नौकरी छोड़ सम्भाली खेती की कमान, ड्रोन दीदी के नाम से बनी पहचान
खेती में नवाचार कर रिम्पी सिंह ने हासिल की सफलता
ट्रैक्टर चलाने वाले हाथ अब उड़ा रहे ड्रोन।
कोटा। परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की, वो खुद तय करते हैं मंजिल आसमां की...किसी शायर की यह पंक्तियां कोटा के प्रेमपुरा गांव निवासी महिला किसान रिम्पी सिंह पर सटीक बैठती है। एसएससी आईटी पास आउट रिम्पी सिंह ने पिता की मौत के बाद परिस्थितियों के चलते सरकारी नौकरी छोड़ खेती की तरफ कदम बढ़ाए और अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उसने खेती-किसानी में सफलता की नई इबारत लिख दी। खेती में नवाचार करते हुए रिम्पी अब ड्रोन दीदी बनकर कामयाबी की ऊंची उड़ान भर रही है। अब तक रिम्पी राज्य स्तरीय समारोह में प्रगतिशील महिला किसान सम्मान के साथ कई पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी हैं।
परिस्थितियां बदली तो छोड़नी पड़ी नौकरी
साल 2007 में पिता दर्शन सिंह के असामयिक निधन के बाद घर की जिम्मेदारी रिम्पी के कंधों पर आ गई। उसने सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद कुछ समय एक निजी कंपनी में काम किया, लेकिन खेती नहीं संभल रही थी। इस वजह से उसने यह नौकरी भी छोड़ने का फैसला लिया। पिता के रहते कभी खेती का काम देखा तक नहीं, लेकिन परिस्थितियों के चलते रिंपी सिंह ने खेती की कमान संभाली। उसने आधुनिक कृषि की जानकारी लेने के लिए दुर्गापुरा जयपुर स्थित आईएचआईटी केन्द्र पपर ग्रीन हाउस प्रबंधन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद खेती में नवाचार करते हुए वह सफलता की राह पर बढ़ती चली गई।
पिता की डायरी बनी कामयाबी की सीढ़ी
रिम्पी ने बताया कि पिता दर्शन सिंह की डायरी उसके लिए कामयाबी की सीढ़ी बन गई, जिसमें वो खेती-किसानी के हर रोज के कामकाज को लिखा करते थे। बेटी ने पिता की डायरी को ऐसे आत्मसात किया कि खेती किसानी में उसने क्षेत्र के पुरुष किसानों को भी पीछे छोड़ दिया। कभी हाथों में कंप्यूटर माउस होता था, लेकिन बाद ट्रैक्टर का स्टीयरिंग संभालना पड़ा। अब वह खेती बाड़ी की नई-नई तकनीक को हासिल कर हर साल मुनाफे को बढ़ाने और क्षेत्र की महिलाओं को खेती किसानी में पारंगत करने का काम कर रही हैं। उसकी छोटी बहन भी खेती-किसानी में हाथ बंटाती हैं।
खेतों में लगाए आधुनिक संसाधन
खेती किसानी में दिनों दिन मिली शोहरत और मेहनत ने रिंपी सिंह को जिले की ड्रोन दीदी भी बना दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल प्रदेश घर में महिला किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ने की श्रृंखला में कोटा की ड्रोन दीदी बनने का सौभाग्य भी रिम्पी को हासिल हुआ। कंप्यूटर में पहले से जानकार रिम्पी ने ट्रेनिंग की और फिर आधुनिक खेती में ड्रोन की मदद और उन्नत किसान बन गई। रिम्पी ने बताया कि वह परम्परागत फसलों के साथ बागवानी की भी खेती करती है। इसके लिए खेत में ड्रिप सिस्टम सहित अन्य संसाधन लगा रखे हैं। इससे खेतों में उत्पादन क्षमता दो गुनी हो चुकी है।
अपनी ताकत समझें और आगे बढ़ें
रिम्पी के अनुसार ऐसा नहीं है कि महिला है तो उनके लिए कार्य का दायरा सीमित है। महिलाओं को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। महिलाएं अपनी ताकत समझें और आगे बढ़कर चुनौतियों सामना करें। फिर उन्हें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। रिम्पी ने बताया कि जब पहली बार ट्रैक्टर चलाया तो लोगों ने कहा कि ये पुरुषों का काम है, रसोई संभालो। बस यही बात मुझे चुभ गई और उसने खेती में सफल होने की ठान ली। ट्रैक्टर चलाने वाले हाथ आज ड्रोन उड़ा रहे हैं। ऐसा कोई काम नहीं है जो महिलाएं नहीं कर सकती।
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