खेत जलमग्न, फसलें तबाह : किसानों में घोर निराशा, पिछले दो दिन से लगातार जारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त
तेज हवाओं से आड़ी पड़ी धान की फसल, खेतों में पककर तैयार सोयाबीन भी नष्ट
सरसों का बीज गलने से रबी की फसलों के भी नष्ट होने की आशंका ।
इटावा। इटावा सहित क्षेत्र में पिछले दो दिन से लगातार हो रही बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई वहीं किसानों को केवल निराशा ही मिली। रविवार को शुरू हुआ बारिश का दौर सोमवार को भी जारी रहा। दोपहर 3 बजे बाद शुरू हुआ बारिश के दौर इस कदर था कि तेज हवाओं के साथ बिजलियां कड़क रहीं थीं। वहीं मूसलाधार बारिश के चलते जगह जगह पानी भर गया। जिससे जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया। क्षेत्र में बेमौसम बारिश से किसानों के अरमानों को चूर चूर कर दिया है। क्षेत्र में इस समय सोयाबीन की फसलें कटी व पकी हुई खेतों में खड़ी हुई हैं। वह पूरी तरह खराब हो गई है। वहीं धान की फसल में हवाओं के चलने के कारण आड़ी पड़ गई हैं। जिससे काफी नुकसान हुआ है। इसके साथ ही अधिकांश किसानों ने रबी की फसल को लेकर खेतों में सरसों की बुवाई की थी वह भी खराब हो गई जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है।
क्षेत्र में टूटा 30 साल पुराना रिर्कार्ड
किसानों का कहना था कि इस बार बारिश ने करीब 30 वर्ष पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया ओर अतिवृष्टि से उड़द व तिल्ली की फसलें तो पहले ही पूरी तरह खराब हो गई थी। सोयाबीन व धान की फसल भी कुछ खराब हो गई थी लेकिन थोड़ी बहुत बची हुई थी। लेकिन इस बारिश के बाद सोयाबीन की फसलें भी पूरी तरह खराब हो गई।
साहूकारों के सामने हाथ पसारने को मजबूर किसान
किसानों का सब कुछ बर्बाद हो गया है अब किसानों के सामने मजबूरी है कि आगामी फसलों की बुवाई के लिए उनको इंतजाम करना पड़ेगा। इसके लिए किसानों को साहूकारों से कर्ज लेने के अलावा कोई चारा नहीं है।
सरसों की करनी पड़ेगी दुबारा बुवाई
किसान चंद्रप्रकाश मीना, नंदराम नागर, केसरीलाल नागर, रामावतार मीना, दौलतराम सहित अनेक किसानों ने बताया कि इस बारिश से सोयाबीन की फलिया खेत में ही टूटकर गिर जाएगी। वहीं धान की फसल भी आड़ी पड़ने से काफी नुकसान हुआ है। जिन किसानों ने सरसों की बुवाई की थी उन्हें भी दुबारा बुवाई करनी पड़ेगी।
समय पर नहीं मिलता फसल बीमा योजना का लाभ
किसानों ने बताया कि सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तो किसानों के लिए चला रखी है। लेकिन समय रहते हुए फसल खराबे का क्लेम नहीं मिल पाता जिसके चलते किसानों को समय पर राहत नहीं मिल पाती। फसल खराबे के क्लेम किसानों को डेढ़ दो वर्ष बाद मिलते हैं। जब तक किसानों को सब कुछ निकल जाता है। फसल चक्र के साथ ही किसानों को फसल खराबे का बीमा कम्पनियां द्वारा क्लेम दिया जाए । लेकिन न किसानों को समय रहते बीमा क्लेम मिलता ओर न ही आदान अनुदान राशि मिलती जिसके चलते किसानों को अपना इंतजाम खुद करना पड़ता है।
खेतों में खड़ी व कटी फसलों में पानी भर गया। जिससे फसलें पूरी तरह खराब हो गई।
-ओम प्रकाश मीना, सरपंच, विनायका
अठारहवां क्षेत्र में अतिवृष्टि से सोयाबीन व उड़द की फसलें खराब हो गई थीं। अब किसानों ने 5-7 दिन पहले सरसों की फसल की बुवाई की थी, लेकिन बेमौसम बारिश ने सब कुछ नष्ट कर दिया है।
-लोकेंद्र सिंह, सरपंच, बालूपा
बेमौसम बारिश के चलते खरीफ की सोयाबीन की फसल व रबी की बुवाई की गई सरसों की फसल खराब हुई है।
-हंसराज मीना, सहायक कृषि अधिकारी, इटावा

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