रोडवेज का फर्स्ट एड बॉक्स खुद बीमार, कैसे मिलेगा यात्रियों को उपचार
परिचालक नहीं देते यात्रियों को पैनिक बटन की जानकारी
फर्स्टएड बॉक्स में दवाइयों की जगह अनावश्यक रखे सामान।
कोटा। शहर के हृदयस्थल नयापुरा में स्थित परिवहन निगम रोडवेज की अधिकांश बसों में फर्स्टऐड बॉक्स ही नहीं है। जहां पर है उसमें दवाइयां नहीं है। ऐसे में किसी यात्री के कोई चोट या दुर्घटना होने पर प्राथमिक उपचार नहीं मिलने पर वह चोट जानलेवा बन जाती है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए वाहनों के साथ प्राथमिक उपचार के लिए दवाइयां से संबंधित जानकारी के लिए यात्रियों के साथ परिवहन के बसों के ड्राईवर व कंडेक्टर को भी जागरूक रहना जरूरी है। रोडवेज बस स्टैंड पर बस चालकों से जब फस्ट एड बॉक्स के लिए पूछता तो पहले तो चालक कहने लगे उपलब्ध है लेकिन जब खोल कर देखा तो उसमें रखा हुआ कुछ नहीं था। चालक कहने लगे दवाइयां आती ही नहीं। एक बस चालक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान सरकार की राज्य पथ परिवहन निगम की बसों में लगाए गए फस्ट एड बॉक्स शायद किसी घायल के मरहम लगाई हो। वर्षों से बसों ड्राइवर सीट के पीछे फस्ट एड बॉक्स की सार-संभाल ना के बराबर होती है। कुछ बसों में पेटिका में अनावश्यक सामान रखा हुआ है। रोडवेज बस के ड्राइवर ने नाम न छापने की स्थिति में बताया कि फर्स्टऐड बॉक्स की जानकारी न होने तथा उसका उपयोग कैसे होगा, कभी किसी ने इसकी जानकारी नहीं दी है और ना इसकी कभी सार-संभाल की जाती है। मेरी जानकारी के अनुसार एक बार यात्री को इस तरह की आवश्यकता महसूस हुई थी, रोडवेज में प्राथमिक न मिलने से उसे किसी अन्य वाहन से निजी अस्पताल में भेजा गया था।
चालक परिचालकों के लिए भी जानकारी आवश्यक
बस में यात्रा कर रहे अचानक किसी यात्री की तबीयत खराब हो जाए तो चालक-परिचालक को जानकारी होने पर ही मदद कर सकेंगे। बसों में फर्स्टऐड बॉक्सों की सार-संभाल नहीं होने से टूटे-फूटे या खाली पड़े है। वहीं चालक-परिचालकों को भी फर्स्टऐड बॉक्स में रखी दवाइयों की सार संभाल करनी चाहिए तथा संबंधित दवाइयों का उपयोग कैसे हो इसके लिए कार्यालय से प्रशिक्षण भी देना चाहिए। चालक-परिचालक को प्राथमिक उपचार की जानकारी होनी ही चाहिए।
कई बसों में नहीं मिले बॉक्स
केन्द्रीय बस स्टैंड पर खड़ी बसों में जाकर देखा तो कई बसों में मेडिकल किट भी नहीं थी। ये किट नई बस जब डिपो को हैंडल की जाती हैं तों उसमें साथ में लगी आती हंै। लेकिन कुछ महीनों में बदहाल स्थिति हो जाती है। जिन बसों में फर्स्टऐड बॉक्स में रोडवेज प्रशासन की ओर से इन्हें नहीं बदलने से यह खराब हो जाती है। जांच करने पर रोडवेज बस में एक भी बस में दवाइयां नहीं मिली जो आपात स्थिति में काम आने वाली दवाइयों हो।
पैनिक बटन भी जरूरी
रोडवेज की पुरानी बसों में पेनिक बटन का अभाव है। वहीं कुछ ब्लू लाइन में लगा हुआ है तो वह काम नहीं कर रहा है और किसी में काम कर रहा हैं तो उपयोग की जानकारी नहीं है। पैनिक बटन सभी गाड़ियों में होना चाहिए तथा यात्रियों को परिचालक द्वारा इसकी जानकारी उपलब्ध करवाना चाहिए। ताकि किसी के अनहोनी घटना ना हो।
- सुरभी शर्मा महिला यात्री
यात्रियों का ध्यान रखते हैं
पुरानी बसों को छोड़कर अब नई ब्लू लाइन बसों में फर्स्टऐड बॉक्स लगा हुआ है तथा चालक-परिचालकों को भी यात्रियों को जरूरत पड़ने पर देने के लिए अलर्ट कर रखा हैं। पैनिक बटन भी है। कई बार अनावश्यक दबाने पर खराब भी होता है। उसकी भी सार-संभाल कर रहे हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए हमने जीपीएस सिस्टम से भी ट्रेकिंग कर रहे है। ताकि यात्रियों को अनावश्यक परेशानी नहीं झेलनी पड़े।
- शूचिता गुप्ता, एमओ रोडवेज कार्यालय, कोटा

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