वाहनों में बिना अनुमति के मोडिफिकेशन करा कर दे रहे हादसों को न्यौता
शहर की सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रही मोडिफाइड कार, पिकअप और मोटरसाइकिल
मोटर साइकिल और आॅटो के अलावा शहर में कारों में भी लगातार मोडिफिकेशन हो रहा है।
कोटा। शहर में बड़ी संख्या में लोग अपने वाहनों में मोडिफिकेशन करवा कर घूम रहे हैं। जो खुद के साथ दूसरों के लिए भी हादसों कारण बन रह हैं। शहर में वाहनों का मोडिफिकेशन कराने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। जहां कोई मोटर साइकिल को पिकअप में तब्दील कर रहा है तो कोई कार में कई तरह के बदलाव करा रहा है। दरअसल वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए देश में वाहनों के मूल स्वरुप में किसी भी प्रकार के रुपांतरण या मोडिफिकेशन को गैर कानूरी करार देते हुए इस पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी थी। आदेश के अनुसार कोई भी वाहन मालिक अपने वाहन के मूल स्वरुप के साथ छेड़खानी नहीं कर सकता। किसी वाहन मालिक को अगर वाहन के कुछ बदलाव करने भी हो तो उसके लिए पहले परिवहन विभाग से अनुमति लेनी होगी जिसके बाद ही वाहन में किसी भी प्रकार बदलाव किया जा सकता है।
हेडलाइट से लेकर शीशों तक में मोडिफिकेशन
मोटर साइकिल और आॅटो के अलावा शहर में कारों में भी लगातार मोडिफिकेशन हो रहा है। जिसमें कारों की विंडशिल्ड पर काली फिल्म लगाने के, हेडलाइट और टायर बदलवाने जैसे मोडिफिकेशन शामिल हैं। वाहनों में ऐसे मोडिफिकेशन होने से ये दूसरे वाहन चालकों के लिए परेशानी बन जाते हैं। इसके अलावा वाहन मालिक कंपनी से इतर ज्यादा शोर करने वाले साइलेंसर लगवा रहे हैं, जो अनावश्यक रूप से ध्वनि प्रदूषण बढ़ा रह हैं। वहीं कई वाहन मालिक अपने पिकअप ट्रकों और आॅटो में ही डीजे या बैंड बना रहे हैं, जो भी नियमानुसार गलत है। वाहन में ही डीजे फिक्स करवाने से उनके संतुलन बिगड़ने की पूरी संभावना रहती है।
मोटर साइकिल और आॅटो में लगाई ट्रॉली
शहर में रोज अजीबो गरीब तरीके से मोडिफिकेशन की तस्वीरें सामने आती हैं। जिसमें किसी ने माटर साइकिल और आॅटो में ट्रॉली लगाकर उसे लोडिंग वाहन बना लिया है। मोटर साइकिल और आॅटो में इस तरह का मोडिफिकेशन होने से उनके मूल फ्रेम पर तो असर पड़ता ही है साथ ही ये हादसों के कारण भी बनते हैं। क्योंकि बाइक का बुनयादी ढ़ांचा किसी प्रकार के लोडिंग के कार्य हेतु डिजाइन नहीं किया जाता है। रात के समय में ऐसी मोटर साइकिल से हादसे होने का पूरी संभावना रहती है क्योंकि दूसरे वाहन चालक उसे दूर से मोटर साइकिल ही मानते हैं। ऐसे ही आॅटो में भी वाहन मालिक या तो ट्रॉली लगवा लेते हैं या उसे क्षमता से अधिक बढ़ा करवा लेते हैं जिससे आॅटो का संतुलन बिगड़ना निश्चित है।
मोडिफिकेशन के लिए यह हैं नियम
मोटर व्हिकल एक्ट के तहत कोई वाहन मालिक अगर अपने वाहन में किसी भी प्रकार का बदलाव करवाना चाहता है तो उसे पहले स्थानीय परिवहन कार्यालय पर सूचना देकर बदलाव के बारे में जानकारी देनी होगी। जिसके बाद परिवहन कार्यालय उसकी जांच करने के बाद ही स्वीकृति देगा। अगर वाहन में किया जाने वाला बदलाव वाहन के मूल स्वरुप को बिगाड़ता है, वाहन के सुरक्षा स्तर या मजबुती को कम करता है तो परिवहन कार्यालय उसके लिए परमिशन नहीं देता है। वहीं वाहन मालिक को बदलाव कराने के बाद उसे रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में भी दर्ज करवाना होता है। वहीं बिना परमिशन के ऐसा करने पर वाहन को सीज किया जा सकता है या मालिक को 6 माह तक ही सजा के साथ ही वाहन में मोडिफिकेशन के बाद वाहन का बीमा भी रद्द हो जाता है।
मोटर साइकिल में ट्रॉली लगाने से ट्रैफिक में बहुत परेशानी होती है क्योंकि से दोपहिया वाहन के स्थान पर तिपहिया वाहन के बराबर जगह घेरते हैं। वहीं इनसे हादसे का भी खतरा बना रहता है। कारों में भी अलग से हेडलाइट और हॉर्न भी परेशानी पैदा करते हैं।
- मुकेश सिंह, बोरखेड़ा
वाहनों में मोडिफिकेशन पर प्रतिबंध है फिर भी शहर में जगह जगह मोडिफिकेशन के लिए दुकानें मौजूद हैं। आरटीओ कारवाई करे की इन दुकानों पर आरटीओ की अनुमति दिखाने के बाद ही मोडिफिकेशन हो सके।
- जितेंद्र शर्मा, नयापुरा
वाहनों में किसी भी प्रकार का मोडिफिकेशन करना कानुन अपराध है कोई व्यक्ति बिना अनुमति के अपने वाहन में किसी प्रकार का बदलाव नहीं कर सकता है। ऐसा करने पर वाहन सीज किया जा सकता है। बिना आरटीओ की परमिशन के वाहनों में हो रहे बदलावों के विरूद्ध कारवाई करेंगे। साथ ही जिनसे दूसरों के लिए खतरा पैदा होता है उन वाहनों सीज करेंगे।
- दिनेश सिंह सागर, आरटीओ
वाहनों में मोडिफिकेशन करना बिल्कुल गलत है, इससे खुद के साथ में दूसरों को भी परेशानी होती है। ऐसे वाहनों पर कारवाई करते हुए चालान बनाया जाता है। कई बार समझाइश भी की जाती है। पिछले साल भी 12 वाहनों पर कारवाई की गई थी, इस साल ऐसे वाहनों पर कारवाई करेंगे।
- पूरण सिंह मीणा, यातायात प्रभारी
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