मानव निर्मित अकाल से जूझ रहा है गाजा : आईपीसी
एंटोनियो गुटेरेस ने भी गाजा अकाल को मानवता की विफलता के रूप में स्वीकार किया
इजरायल और फिलस्तीन के बीच लंबे समय से चल रहे युद्ध के कारण गाजा मानव निर्मित अकाल का सामना कर रहा है और मानवीय सहायता पहुंचने में उत्पन्न हो रही बाधा के कारण वहां की स्थिति और गंभीर होती जा रही है
दुबई। इजरायल और फिलस्तीन के बीच लंबे समय से चल रहे युद्ध के कारण गाजा मानव निर्मित अकाल का सामना कर रहा है और मानवीय सहायता पहुंचने में उत्पन्न हो रही बाधा के कारण वहां की स्थिति और गंभीर होती जा रही है। एकीकृत खाद्य सुरक्षा चरण वर्गीकरण (आईपीसी) की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि गाजा क्षेत्र मानव निर्मित अकाल का सामना कर रहा है और इसे रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि आईपीसी की रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित है। रिपोर्ट में कहा गया है, यह अकाल पूरी तरह से मानव निर्मित है, इसलिए इसे रोका और पलटा जा सकता है। बहस और झिझक का समय बीत चुका है, भुखमरी बढ़ रही है और तेजी से फैल रही है। किसी के मन में इस पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए और अकाल को रोकने के लिए तत्काल व्यापक कार्रवाई की आवश्यकता है। आईपीसी ने तत्काल युद्धविराम का आह्वान करते हुए कहा कि गाजा पट्टी में सभी तक मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए तत्काल युद्ध विराम की आवश्यकता है।
सहायता के अभाव में अकाल के कारण लोग तेजी को काल का ग्रास बन रहे हैं। गाजा में लगभग दो वर्षों के युद्ध के दौरान इज़रायल ने कई बार इस क्षेत्र में सहायता पहुंचाने पर रोक लगायी है। यहाँ कुछ लोग भूख से मर गए तो कुछ लोग गाजा मानवतावादी फाउंडेशन (जीएचएफ) द्वारा संचालित वितरण स्थलों पर सहायता प्राप्त करने की कोशिश में मारे गए। उल्लेखनीय है कि जीएचएफ को संयुक्त राष्ट्र की सहायता प्रणाली कि जगह लाया गया था और इसे अमेरिका और इजरायल का समर्थन प्राप्त है। पर्याप्त सहायता पहुंचाने की असमर्थता के कारण जीएचएफ की आलोचना होती रही है। इस बीच गाजा में सहायता वितरित करने वाली इज़रायली एजेंसी कॉर्डिनेशन ऑफ गवर्नमेंट एक्टिविटिज इन द टेरेटरीज (सीओजीएटी) ने आईपीसी रिपोर्ट को खारिज कर दिया और कहा कि यह हमास से प्राप्त आंशिक, पक्षपाती आंकड़ों और सतही जानकारी पर आधारित है। हालांकि अभी हाल ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी गाजा अकाल को एक मानव निर्मित आपदा, एक नैतिक अभियोग और मानवता की विफलता के रूप में स्वीकार किया।

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