मनोकामना के रूप में ले जाते हैं पांच कंकर
सिंहद्वार के अंदर पाटनपोल में विराजमान हैं मनसापूर्ण गणेश, सन् 1612 में चबूतरा के रूप में स्थापित
प्राचीनकाल से श्रद्धालु अपनी मनोकामना मांगते है तथा इच्छा पूरी होने पर भेंट वगैरह भी चढ़ाते हैं।
कोटा। शिक्षा और मेडिकल हब कहलाने वाला कोटा शहर अब सिर्फ कोचिंग और किलों के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी धार्मिक धरोहरों व पर्यटन नगरी के लिए भी विख्यात हुआ है। इन्हीं में प्रमुख है... पाटनपोल क्षेत्र का सिंहद्वार, जहां पर विराजमान हैं मनसापूर्ण गणेश जी। यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है और माना जाता है कि यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। मुख्य पुजारी राजेश बोहरा व मुकेश बोहरा ने बताया कि कोटा शहर का सुबह पुराना मंदिर है। प्राचीनकाल से श्रद्धालु अपनी मनोकामना मांगते है तथा इच्छा पूरी होने पर भेंट वगैरह भी चढ़ाते हैं। गणेश की सूंड दांयी तरफ है। वैसे मान्यता दोनों तरफ की भी है। उन्होंने बताया कि इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। वर्तमान में यह कोटा शहर पाटनपोल में स्थित है। यह मंदिर 1612 का बना हुआ है। प्राचीन समय में उस समय चबूतरा पर स्थापित थे। इसके अंदर एक अन्य मूर्ति भी है जो रियायसतकालीन समय से ही यहां स्थापित है। इस मंदिर में मुख्य प्रतिमा मनसापूर्ण गणेश पाटनपोल ही है।
आज भी पारंपरिक शैली में बना है मंदिर
मंदिर पारंपरिक शैली में बना है। द्वार पर सुंदर नक्काशी और पत्थरों की कलाकृतियां देखने लायक हैं। गर्भगृह में विराजमान गणेश जी की प्रतिमा अत्यंत मनमोहक है। सुबह और शाम की आरती में जब घंटियों की ध्वनि गूंजती है, तो पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
गणेश चतुर्थी के दिन होते हैं विशेष कार्यक्रम
पुजारी मुकेश बोहरा ने बताया कि इस विशेष दिन 24 घंटे मंदिर खुला रहता हैं। यहां देर रात से श्रद्धालुओं की कतारें लग जाती है। प्राचीन से ही इसका नाम मनसापूर्ण गणेश ही है। वर्तमान में भी इसी के नाम से ही प्रसिद्ध है। मनसापूर्ण गणेश मंदिर की ख्याति कोटा क्षेत्र के अलावा अन्य राज्यों तथा विदेशों भी फैली हुई है। इस मंदिर में दूर-दराज या विदेशों से भी श्रद्धालु आते रहते हैं, ब्रिटेन व यूएसए में कोटा शहर के कई जनें रहते हैं, वो जब कोटा आते हैं पहले मंदिर आकर फिर घर जाते है। यह मंदिर सुबह 5 से रात्रि11 बजे खुला रहता है। यहां आने वाले श्रद्धालु हमेश मनसापूर्ण गणेश के दर्शनलाभ लेते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन मंदिर को आकर्षक फूलों से सजाया जाता है तथा पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। उसके स्वर्ण शृंगार करते हैं। आने वाले सभी श्रद्धालु मंदिर में सजी गणेश प्रतिमा के दर्शन करते है। तथा अपना मनोकामना मांगते है। उनके इच्छी पूरी होने पर भेंट भी चढ़ाते है।
धोबी को दिए थे सपने में दर्शन
ऐसी किंवदती है कि भट्ट घाट पर धोबी कपड़े धोता था। उसके सपने में गणेश जी आए तब गणेश जी मूर्ति अपने कंधे पर लाकर चबूतरे पर लाकर रख दी तब यही स्थापित हो गई। उस समय काफी जंगल हुआ करता था। पहले सड़क काफी ऊंची थी। आज वर्तमान में सड़क व मंदिर का लेवल भी लगभग बराबर सा हो गया है। राजा-महाराजा से ही मनसापूर्ण गणेश जी पूजा की जा रही है। यहां आने वाले श्रद्धालु मन ही मन में अपनी मनोकामना बोल जाते हैं। जब भी मनोकामना पूरी भी होती है, वापस आकर धोक लगाकर अपनी इच्छानुसार भेंट चढ़ा जाते है। इतिहासकार फिरोज ने राजा भोज का जिक्र भी किया है। पुराने समय में यहां मुक्तिधाम हुआ करता था। चारों तरफ जंगली इलाका था।
बुधवार को रहती है भीड़
मनसापूर्ण गणेश का दिन बुधवार होने के कारण सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग जाती हैं।शाम को आरती के समय पूरा पाटनपोल क्षेत्र भक्तिमय माहौल में बदल जाता है। कोटा आने वाले पर्यटक सिर्फ किला या चम्बल गार्डन ही नहीं देखते, बल्कि भीतर शहर में स्थित पाटनपोल मनसापूर्ण गणेश मंदिर में भी दर्शन के लिए आते हैं। पाटनपोल के व्यस्त बाजार क्षेत्र में स्थित होने के कारण यहां हर समय रौनक छाई रहती है। वर्तमान युग में भी इस मंदिर की पवित्रता बनी हुई है। लोग मोबाइल और सोशल मीडिया के दौर में भी यहां पारंपरिक ढंग से पूजा-अर्चना करते हैं। यहां का ट्रस्ट नहीं है। इस मंदिर में पीढी दर पीढ़ी ही पूजा चली आ रही है। यहां अब आठवीं पीढ़ी पूजा कर रही है। बुधवार के अलावा भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है। यह मनसापूर्ण मंदिर आस्था और विश्वास का प्रतीक है।
मंदिर का है ऐतिहासिक महत्व
- सिंहद्वार कोटा के पुराने शहर का द्वार है।
- कहा जाता है कि नगर के रक्षार्थ और शुभता के प्रतीक के रूप में यहां मनसापूर्ण गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई।
- समय के साथ यह स्थान अब मनसापूर्ण गणेश नाम से विख्यात है।
ल्ल स्थानीय परंपरा के अनुसार, नगर के लोग किसी भी कार्य की शुरूआत से पहले यहां मनसापूर्ण गणेश के दर्शन से करते है।
श्रद्धालुओं में है अटूट आस्था
- गणेश जी को विघ्नहर्ता और मंगलकारी माना जाता है।
- यहां आने वाले भक्त मानते हैं कि व्यापार, संतान, शिक्षा या किसी भी मनोकामना की मनसापूर्ण गणेश ही करते है।
- कई श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद अपनी प्रिय चीज व भेंट भी अर्पित करते हैं।
- गणेश चतुर्थी पर आकर्षक फूलों व स्वर्ण शृंगार होता है।
- मंदिर को फूलों और रोशनियों से सजाया जाता है।
- विशेष स्वर्ण श्रृंगार और भव्य महाआरती का आयोजन होता है।

Comment List