7 हजार किमी दूर से कोटा पहुंचे विदेशी मेहमान

विदेशों में बर्फबारी होने से माइग्रेट कर कोटा पहुंचे विदेशी पक्षी

7 हजार किमी दूर से कोटा पहुंचे विदेशी मेहमान

कोहरे की चादर से लिपटा आसमां में बेखौफ अपनी उड़ान को परवाज देते परिंदों की अळखेलियां लोगों को आनंदित कर रही है।

कोटा। सर्दी बढ़ने के साथ ही विदेशी परिंदों का हजारों किमी का सफर तय कर कोटा पहुंचना शुरू हो गया है। यूरोप, सेंट्रल एशिया, साइबेरिया, चीन, उत्तरी अमेरिका और रूस सहित कई देशों से बड़ी संख्या में परिंदे शिक्षा नगरी की सरजमी पर कदम रख चुके हैं। यूरोपिय व एशियाई देशों में बर्फबारी होने से अपने अनुकूल वातावरण व भोजन की तलाश में यह परिंदे सात समंदर पार कर देश के विभिन्न राज्यों में अपना आशियाना बना रहे हैं। इन दिनों कोटा के एक दर्जन से अधिक वेटलैंड पर देसी-विदेशी पक्षियों पक्षियों का कलरव चहकने लगा है। वहीं, आलनिया में पांच साल में पहली बार ब्लैक नेक्ड स्टोक पक्षी नजर आया है। 

इन इलाकों में जमाया डेरा
नेचर प्रमोटर एएच जैदी का कहना है, कोटा के विभिन्न इलाकों में स्थित वैटलैंड पर इन दिनों देसी विदेशी पक्षियों का कलरव गूंज रहा है। आलनिया, उम्मेदगंज, अभेड़ा, उदपुरिया, बरधा डेम, गिरधरपुरा, बोराबांस का तालाब, सोखिया तालाब, किशोर सागर तालाब सहित कई इलाके परिंदों की चहचहाट से गुलजार हो रहे हैं। कोहरे की चादर से लिपटा आसमां में बेखौफ अपनी उड़ान को परवाज देते परिंदों की अळखेलियां लोगों को आनंदित कर रही है। हाड़ौती का मौसम इन परिंदों के अनुकूल होने से इनकी संख्या में इजाफा हो रहा है।

7 समुंदर पार कर कोटा पहुंचे ये मेहमान
जैदी ने बताया कि यूरोप, सेंट्रल एशिया, साइबेरिया, हिमालय, उत्तरी अमेरिका, चीन, रूस, कजाकिस्तान सहित यूरोपियन व एशियाई देशों से हजारों किमी का सफर तय कर बड़ी संख्या में मेहमान प्रवास पर आए हैं। इनमें कॉमन कूट, रूडी शेल डक, बार हैडेड गूज, ग्रेलेक गूज, पिनटेल, कॉमन टील, कॉमन पोचार्ड, गार्गेनि टील, गढ़वाल कॉटन टील, इरेशियन करल्यू, स्टेपी ईगल, ब्लू थ्रोट, ग्रेलेक गूंज, ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क सहित कई विदेशी परिंदें शामिल हैं। इनके अलावा स्थानीय पक्षियों से भी तालाब गुलजार हो रहे हैं। इनमें लेसर विस्लिंग टील, स्पॉट बिल डक, आॅप्रबिल स्टॉर्क, पेंटेर्ड स्टॉर्क, पर्पल मुरहेंन, इंडियन मुरहेन, वाइट आईबीज, इग्रेट वाटर शामिल हैं। 

उत्तरी अमेरिका ब्लू थ्रोट, कजाकिस्तान से स्टेपी ईगल 
बर्ड्स रिसर्चर हर्षित शर्मा ने बताया कि इन दिनों शहर के विभिन्न वेटलैंड पर मिस्त्र का राष्टÑीय पक्षी स्टेपी ईगल और उत्तरी अमेरिका से ब्लू थ्रोट पक्षी भी बड़ी संख्या में नजर आ रहे हैं। वहीं, अलास्का, साइबेरिया व रूस से आए दुर्लभ प्रजाति के ब्लूथ्रोट पक्षियों ने भी यहां डेरा डाल रखा है। वेटलैंड का विस्तार करने वाले खेतों व घास के मैदान में ब्लूथ्रोट किलोल करते दिखाई दे रहे हैं। इसे स्थानीय भाषा में नील कंठी के नाम से भी जाना जाता है।  

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पांच साल में पहली बार दिखा ब्लैक नेक्ड स्टॉर्ड
पक्षी विशेषज्ञ डॉ. अंशु शर्मा का कहना है, आलनिया डेम पर ब्लैक नेक्ड स्टॉर्ड दिखाई दिया है। कोटा में पिछले पांच साल में पहली बार नजर आया है। यह काली गर्दन वाला सारस प्रजाति का बड़ा पक्षी है। जिसकी लंबाई129 से 150 सेमी होती है। राजस्थान के भरतपुर में यह पक्षी पूरे साल देखने को मिलता है, लेकिन कोटा में इसे पांच सालों में नहीं देखा गया। इस साल यह स्टार्क अलनिया डैम पर दिखाई दिया है। वहीं,  ग्रेट व्हाइट पेलिकन पूर्वी यूरोप, अफ्रीका, उत्तर पश्चिम भारत, पाकिस्तान, नेपाल और म्यांमार से पहुंची है। ग्रेटर फ्लेमिंगो, राजहंस की सबसे बड़ी जीवित प्रजाति है। तीनों पक्षियों की प्रजातियां इन दिनों यहां प्रवास पर आई हैं।  

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रेड मुनिया व कूकू बनी आकर्षण का केंद
पक्षी प्रेमी शेख जुनैद कहते हैं, अभेड़ा तालाब में कलरफूल पक्षी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में बर्ड्स वाचर पहुंच रहे हैं। यहां रेड मुनिया, जेकोबिन कूकू, एसिपरेनिया लोंग टेल, श्राइक डरोंगो, ब्लैक काईट, रेड वेंटेड, बुलबुल साइबेरियन, नेक्ड आईबीज, हनी बजर्ड, मुनिया सन बर्ड सहित कई कलरफूल बडर््स ने अभेड़ा में डेरा जमाया हुआ है, क्योंकि यह क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर है। यहां हिमालयी क्षेत्रों से पहुंचे पक्षियों को आबोहवा इतनी पसंद आई की वह यहीं की होकर रह गर्इं।

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5 माह तक रहेंगे प्रवास पर 
पक्षी प्रेमी हरफूल शर्मा बताते हैं, उत्तरी अमेरिका के अलास्का, हिमालयी क्षेत्र और ईस्ट साइबेरिया में अक्टूबर से बर्फबारी शुरू हो जाती है। जिससे बढ़ने वाली तीखी सर्दी से बचने के लिए ये पक्षी ऐसे स्थानों पर आशियाना बनाते हैं, जहां इन क्षेत्रों के मुकाबले ठंड कम रहती है। विदेशी पक्षी तेज सर्दी से बचने को आशियाने की तलाश में यहां आए हैं। इनका प्रवास नवम्बर से शुरू हो जाता है, जो मार्च तक रहता है। 

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