एमपीयूएटी में प्रगतिशील किसानों से संवाद : नई तकनीक और नवाचार से ही विकसित भारत का लक्ष्य संभव- राज्यपाल
महाराणा प्रताप के काल में लिखित प्राचीन कृषि ज्ञान का हो संरक्षण
जिनके प्रयास और श्रम से हम आजादी के 75 सालों में आयातक से निर्यातक बन सके। वर्तमान में बढ़ती आबादी और घटती कृषि भूमि को देखते हुए उत्पादन बढ़ाना अहम आवश्यक है।
उदयपुर। राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने कहा कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमें नई तकनीकों का उपयोग और नवाचारों को बढ़ावा देना होगा। विकास को समावेशी बनाने के लिए कृषकों की आय में पर्याप्त और स्थायी रूप से सुधार करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने यह आह्वान मंगलवार को एमपीयूएटी के राजस्थान कृषि महाविद्यालय सभागार में प्रगतिशील किसानों से संवाद कार्यक्रम में किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के अन्नदाता की ताकत और जीवंतता, राष्ट्र के समग्र सशक्तिकरण और समृद्धि से निकटता से जुड़ी हुई है। समाज के इस महत्वपूर्ण वर्ग के उत्थान के लिए हमें हरसंभव प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अन्नदाता के प्रति कृतज्ञ हूं, जिनके प्रयास और श्रम से हम आजादी के 75 सालों में आयातक से निर्यातक बन सके। वर्तमान में बढ़ती आबादी और घटती कृषि भूमि को देखते हुए उत्पादन बढ़ाना अहम आवश्यक है।
पर्यावरण महोत्सव में की शिरकत
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे़ ने कहा कि प्रदेश की हर तहसील में पिपलांत्री जैसा गांव होना चाहिए। राजस्थान में भूमि की कोई कमी नहीं है, जरूरत है तो इच्छा शक्ति की। इस अवसर पर उन्होंने अमृता देवी के नेतृत्व में वृक्षों को बचाने के लिए बिश्नोई समुदाय के 363 लोगों के बलिदान को नमन किया और ग्रामीणों से अपील की कि वे बेटियों को पढ़ाने-लिखाने में कोई कमी न रखें। राज्यपाल मंगलवार को पर्यावरण संरक्षण के मॉडल ग्राम पिपलांत्री में हुए पर्यावरण महोत्सव को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पर्यावरणविद श्यामसुंदर पालीवाल के प्रयासों से आज यहां चारों ओर हरियाली दिखाई देती है। यह गत 19 वषार्ें में जनप्रतिनिधियों, प्रशासन और ग्रामीणों के पर्यावरण के प्रति प्रेम, आत्मीयता, समर्पण का परिणाम है। यहां ग्रामीणों ने न सिर्फ पौधे लगाए, बल्कि उन्हें जीवित भी रखा। हर बेटी के जन्म पर 111 पौधे लगाना अपने आप में अनुपम उदाहरण है। इस दौरान बच्चियों ने राज्यपाल की कलाई पर राखी बांधी, तो राज्यपाल ने पीपल का पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
शोधपीठ का अवलोकन
इस अवसर पर राज्यपाल ने महाविद्यालय में स्थापित महाराणा प्रताप शोध पीठ का अवलोकन करते हुए प्रसन्नता व्यक्त करते कहा कि इस पीठ के माध्यम से महाराणा प्रताप के कृतित्व और व्यक्तित्व पर विश्व विद्यालय में निरन्तर शोध कार्य हो रहे हैं, जो अत्यंत प्रभावशाली है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप ने मुगलों से संघर्ष के दौर में कृषि नीति का प्रवर्तन किया और कृषि उन्नयन पर जोर दिया। प्राचीन काल से मेवाड़ में खेती की महत्ता को समझा जाता रहा है। महाराणा प्रताप के काल में पंडित चक्रपाणी मिश्र द्वारा लिखित ग्रन्थ विश्व वल्लभ जैसे प्राचीन कृषि ज्ञान के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से संवाद करते हअपनी मेहनत और बुद्धि कौशल के बल पर प्रथम आने की बात कही।

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