कोटा-रावतभाटा मार्ग बदहाली का शिकार, आए दिन होते हैं हादसे

जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान : रावतभाटा की लाइफ लाइन है यह सड़क

कोटा-रावतभाटा मार्ग बदहाली का शिकार, आए दिन होते हैं हादसे

एक दिन पहले भी ट्रेलर फंसने से 7 घंटे तक जाम में फंसे रहे यात्री।

रावतभाटा। कोटा रावतभाटा मुख्य मार्ग बदहाली का शिकार है। साल इस मार्ग पर कोलीपुरा घाटे में वन अभयारण क्षेत्र है। इस इस मार्ग पर संकरे मोड , दुर्घटना सांकेतिक चिन्ह नहीं होना, एक तरफ गहरी खाई और सड़क किनारे उगी झाड़ियों बरसात में मिट्टी के कटाव के कारण पूर्व में कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। जिम्मेदार सार्वजनिक निर्माण विभाग इस मार्ग पर ध्यान नही दिया जा रहा है। जिसकी वजह से इस मार्ग पर आवाजाही करने वाले रावतभाटा और कोटा के रहने वाले लोग खामियाजा भुगत रहे है। गौरतलब है कि बुधवार को भी ट्रेलर के सड़क से नीचे उतर जाने और तिरछा खड़ा होने से सड़क मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया। शाम 5 बजे से लगा जाम रात्रि 12:30 बजे खुला। करीब 7 घंटे तक यात्री जाम में फंसे रहे। जाम के दरमियान कोटा अस्पताल से रास्ते  में ला रहे   मृत व्यक्ति के शव को  करीब 160 किलोमीटर का लंबा चक्कर लगा सिंगोली होते हुए लाना पड़ा। शव वाहन को भी अधिक भुगतान किया गया।  रावतभाटा शहर में दुर्घटना जनित व्यक्ति को इलाज के लिए कोटा जाना पड़े तो इस मार्ग के सिवाय कोई वैकल्पिक दूसरा मार्ग भी नहीं है। 1 वर्ष पूर्व भी एक ट्रेलर  हनुमान मंदिर की दीवार तोड़़ते हुए नीचे गहरी खाई में गिर गया था। कई संयंत्रों की आधारशिला है रावतभाटा शहरयूं तो रावतभाटा देश का एक मात्र परमाणु संयंत्र है। लेकिन रावतभाटा में इसकी सीमाओं के आसपास समीप प्रमुख सड़कें वन विभाग क्षेत्र में आती है जिन पर ना तो निर्माण पूरे हुए हैं ना ही समुचित व्यवस्था है । भारत के एकमात्र परमाणु संयंत्रों का केंद्र बिंदु रावतभाटा तीनों तरफ से सड़क मार्ग के लिए आज भी केवल सड़कें ठीक होने का ही इंतजार कर रहा है। आपातकाल की स्थिति में तीनों प्रमुख मार्गों को अपने दुर्दशा बताने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सभी मार्ग किसी न किसी कारण से आज भी अधूरे और खस्ताहाल में है।

जाम में फंसे यात्रियों की पीड़ा
अपनी पीड़ा को बताते हुए यात्री चेतन सिंह सांखला ने बताया कि कोटा से निकलने पर जाम का पता ही नहीं चला ना तो रास्ते में नेटवर्क , नहीं कोई वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था करीब 4 घंटे तक जाम में फंसा रहा। रोडवेज ड्राइवर जयराम ने बताया कि शाम 7  बजे कोटा से रोडवेज लेकर निकला लेकिन जाम के कारण रात्रि 1 बजे के करीब रावतभाटा पहुंचा सभी यात्री परेशान रहे। 

शव को लाने के दरमियान हुई तकलीफ
पीड़ित संजय सोनी ने बताया कि मेरे परिचित की मृत्यु हो जाने पर कोटा से उनके शव को लाने के दरमियान हमें 160 किलोमीटर का लंबा चक्कर लगा सिंगोली होते हुए लाना पड़ा करीब 6 घंटे का समय भी खराब हुआ और वाहन चालक को अधिक राशि भी देनी पड़ी।

इलाज के लिए भी जाना पड़ता है कोटा
रावतभाटा कोटा मार्ग केवल सड़क मार्ग ही नहीं है अपितु रावतभाटा और कोटा की जीवनदायनी सड़क भी है। यदि किसी कारणवश सड़क मार्ग अवरुद्ध हो गया तो बीमार  और दुर्घटना जनित व्यक्ति को इलाज भी मिल पाना संभव नहीं है। वैसे ही रावतभाटा के उप जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी का दंश शहर झेल ही रहा है। ऊपर से जर्जर अवस्था में तीनों प्रमुख मार्गों की हालत किसी से छिपी नहीं है। 

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इनका कहना है 
कोटा से लेकर रावतभाटा सीमा में कोलीपुरा घाट क्षेत्र पर  वर्तमान में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से वार्ता कर  प्रस्ताव बना सरकार को भेजा जाएगा जिससे डबल लेन सड़क चौड़ाइकरण का कार्य पूर्ण हो पाए।
- नमो नारायण राय, कार्यकारी अधिकारी, सार्वजनिक निर्माण विभाग कोटा   

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रावतभाटा सीमा केवल 11 किलोमीटर तक लगती है कोलीपुरा घाट क्षेत्र कोटा रेंज में आता है। हमारे 11 किलोमीटर क्षेत्र में कहीं भी कोई सड़क जाम जैसी स्थिति नहीं बनती। 
- उदय भान, कार्यकारी अधिकारी, सार्वजनिक निर्माण विभाग बेगंू 

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