आईएसएस से जुड़ा एक्सिओम-4 मिशन : अंतरिक्ष में जय-जय हिंदुस्तान, रच गया इतिहास; आईएसएस में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने शुभांशु
एक्सिओम मिशन -4 एक निजी उड़ान मिशन
एक्सिओम-4 मिशन का स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से जुड़ गया और इसके साथ ही, भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रच दिया
फ्लोरिडा। एक्सिओम-4 मिशन का स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से जुड़ गया और इसके साथ ही, भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रच दिया। वह आईएसएस में पहुंचने वाले पहले भारतीय बन गए। भारतीय अंतरिक्ष आकांक्षाओं के लिए एक बड़ी छलांग लगाते हुए भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज इतिहास में तब दर्ज हो गए जब ड्रैगन कैप्सूल आईएसएस पर हार्मनी मॉड्यूल से भारतीय समयानुसार शाम साढ़े चार बजे धीरे-धीरे जुड़ गया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इसकी पुष्टि की है। ग्रुप कैप्टन शुक्ला इस मिशन के पायलट हैं। इस मिशन ने कल फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी थी। मिशन में ग्रुप कैप्टन शुक्ला के साथ पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्निएव्स्की और हंगरी के टिबोर कपू गए हैं।
अब आगे शुरू होंगे शोध प्रयोग
इस मिशन से भारत ने न केवल अपने अंतरिक्ष सपनों को फिर से जगाया है, बल्कि वाणिज्यिक और सहयोगी अंतरिक्ष शोध के नए युग में अपनी जगह भी बनाई है। एक्सिओम-4 टीम अब आईएसएस पर अपने शोध प्रयोगों और कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू करते हुए विज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाने के अपने मिशन को जारी रखेगी।
एक्सिओम मिशन -4 एक निजी उड़ान मिशन
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में शोध करना और नई तकनीक का परीक्षण करना है। एक्सिओम मिशन -4 एक निजी उड़ान मिशन है। अमेरिका की प्राइवेट स्पेस कंपनी एक्सिओम स्पेस और नासा के सहयोग से इसे अंजाम दिया गया है। एक्सिओम स्पेस का यह चौथा मिशन है।
शुभांशु का यह अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा
नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए समझौते के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु आईएसएस पर जाने वाले पहले और अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। आज से 41 साल पहले भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर राकेश शर्मा ने वर्ष 1984 में सोवियत संघ के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी। ग्रुप कैप्टन शुभांशु का यह अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा। इसके वर्ष 2027 में लॉन्च होने की संभावना है।
ये हमारे लिए गर्व का पल है। दुआओं और समर्थन के लिए हम सबका धन्यवाद करते हैं। हमें बहुत खुशी है। सफल डॉकिंग हुई है। भगवान का शुक्रिया। ये बहुत अहम पड़ाव था। जिस तरह से मेहनत करके उसने सफलता हासिल की है, उसके लिए बेटे पर गर्व है। हमारा बेटा शुरू से ही तेज रहा है। इस स्कूल ने बहुत सिखाया है उसे। पूरी तरह अपने आप को गौरवशाली मान रहे हैं। उसकी उपलब्धि हमारी उपलब्धि है।
-शंभु दयाल शुक्ला, शुधांशु के पिता
वेलकम ड्रिंक से स्वागत
चारों एस्ट्रोनॉट का स्टेशन पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों ने स्वागत किया। इसके बाद चारों मेहमानों को वेलकम ड्रिंक दी गई। इसी के साथ भारत का स्पेस स्टेशन पहुंचने का सपना पूरा हो गया। अब अगले 14 दिन ही ये स्टेशन रहेंगे।

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