पराली जलाने पर दिखाई सख्ती, वसूलेंगे जुर्माना
कृषि विभाग ने 5 किसानों को जारी किया नोटिस
कोटा जिले में नवम्बर माह में पांच किसानों के खिलाफ पराली जलाने की शिकायत मिली है।
कोटा। वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कोटा शहर में अब कृषि विभाग ने पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सख्ती शुरू कर दी है। विभाग ने नवम्बर माह में जिले के पांच किसानों को पराली जलाने की शिकायत के आधार पर नोटिस जारी किया है। नोटिस का जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर इन किसानों से निर्धारित जुर्माना वसूल किया जाएगा।
पराली से तैयार हो सकते हैं उत्पाद
- पराली से कम्पोस्ट खाद बनाई जा सकती है।
- अच्छी गुणवत्ता का क्राफ्ट पेपर तैयार करने के लिए पेपर मिल में पराली दे सकते हैं।
- मशरूम व स्ट्रॉबेरी की खेती में भी भूसे का प्रयोग होता है।
- रोटावेटर व रिवरसिल्ल हाइड्रोलिक फ्लो मशीन पराली को टुकड़ों में कर मिट्टी में मिला देती है जो उर्वरक का काम करती है।
- पराली को गाय भैंस के रहने के स्थान पर डाल सकते हैं। बाद में वह भी खाद का काम करेगी।
- पराली वेस्ट रिसाइकिल से जैविक खाद, जैविक ईंट, आर्गेनिक डिस्पोजेबल पतल व दोना, कोयला व तारकोल बनाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए निर्देश
सर्दी का असर बढ़ने और कोहरा छाने के कारण देश के अधिकांश जिले वायु प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं। वायु प्रदूषण बढ़ने का एक कारण खेतों में पराली जलाना भी सामने आया है। ऐसे में केन्द्र व राज्य सरकारों की तरफ से बार-बार किसानों से अपील की जा रही है कि पराली में आग नहीं लगाएं, फिर भी किसानों द्वारा पराली में आग लगाई जा रही है। जिससे काफी प्रदूषण फैल रहा है। दिल्ली सहित राजस्थान के अधिकांश जिलों में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। सुप्रीम कोर्ट ने गत 7 नवम्बर को पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश एवं राजस्थान सरकार को तत्काल पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने का निर्देश दिया है।
तीन सदस्यीय कमेटी गठित
जयपुर के उच्चाधिकारियों ने पराली जलाने पर रोक के लिए सभी जिलों में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर रखी है। जिसमें कृषि पर्यवेक्षक, पटवारी व ग्राम विकास अधिकारी शामिल है। यह कमेटी किसानों से समझाइश करती है। फिर भी किसान नहीं मानता है तो नोटिस जारी किया जाता है। इसके बाद जुर्माना वसूली के लिए उपखण्ड अधिकारी को लिखा जाता है।
तीन साल में मात्र 16 मामले
कोटा सम्भाग में पिछले तीन साल में पराली में आग लगाने की घटनाएं तो ज्यादा हुई है, लेकिन विभाग के पास रिकोर्डेड केवल 16 घटनाएं ही है। साल 2021 में 4 घटनाओं पर 10 हजार, साल 2022 में 7 घटनाओं पर 20 हजार रुपए किसानों से जुर्माना वसूला गया। इस साल नवम्बर माह में 5 घटनाएं सामने आई है जिनकी शिकायत उपखण्ड अधिकारी से की गई है। वहां से जुर्माना निर्धारित किया जाएगा।
निर्देश के बाद हरकत में आया कृषि विभाग
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद जिले का कृषि विभाग भी हरकत में आ गया। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार पराली जलाने की ज्यादा समस्या राजस्थान के श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ और हाड़ौती में कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ जिलों में है। यहां पर अधिकांश किसान फसल उत्पादन का कार्य पूरा होने के बाद पराली को जलाते हैं। कोटा जिले में नवम्बर माह में पांच किसानों के खिलाफ पराली जलाने की शिकायत मिली है। इनकों नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर इनसे जुर्माना वसूल किया जाएगा।
इनका कहना है
पराली जलाने पर सरकार ने जुर्माना तय कर रखा है। 2 एकड़ से कम भूमि पर प्रति घटना 2 हजार, 2 से 5 एकड़ पर 5 हजार व 5 एकड़ से अधिक भूमि पर पराली में आग लगाने पर 15 हजार रुपए जुर्माना तय कर रखा है।
- खेमराज शर्मा, अतिरिक्त निदेशक कृषि विभाग कोटा

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