4 साल बाद भी आधी-अधूरी व्यवस्थाओं के बीच दौड़ रहीं सिटी बसें : न पैनिक बटन न आरटीआर, चरमरा रही पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्थाएं

यात्रियों को होती है परेशानियां

4 साल बाद भी आधी-अधूरी व्यवस्थाओं के बीच दौड़ रहीं सिटी बसें : न पैनिक बटन न आरटीआर, चरमरा रही पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्थाएं

मामले में संचालनकर्ता फर्म ने दर्जनों बार निगम और जिला प्रशासन को भी इस संबंध में सूचित किया है लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है।

उदयपुर। निगम के उदयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड (यूसीटीएसएल) की शहर में संचालित हो रही सिटी बसें चार साल बाद भी आधी-अधूरी तैयारियों पर ही निर्भर है। अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पूरे प्रदेश में जहां सिटी बसों का संचालन हो रहा है, वहां महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से पैनिक बटन लगाया गया है लेकिन उदयपुर में संचालित हो रही किसी भी सिटी बस में यह सुविधा अब तक उपलब्ध नहीं करवाई गई है। इतना ही नहीं वर्तमान में इन सिटी बसों पर शहरवासियों की इतनी निर्भरता हो गई है कि लोग इसमें ही यात्रा करना चाहते हैं लेकिन अब तक रियल टाइम रिपोर्ट (आरटीआर) का कंसेप्ट अब तक नहीं जोड़ा गया है। शहर में इन सिटी बसों के ठहराव को लेकर जो स्टैंड बनाए गए थे वे भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए हैं। बता दें  इन स्टैंड पर एलईडी आदि लगाकर हर बस के आने-जाने का समय प्रदर्शित किया जाना था। साथ ही इन सिटी बसों में एडवांस बुकिंग को लेकर भी कंसेप्ट शुरु किया जाना था, जो आज दिन तक नहीं हो पाया है। 

यात्रियों को होती है परेशानियां
सिटी बसों में सफर करने वाले यात्रियों को सफर के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बावजूद इसके भी बसों में पैनिक बटन नहीं होने से सारी स्थितियां विपरीत हो जाती है। इन सिटी बसों में जेब कटना और चोरी होने की घटनाएं तो सामान्य बात है। संचालनकर्ता फर्म ने दर्जनों बार विभिन्न थानों में इस संबंध में मामले दर्ज करवाएं हैं। वहीं कई बार तो ऐसी गैंग भी पुलिस के हत्थे चढ़ी है जो इन सिटी बसों में लड़ाई झगड़े कर यात्रियों के मोबाइल और पर्स चुराने का कार्य करते थे। इतना ही नहीं इन सिटी बसों में यात्री ही नहीं कर्मचारी भी सुरक्षित नहीं है। निजी ट्रेवल एजेंसियों द्वारा सवारियों को बिठाने के फेर में इन सिटी बस के चालक-परिचालक के साथ मारपीट करने से भी नहीं चुकते है। इतनी घटनाएं होने के बावजूद अब तक इन सिटी बसों में सुरक्षा के मापदंड स्थापित नहीं किए गए हैं। 

निगम की मॉनिटरिंग भी नहीं
मामले में संचालनकर्ता फर्म ने दर्जनों बार निगम और जिला प्रशासन को भी इस संबंध में सूचित किया है लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है। हर घटना के बाद सिर्फ आश्वासन दिया जाता है और सारा जिम्मा पुलिस प्रशासन पर छोड़ दिया जाता है। 
मामले में जिला परिवहन विभाग की तरफ से कोई गंभीरता नहीं बरती जा रही है। निजी ट्रावेल्स एजेंसी की मनमानी इतनी हावी है कि कई मार्गों पर सिटी बसों के संचालन में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 

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