मोहम्मद यूनुस को गद्दी पर बैठाने वाले नाराज, बढ़ती कट्टरता पर भड़की बीएनपी
बीते साल शेख हसीना के तख्तापलट बीएनपी ने यूनुस को खुला समर्थन दिया था
बांग्लादेश में बेलगाम होते दक्षिणपंथी संगठनों, भीड़ की हिंसा, बढ़ते कट्टरवाद और बिगड़ती कानून व्यवस्था पर बीएनपी ने चिंता जताई है
ढाका। बांग्लादेश में बेलगाम होते दक्षिणपंथी संगठनों, भीड़ की हिंसा, बढ़ते कट्टरवाद और बिगड़ती कानून व्यवस्था पर बीएनपी ने चिंता जताई है। पार्टी का कहना है कि यूनुस की अंतरिम सरकार में ये समस्या बढ़ी है। बीएनपी का यूनुस सरकार को कटघरे में खड़ा करना इसलिए अहम है क्योंकि यह पार्टी शेख हसीना की अवामी लीग की मुख्य प्रतिदंद्वी रही है। बीते साल शेख हसीना के तख्तापलट बीएनपी ने यूनुस को खुला समर्थन दिया था। ऐसे में बीएनपी की नाराजगी यूनुस की कुर्सी के लिए भी खतरा बन सकती है। शेख हसीना के ढाका छोड़ने के बाद बीएनपी बांग्लादेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने यूनुस सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि भीड़ के हमले सबसे गंभीर समस्या बनकर उभरे हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए बीएनपी महासचिव फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि अनियंत्रित भीड़ की हिंसा बांग्लादेश का भारी नुकसान करेगी। बीएनपी को दक्षिणपंथी रुख वाली पार्टी माना जाता है लेकिन यूनुस की कट्टरपंथियों को खुली छूट से वह भी खुद को असहज पा रही है।
समाज में उदारता जरूरी: बीएनपी
बीएनपी के सीनियर नेता आलमगीर ने ऐसे कट्टरपंथी समूहों पर चिंता जताई, जो खुलेतौर पर शरिया की हिमायत करते हैं। ये गुट महिलाओं, अल्पसंख्यकों और लिबरल आवाजों पर हमलावर हैं। आलमगीर ने कहा, ये समावेशी, उदार और लोकतांत्रिक समाज बनाने के बीएनपी के दृष्टिकोण के उलट हैं। ऐसी ताकतें यूनुस सरकार में काफी ज्यादा मजबूत हुई हैं।
आलमगीर की यह टिप्पणी बांग्लादेश में हिंसा की दो भयावह घटनाओं के एक दिन बाद आई है। एक घटना में भीड़ ने एक सूफी आध्यात्मिक व्यक्ति की कब्र को अपवित्र करते हुए उनको शव को जला दिया। भीड़ की हिंसा के दूसरे मामले में भीड़ ने पूर्व पीएम हसीना की अवामी लीग की सहयोगी जातीय पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आग लगा दी।
बांग्लादेश में हिंसा
बीआरएसी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड डेवलपमेंटऔर वॉयस फॉर रिफॉर्म के पिछले महीने किए गए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में सामने आया है कि 80 प्रतिशत बांग्लादेशी बढ़ती भीड़ हिंसा को लेकर चिंतित है। एक बड़ा हिस्सा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर फिक्र में है। ह्यूमन राइट्स सपोर्ट सोसाइटी के अनुसार, अकेले अगस्त में देश भर में 38 मॉब लिंचिंग की घटनाओं में कम से कम 25 लोग मारे गए। बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों के बाद बीते साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार गिर गई थी। इसके बाद यूनुस के नेतृत्व में देश में अंतरिम सरकार चल रही है। हसीना को मध्यमार्गी राजनीति के लिए जाना जाता है। वहीं यूनुस सरकार खुलकर अति दक्षिणपंथी गुटों का समर्थन कर रही है। इसने देश में भीड़ की हिंसा को बढ़ावा दिया है। अल्पसंख्यकों, धर्मनिरपेक्षता के हिमायतियों और महिलाओं पर लगातार हमले हो रहे हैं।

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