही अब तो जानवर भी श्वानों का शिकार होने लगे हैं। 

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नवज्योति समय-समय पर चेता रहा
शहर में श्वानों की समस्या के बारे में और उनके समाधान के बारे में दैनिक नव’योति समय-समय पर निगम प्रशासन को चेता रहा है। हाल ही में 21 जनवरी को समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें बताया था कि शहर में लावारिस मवेशियोन, बंदरों व श्वानों की समस्या के स्थायी समाधान के लिए निगम  में गौशाला व फायर की तर्ज पर अलग से एनिमल डिपार्टमेंट बने। जिसमें कर्मचारियों का काम केवल पशुओं को पकड़ने व जनता को उनसे राहत दिलाने का हो। जनप्रतिनिधियों ने तो इस पहल को सहारा है। साथ ही निगम की बोर्ड बैठक में भी इस मुद्दे को उठाने की बात कही है। लेकिन निगम अधिकारी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाकर सिर्फ मवेशियों, बंदरों व श्वानों को निजी फर्म द्वारा पकड़ने का ठेका देकर इतिश्री कर रहे हैं। जिससे निगम इन पर लाखों रुपए सालाना खर्च करने के बाद भी लोगों को राहत नहीं दे पा रहा है। 

नगर निगम अपने स्तर पर हर संभव प्रयास कर रहा है। श्वान पकड़ने का विरोध करने वालों को भी समझना होगा कि ये लोगों के लिए खतरनाक हो रहे हैं। 
- राजीव अग्रवाल, महापौर, नगर निगम कोटा दक्षिण 

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