रेलवे के क्यूआर कोड ने बढ़ाया तत्काल टिकट लेने वाले यात्रियों का सिरदर्द
क्यूआर से भुगतान करने वाले वेटिंग में,नगद को मिल रही कन्फर्म सीट
नगद वाले काउंटर के साथ क्यूआर कोड वाला काउंटर देने से लोगों को परेशानी हो रही है।
कोटा । यात्रियों की सुविधा बढ़ाने के लिए रेलवे ने हाल ही में आॅनलाइन पेमेंट के लिए क्यूआर कोड शुरू किया है, ताकि यात्रियों को आॅनलाइन पेमेंट करने में कोई दिक्कत न हो लेकिन तत्काल टिकट लेने वालों के लिए सिर दर्द बन रहा है। कारण की कैश से टिकट खरीदने वालों की संख्या ज्यादा है। क्यूआर कोड से भुगतान करने वालों की कम। ऐेसे में यात्रियों के लिए क्यूआर कोड काउंटर सिरदर्द बन गया है। क्यूआर कोड काउंटर से तत्काल की टिकट खरीदने वाले यात्रियों को वेटिंग का टिकट मिल रहा है, नगद वालों को कर्न्फम टिकट मिल रहा है। यात्रियों ने बताया कि नगद रकम देकर यात्रियों को तुरंत ही तत्काल टिकट मिलती है। वहीं, तत्काल का क्यूआर कोड के जरिए लिया गया टिकट रद्द कराने पर रकम वापस मिलने में 10 से 15 दिनों का वक्त लगता है। क्यूआर कोड से बनाई टिकट पर यात्रा की तारीख नहीं बदली जा सकती है। जबकि, नगद रकम देकर बनाई गई टिकट में ऐसा संभव है। इसके अलावा क्यूआर कोड स्क्रीन कर भुगतान करने के दौरान नेट संबंधी परेशानी आने तक दूसरे व्यक्ति को टिकट नहीं मिलता है। इतने में तत्काल की सीटे बुक हो जाती है और लाइन में खड़े दूसरे लोगों को वेटिंग टिकट मिलती है। ऐसे में लोगों ने क्यूआर कोड के लिए अलग काउंटर की मांग की है। नगद वाले काउंटर के साथ क्यूआर कोड वाला काउंटर देने से लोगों को परेशानी हो रही है।
80 फीसदी कैश वाले यात्री
रेलवे स्टेशन से बड़ी संख्या में यात्रियों का आवागमन होता है। आरक्षण काउंटर पर दिनभर में 80 फीसदी यात्री कैश से टिकट लेते हैं, दोनों का एक ही काउंटर होने लोगों परेशानी होती है। कैश काउंटर पर लंबी लाइनें लगी रहती है। कैश व क्यूआर कोड काउंटर अलग अलग करने यात्रियों परेशानी कम होगी।
क्यूआर कोड व कैश काउंटर एक होने से यह आ रही परेशानी
- क्यूआर कोड से वेटिंग टिकट मिल रही।
- टिकट निरस्त कराने पर सात दिन में खाते में भुगतान आता है।
- क्यूआर कोड से बनाई टिकट की तारीख नहीं बदली जा सकती है।
- नेटवर्क धीमा होने और भुगतान कर्न्फम होने तक टिकट होल्ड पर रहती है तब तक सीटे फूल हो जाती है।
- तत्काल टिकट में सबसे ज्यादा परेशानी होती है।
- भीड़ से छुटकारा और ट्रांसपेरेंसी में हुआ इजाफा
आॅनलाइन पेमेंट के चक्कर में तत्काल में मिलती वेटिंग टिकट
आॅनलाइन भुगतान में सबसे ज्यादा परेशानी तत्काल टिकट निकालने वाले यात्रियों को आती है। यहां कुछ ही देर का खेल होता सीटे जल्दी बुक हो जाती है। आॅनलाइन और कैश काउंटर एक ही होने से विंडो पर खड़े यात्री द्वारा क्यूआर कोड आॅनलाइन पेमेंट करने के दौरान कई बार नेट की समस्या आ जाती कई बार लेनदेन फैल हो जाता है और फिर से प्रोसेस शुरू करता है। इतनी देर में पीछे वाले व्यक्ति को टिकट वेटिंग चला जाताहै। दूसरा आॅनलाइन वाले को भी कर्न्फम टिकट की जगह वेटिंग टिकट मिलती है। रेलवे को आॅनलाइन भुगतान वालों के लिए अलग से विंडो रखनी चाहिए ताकि नगद भुगतान वालों को समस्या नहीं हो।
-विशाल भट्ट यात्री, निवासी नयापुरा
क्यूआर कोड के जरिए डिजिटल भुगतान की सुविधा से यात्रियों को टिकट काउंटर पर लगने वाली भीड़ से राहत मिल रही। इसके अलावा, कैश की कमी की समस्या और कैश मिलाने में लगने वाला समय भी बच जाता है। तत्काल टिकट लेने वालों को अपने साथ कैश का विकल्प भी रखना चाहिए जिससे ट्राजेक्शन फैल होने या कोई अन्य एरर आने पर नगद देकर तत्काल टिकट ली जा सकती है। इस नई व्यवस्था से टिकट खरीदने की प्रक्रिया में तेजी आई और ट्रांसपेरेंसी को भी बढ़ावा मिलेगा।
-रोहित मालवीय, सीनियर डीसीएम कोटा
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