सिर्फ नाम के ग्रीन पटाखे, न आवाज कम हुई न प्रदूषण

प्रशासन के पास भी जांच की कोई सुविधा नहीं, ग्रीन पटाखों के नाम पर सिर्फ लगी है मोहर, पहचान मुश्किल

सिर्फ नाम के ग्रीन पटाखे, न आवाज कम हुई न प्रदूषण

इस बार भी दीपावलीे पर सरकार व प्रशासन द्वारा सिर्फ ग्रीन पटाखे ही चलाने की अनुमति दी गई है। प्रशासन द्वारा पटाखे बेचने वालों को लाइसेंस भी उसी के नाम से जारी किया जा रहा है। लेकिन हालत यह है कि बाजार में बिक रहे अधिकतर पटाखों पर सिर्फ ग्रीन पटाखों की मोहर लगी हुई है। जबकि हकीकत में अधिकतर पटाखे सामान्य पटाखों की तरह ही हैं।

कोटा। दीपोत्सव का त्योहार आने में अब मात्र एक सप्ताह का भी समय नहीं बचा है। लेकिन अभी से पटाखों का शोर सुनाई देने लगा है। प्रशासन द्वारा ग्रीन पटाखों के नाम से लाइसेंस तो जारी किया जा रहा है लेकिन उनके पास इनकी जांच की कोई सुविधा नहीं है। जबकि बाजार में बिक रहे पटाखों की न आवाज कम हुई है और न ही प्रदूषण। दीपावली पर हर साल पटाखों की गूंज सुनाई देती है। जमकर आशितबाजी होती है। ऐसा पिछले कई सालों से हो रहा है। हर साल दो से तीन दिन में ही लाखों के पटाखे जलकर खाक हो जाते हैं। देर रात तक पटाखे चलते रहते हैं। जिनकी तेज आवाज और उनसे निकलने वाले धुएं से सैकड़ों लोगों को परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है। इसे देखते हुए ही ग्रीन पटाखों का चलन बढ़ाया जा रहा है। इस बार भी दीपावलीे पर सरकार व प्रशासन द्वारा सिर्फ ग्रीन पटाखे ही चलाने की अनुमति दी गई है। प्रशासन द्वारा पटाखे बेचने वालों को लाइसेंस भी उसी के नाम से जारी किया जा रहा है। लेकिन हालत यह है कि बाजार में बिक रहे अधिकतर पटाखों पर सिर्फ ग्रीन पटाखों की मोहर लगी हुई है। जबकि हकीकत में अधिकतर पटाखे सामान्य पटाखों की तरह ही हैं। जानकारी के अनुसार उन्हें बनाने वाली कम्पनियों द्वारा ही ग्रीन पटाखों की मोहर लगाकर जिसमें ग्रीन रिवोलुएशन लिखकर बेचा जा रहा है। किसी मापदंड तय करने वाले कंपनी का कोई मार्का नहीं है। 

यह है ग्रीन पटाखों की खासियत
सामान्य तौर पर हर पटाखे में बारूद के रूम में नाइट्रोजन व सल्फर गैस होती है। जो पटाखे चलाने पर हवा में घुलकर वातावरण को दषित करती है।  राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान(नीरी) के अनुसार सामान्य पटाखों में 160 डेसीमल तक ध्वनि होती है। जबकि ग्रीन पटाखों में यह 110 से 125 डेसीमल के बीच रहती है। जिससे शोर व प्रदूषण दोनों ही कम होते हैं। वहीं सामान्य पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखों से निकलने वाली नाइट्रोजन व सल्फर गैसों की मात्रा 40 से 50 फीसदी तक कम होती है। ऐसे में ये पटाखे कम हानिकारक होते हैं। 

सिर्फ मोहर लगी है, पटाखे सामान्य
शहर में दीपावली के पहले बाजार में पटाखों की बिक्री शुरू हो गई है। दुकानदारों ने बताया कि पटाखों पर सिर्फ ग्रीन पटाखों की मोहर लगी है। जिससे उनकी कीमत करीब डेढ़ गुना तक बढ़ गई है। जबकि वे सामान्य पटाखे ही हैं। जिनकी न तो आवाज कम है और न ही शोर में फर्क पड़ा है। दुकानदारों के अनुसार ग्रीन पटाखों में फुलझड़ी, अनार व रोशनी वाले पटाखे आते हैं। जबकि बाजार में तेज आवाज वाले बम तक बिक रहे हैं। 

कोरोना काल में हुई ग्रीन पटाखों की शुरुआत
सामान्य तौर पर चलने वाले पटाखों की तेज आवाज से ध्वनि प्रदूषण तो होता ही है। साथ ही उनमें जलने वाले बारूद से निकलने वाली गैसों से वायु प्रदूषण भी होता है। दो साल पहले कोरोना काल में लोगों को होने वाली श्वांस की बीमारी को देखते हुए पहले तो पटाखों को चलाने पर रोक लगा दी गई। लेकिन दीपावली पर पटाखों की मांग जिनमें व्यापारी से लेकर आमजन की भावना को देखते हुए सरकार व प्रशासन ने सिर्फ ग्रीन पटाखे ही चलाने की अनुमति दी। वह भी रात  8 से 10 बजे तक के लिए। हालांकि कोरोना काल में पटाखे सामान्य दिनों से कम चले। लेकिन इस बार कोरोना का प्रभाव कम होने के बाद भी ग्रीन पटाखों को ही चलाने की अनुमति दी गई है। 

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लोगों का कहना...
ग्रीन पटाखों के नाम पर जो पटाखे बाजार में बिक रहे हैं। उनकी जांच होनी चाहिए कि वे वास्तव  में प्रशासन व सरकार की अनुमति के अनुसार ही हैं या नहीं। जबकि तेज आवाज के पटाखों पर रोक लगनी चाहिए। साथ ही रात को पटाखे चलाने का समय भी तय होना चाहिए। 
- दिनेश रावल, श्रीपुरा

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बाजार में ग्रीन पटाखों के नाम से सामान्य पटाखे ही बिक रहे हैं। प्रशासन के पास इनकी जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। ग्रीन पटाखों के नाम पर इनकी कीमत भी पहले से काफी अधिक बढ़ गई है। 
- महावीर गुप्ता, महावीर नगर

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तेज आवाज वाले पटाखे ध्वनि व वायु प्रदूषण फेलाने से नुकसान दायक हैं। विशेष रूप से बुजुर्गों व बच्चों के लिए। अस्थमा रोगियों को भी इनसे परेशानी होती है। ग्रीेन पटाखे रोशनी के रूप में चलाए जा सकते हैं। लेकिन वास्तव में ग्रीन पटाखे बिके तभी उसका लाभ है।  
- प्रताप सिंह, शॉपिंग सेंटर

इनका कहना है
ग्रीन पटाखों में आवाज व प्रदूषण कम होता है।  सरकार की मंशा के अनुसार दुकानदारों को ग्रीन पटाखों का ही लाइसेंस जारी किया गया है। प्रशासन के पास इसकी जांच की सुविधा नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ही इसकी जांच कर सकता है।  लाइसेंस के लिए जितने आवेदन किए गए थे उनकी जांच के बाद सोमवार से जारी करना शुरू कर दिया है। पहले दिन करीब 15 लाइसेंस जारी किए हैं। मंगलवार से इनमें तेजी आएगी। 
- ब्रजमोहन बैरवा, एडीएम सिटी

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