अनदेखी: सातलखेड़ी में वर्षों से पेयजल टंकी की नहीं हुई सफाई
लोगों के स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़
टंकी के आसपास भी फैली हुई है गंदगी, देखरेख नहीं होने से परिसर में उगे झाड़-झंखाड़
सातलखेड़ी। सातलखेड़ी में घर-घर पेयजल सप्लाई करने के लिए बनी पानी की टंकी की हालत काफी खराब है। इसके आसपास गंदगी के ढेर जमा हैं। जानकारी के अनुसार खान और गांव के बीच बनी इस टंकी पर किसी का ध्यान नहीं होने से दिनों-दिन इसकी हालत बिगड़ती जा रही है। कस्बे में इस पानी की टंकी को बने हुए करीब 25 से 30 साल हो गए हैं। देखरेख के अभाव में अब यह जर्जर होने लगी है। इस टंकी से पाइप लाइन के जरिए सातलखेड़ी के घरों में कनेक्शन दिए गए हैं। लेकिन इस टंकी के आसपास गंदगी का अंबार लगा हुआ है। इस टंकी के माध्यम से नई बस्ती, यादव मोहल्ला, वार्ड नम्बर 21, वार्ड नम्बर 10 व गांव सातलखेड़ी के आधे से ज्यादा घरों में जल वितरण किया जाता है। लेकिन इसकी व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
नहीं होती नियमित सफाई: एक ओर जहां पानी की टंकी दुर्दशा का शिकार हो रही है, वहीं दूसरी ओर साफ-सफाई नहीं होने से कई बार दूषित पेयजल होने की आशंका बनी रहती है। जिससे पेट संबंधी रोगों के साथ डायरिया जैसी जानलेवा बीमारी फैल सकती है।
टंकी के आसपास जमा हो रही है गंदगी
कस्बे में टंकी का निर्माण तो कर दिया गया है। लेकिन देखरेख के अभाव में टंकी के आसपास काफी गंदगी व झाड़-झंकाड़ का ढेर लगा हुआ है। इस टंी से प्रतिदिन जल सप्लाई की जाती है। जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ने की आशंका बनी रहती है। वहीं गंदगी के कारण बारिश का पानी भी वहीं जमा हो रहा है। जिससे वायरल सहित अन्य मौसमी बीमारियां फैलन की आशंका भी बनी हुई है। साथ ही टंकी से निकलने वाला पानी भी परिसर में ही जमा हो रहा है। जिससे आसपास कीचड़ फैला हुआ है। साथ ही टंकियों के आसपास घास भी हो रही है। पंचायत द्वारा नगर में स्वच्छता अभियान चलाया जाता है। लेकिन रोजाना की व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता।
समय-समय पर पानी की टंकी की सफाई करवाई जानी चाहिए। क्योंकि अधिकतर बीमारियों का कारण दूषित पानी पीना है। साथ ही परिसर में हो रही गंदगी को भी साफ करवाया जाना चाहिए।
-अजय वर्मा, उपभोक्ता, सातलखेड़ी
सातलखेड़ी खान व गांव सातलखेड़ी के बीच में जो पानी की टंकी है, उसकी जल्द ही सफाई करवाई जाएगी। साथ ही परिसर में जो गंदगी हो रही है उसे भी साफ करवाया जाएगा।
-बच्चू सिंह मीणा, एईएन, जलदाय विभाग

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