हवा में उड़ी ऊर्जा मंत्री की शिकायत, 1 माह बाद भी भ्रष्टाचार की जांच नहीं
प्रशासन बोला- राज्य स्तरीय जांच कमेटी गठित, वन विभाग के आला अफसर बोले-हमें पता नहीं
मंत्री ने कलक्टर को पत्र लिख भ्रष्टाचार की जांच करवाने के दिए थे निर्देश
कोटा। ऊर्जा मंत्री द्वारा जिला कलक्टर को की गई कोटा वनमंडल की कनवास रेंज में भ्रष्टाचार की शिकायत को गंभीरता से लेने के बजाए अधिकारियों ने हवा में उड़ा दिया गया। एक तरफ जिला प्रशासन मंत्री की शिकायत पर जांच कमेटी गठित कर अधिकारियों को 7 दिन में रिपोर्ट देने के आदेश देता है। वहीं, दूसरी तरफ कमेटी के अफसरों ने आदेश की अवहेलना करते हुए जांच नहीं की। ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए प्रशासन उन्हें राज्य स्तरीय कमेटी गठित होने का हवाला देते हुए टीम के कोटा आने पर साथ मिलकर जांच करने को कहा जा रहा है। कमेटी कब कोटा आएगी और कब से जांच शुरू करनी है, इसके बारे में नहीं बताया गया। इधर, विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जांच के आदेश होते ही कोटा वनमंडल द्वारा कनवास रेंज में अधूरे कार्यों को युद्धस्तर पर पूरे करवाए जा रहे हैं। वहीं, राज्य व संभाग स्तरीय वन अधिकारियों को राज्य स्तरीय जांच कमेटी के गठित होने की कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में राज्य स्तरीय जांच कमेटी के वजूद में होने और भ्रष्टाचार की जांच करवाने की मंशा पर सवालिया निशान खड़े होते हैं।
जांच की आड़ में अधूरे वन कार्य पूरे करवाने का मौका: ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने गत 16 अप्रेल को कोटा वनमंडल की कनवास रेंज में वित्तीय वर्ष 2023-24 व 2024-25 में स्वीकृत किए गए वन विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की शिकायत करते हुए जिला कलक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी को जांच करवाने के लिए पत्र लिखा था। इस पर कलक्टर ने 28 अप्रेल को पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता गुण नियंत्रण तथा अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग की संयुक्त टीम गठित कर 7 दिन में यानी (8 मई तक) जांच रिपोर्ट देने के आदेश जारी किए। लेकिन, कमेटी के अफसरों ने 17 मई तक जांच शुरू करना तो दूर कनवास रेंज में कदम तक नहीं रखा। नतीजन, जांच के खेल में एक माह की देरी हो गई। जिसका फायदा कोटा वनमंडल के अधिकारियों को कागजों में पूरे बताए गए अधूरे वन विकास कार्यों को पूरा करवाने का मौका मिल गया।
वित्तीय अनियमिताएं व गुणवत्ताएं कैसे परखेंगे इंजीनियर
पर्यावरणविद् एवं एडवोकेट तपेश्वर सिंह भाटी ने बताया कि जिन कार्यों में वित्तीय भ्रष्टाचार की शिकायत ऊर्जा मंत्री द्वारा की गई है, वह सभी कार्य कच्ची प्रकृति के हैं। जिनकी जांच का जिम्मा पीडब्ल्यूडी व इरिगेशन डिपार्टमेंट के अधीक्षण अभियंता (इंजीनियर) को सौंपा है। जबकि, वित्तीय अनियमिताओं की जांच लेखा सेवा के अधिकारी करते हैं। वहीं, वन मोड्यूल्स के पैरामीटर्स पर हुए कार्यों की गुणवत्ता वन सेवा अधिकारी बेहतर कर पाएंगे। ऐसे में लोकल जांच कमेटी में अकाउंट सर्विस के अधिकारी शामिल होंगे तो कच्चे निर्माण कार्यों के भुगतान में भ्रष्टाचार पकड़ में आ सकेगा। ऐसे में जिला प्रशासन से आग्रह है कि जांच कमेटी में इन अधिकारियों को भी शामिल किया जाए।
यह है मामला
ऊर्जा मंत्री व स्थानीय विधायक हीरालाल नागर ने गत 16 अप्रेल को जिला कलक्टर को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा, सांगोद विधानसभा क्षेत्र में कोटा वनमंडल की कनवास रेंज में विभिन्न वन विकास कार्य करवाए जाने के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई थी। जिन्हें उच्च अधिकारियों द्वारा मिलीभगत कर 18 फरवरी 2025 को अनाधिकृत रूप से विड्रो कर लिया और भ्रष्टाचार करने की नियत से सभी कार्य व्यक्ति विशेष को दे दिया। यह सभी कार्य 50% दर से ही करवाकर गुणवत्ता व वित्तीय भ्रष्टाचार किया गया है। जिसकी जांच होना आवश्यक है। ऐसे में वित्तीय वर्ष 2023-24 व 2024-25 में स्वीकृत किए सभी कार्यों के साथ 17 तरह के वन विकास से संबंधित समस्त कार्यों की गुण नियंत्रण पीडब्ल्यूडी व गुण नियंत्रण जल संसाधन विभाग की संयुक्त टीम गठित कर 15 दिन में सभी कार्यों की जांच कर दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई करने का श्रम करें।
कनवास वाले मामले की जांच के लिए हमने कमेटी बनाई थी, फिर पता चला कि राज्य स्तरीय कोई जांच कमेटी बनी है, यह किस डिपार्टमेंट की है, इसकी जानकारी नहीं है। इनके साथ इन अधिकारियों को जांच के लिए भेजना है।
-मुकेश चौधरी, एडीएम प्रशासन
कोटा वनमंडल की कनवास रेंज में हुए कार्यों की जांच के लिए वन विभाग की राज्य स्तरीय टीम गठित होने की जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं है।
-सोनल जोरिहार, संभागीय मुख्य वन संरक्षक एंव क्षेत्र निदेशक कोटा वन विभाग
इस मामले में कमेटी गठित होने की जानकारी नहीं है, मैं कुछ भी नहीं कह सकता। इसके लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख (हॉफ) से बात कर सकते हैं।
-राजेश गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक, जांच एवं वन्यजीव जयपुर
जांच के संबंध में जिला कलक्टर का पत्र मिला था। अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग से मिलकर कोडिनेशन करके देखेंगे, कब जाना है। फिलहाल हमने अभी जांच शुरू नहीं की है।
-डीके विश्वकर्मा, अधीक्षण अभियंता गुणवता नियंत्रक, पीडब्ल्यूडी
जिला कलक्टर के आदेश की प्रति मिली है, जिसमें अधीक्षण अभियंता जल संसाधन कोटा लिखा है, लेकिन उसके साथ ऊर्जा मंत्री का पत्र भी है, जिसमें अधीक्षण अभियंता गुण नियंत्रक जल संसाधन लिखा है। ऐसे में कन्फ्यूजन की स्थिति हो गई। सुधार के लिए एडीएम के पास जाकर कन्फर्म करेंगे की जांच मुझे करनी है या एसई गुण नियंत्रक जल संसाधन को। आदेश की पालना की जाएगी।
-आरके जेमीनी, अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग कोटा

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