ब्रिटेन ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ लिया बड़ा एक्शन, नई संधि के तहत फ्रांस भेजे जाने वाला पहला व्यक्ति बना भारतीय नागरिक
सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
इंग्लिश चैनल को एक छोटी नाव से कथित तौर पर पार करके अवैध रूप से ब्रिटेन पहुंचा भारतीय नागरिक ऐसा पहला व्यक्ति बन गया, जिसे एक नई संधि के तहत गुरुवार को फ्रांस वापस भेजा गया
लंदन। इंग्लिश चैनल को एक छोटी नाव से कथित तौर पर पार करके अवैध रूप से ब्रिटेन पहुंचा भारतीय नागरिक ऐसा पहला व्यक्ति बन गया, जिसे एक नई संधि के तहत गुरुवार को फ्रांस वापस भेजा गया। बताया जा रहा है कि व्यक्ति अगस्त की शुरूआत में ब्रिटेन पहुंचा था और उसे हाल में ब्रिटेन-फ्रांस वापसी संधि के तहत हुए तथाकथित वन-इन, वन-आउट समझौते के तहत हीथ्रो हवाई अड्डे से एक वाणिज्यिक उड़ान से पेरिस भेजा गया। ब्रिटेन की गृह मंत्री शबाना महमूद ने इसे चैनल के पार मानव तस्करों द्वारा किए जा रहे अवैध प्रवासन पर अंकुश लगाने के सरकार के प्रयास में एक महत्वपूर्ण पहला कदम बताया।
सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
महमूद ने कहा, यह हमारी सीमाओं की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहला कदम है। यह छोटी नावों से आने वाले लोगों को संदेश देता है: अगर आप अवैध रूप से ब्रिटेन में प्रवेश करते हैं, तो हम आपको वापस भेजने की कोशिश करेंगे।
उन्होंने कहा, मैं निष्कासन को विफल करने के अदालतों में अंतिम समय किए गए किसी भी प्रयास को चुनौती देती रहूंगी। ब्रिटेन हमेशा उन लोगों की मदद करने में अपनी भूमिका निभाएगा जो वास्तव में उत्पीड़न से भाग रहे हैं, लेकिन यह सुरक्षित, कानूनी जरिये किया जाना चाहिए।
ब्रिटेन में सैकड़ों भारतीय हिरासत में
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि निर्वासित व्यक्ति एक भारतीय नागरिक है, जिसे फ्रांस लौटने पर अपने देश में स्वैच्छिक वापसी के लिए भुगतान की पेशकश की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि अगर वह स्वैच्छिक योजना को स्वीकार नहीं करता है, तो वह शरण के लिए आवेदन नहीं कर पाएगा और उसे जबरन निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है। यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब अगस्त में गृह मंत्रालय ने एक आधिकारिक आंकड़ा जारी किया था, जिसमें दावा किया गया था कि अवैध आव्रजन पर ब्रिटेन की व्यापक कार्रवाई के तहत हिरासत में लिए गए भारतीय नागरिकों की संख्या पिछले एक साल में लगभग दोगुनी हो गई है। आंकड़े के अनुसार, ब्रिटेन के आव्रजन कानून के उल्लंघन के तहत 2,715 भारतीय हिरासत में रखा जाना दर्ज किया गया था।

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