असर खबर का - जलने वाली सूखी घास सफेद और उगने वाली हरी, कैसे?

सीसीएफ के निर्देश पर तीनों प्लांटेशन की होगी जांच

असर खबर का - जलने वाली सूखी घास सफेद और उगने वाली हरी, कैसे?

जिस घास में आग लगी वो प्लांटेशन की या बाहर से लाई गई

कोटा। कोटा वन मंडल के लाडपुरा रेंज में मेटिगेटिव मैजर्स के तीन प्लांटेशनों में मंगलवार को एक साथ लगी आग के मामले में बुधवार को संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। जलने वाली घास प्लांटेशन की थी या बाहर से लाकर षड़यंत्रपूर्वक जलाई गई?, आग लगने के कारण, स्टाफ की तैनाती के बावजूद आग कैसे लगी? मंशा?  सहित अन्य कारणों की जांच सीसीएफ कार्यालय में कार्यरत डीएफओ से करवाई जाएगी।  हालांकि, पर्यावरणविदें का कहना है, तीनों प्लांटेशन में जिन घास में आग लगी, वह प्लांटेशन में उगी घास से बिलकुल भिन्न है। क्योंकि, जलने वाली सूखी घास डंठलनुमा सफेद रंग की है, जबकि इसी के पास प्लांटेशन में उगी घास कई जगहों पर हरी तथा कुछ जगहों पर पीले रंग की है, जो पानी की नमी के कारण होती है। ऐसे में सूखी घास को बाहर से लाकर साजिशन जलाए जाने की संभवना प्रतित होती है। 

मौके पर कटी पड़ी थी घास
बायोलॉजिस्ट रवि कुमार ने बताया कि दोपहर को  मुकुंदरा स्पेशल विहार कॉलोनी से सटे बरड़ा बस्ती प्लांटेशन में मौका देखने गए थे। जहां आग लगी वहां सफेद रंग की मोटे तने की सूखी घास का ढेर लगा हुआ था। यह घास कटी हुई थी। जबकि, इस प्लांटेशन में घटनास्थल के पास उगी घास हरे रंग की थी। वहीं, कुछ जगहों पर पीले रंग की घास उगी हुई थी। ऐसे में देखने से स्पष्ट होता है कि जलने वाली घास इस प्लांटेशन की नही होना प्रतित होती है। 

यहां उगती हैस्पीयर हैड घास 
बायोलॉजिस्ट रवि का कहना है कि मेटिगेटिव मैजर्स के प्लांटेशन पथरीले व चट्टानी वनक्षेत्र है। ऐसे में यहां स्पीयर हैड, डायकेन्थियम अनुलटम घास, डिजिटेरिया डेकम्बेंस घास प्रजाति की घास उगती है, जो पतली नुकीली सूई जैसी होती है। इसके तने का व्यास काफी कम होता है। जबकि, मौके पर जलने वाली घास का ढेर मिला, उसका डंठल काफी मोटा और चौड़ा है। ऐसे में यह घास यहां की नहीं हो सकती। 

गार्ड नहीं दे सका संतोषजनक जवाब
पर्यावरणप्रेमी सतीश कुमार, बजरंग सिंह जादौन ने बताया कि बरडा बस्ती प्लांटेशन में चौकी बनी हुई है, जिस पर रैत्या चौकी नाका लिखा हुआ था। यहां तैनात सुरक्षा गार्ड से आगजनी की घटना के बारे में पूछा तो उसने अज्ञात दो लोगों द्वारा आग लगाना बताया। लेकिन, इस प्लांटेशन के मुख्य दरवाजे से घटनास्थल की दूरी करीब एक किमी है और वहां तक  पहुंचने से पहले 15 से 18 फीट गहरा विशाल खनन के गड्ढ़ों से होकर गुजरना पड़ता है। आसपास गड्ढ़ों में पानी भरा हुआ है। चौकी बनी हुई है, जहां स्टाफ तैनात रहता है, इसके बावजूद कथाकथित अज्ञात दो व्यक्तियों द्वारा प्लांटेशन में घुसकर आग लगाकर चले जाने की बात समझ से परे है। मौके के हालात देखकर जानबूझ कर आग लगाने या लगवाना प्रतित होता है। जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

Read More अभिमन्यु पूनिया और मनीष यादव को मिली महत्वपूर्ण जिम्मेदारी, दिल्ली विधानसभा चुनाव में बनाया ऑब्ज़र्वर

लाडपुरा रेंज के मेटिगेटिव मैजर्स के प्लांटेशनों में आग लगने के मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। डीएफओ स्तर के अधिकारी से जांच करवाई जाएगी। जिसमें सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जाएगी। जिसमें किसी वन कर्मचारी या अधिकारी की लापरवाही मिलती है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। 
- रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वनसंरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, वन विभाग 

Read More पूर्व छात्रों ने संजोई एमएनआईटी में बिताए दिनों की यादें

Post Comment

Comment List