रूस ने फिर शुरू किया मिग-41 प्रोजेक्ट, निशाने पर अमेरिका का एफ-35 फाइटर जेट

मिग-41 को एंटी-सैटेलाइट मिशन के लिए भी रूस डिजाइन कर रहा

रूस ने फिर शुरू किया मिग-41 प्रोजेक्ट, निशाने पर अमेरिका का एफ-35 फाइटर जेट

अमेरिका के एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट को इंटरसेप्ट करने के लिए रूस ने अपने मिग-41 प्रोजेक्ट के अंतिम डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया है

मॉस्को। अमेरिका के एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट को इंटरसेप्ट करने के लिए रूस ने अपने मिग-41 प्रोजेक्ट के अंतिम डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया है। इस जेट का मकसद हाइपरसोनिक मिसाइलों के जरिए अमेरिकी एफ-35 जैसे स्टील्थ फाइटर जेट का मुकाबला करना है। रूसी वायु सेना रिटायर्ड कमांडर व्लादिमीर पोपोव ने 16 सितंबर 2025 को रशिया टुडे को बताया है, कि मिग-41 लंबी दूरी के इंटरसेप्टर ने अपना बाहरी डिजाइन स्टेज को पूरा कर लिया है और आने वाले वर्षों में प्रोटोटाइप का फ्लाइट जेस्ट होगा। इस विमान को रूसी मिग-31 के उत्तराधिकारी के रूप में बनाया जा रहा है , जिसका मकसद हाइपरसोनिक मिसाइलों, एफ-35 जैसे स्टील्थ विमानों और यहां तक कि उपग्रहों का मुकाबला करना भी है। पोपोव ने दावा किया कि रूस का अगली पीढ़ी का लंबी दूरी का इंटरसेप्टर, जिसे पाक डीपी कार्यक्रम के तहत मिग-41 कहा जाता है, वो उस चरण में पहुंच गया है जहां इसके बाहरी विन्यास को अंतिम रूप दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ वर्षों में प्रोटोटाइप अपनी पहली उड़ान भरेगा।

एफ-35 को मारने रूस बना रहा मिग-41
आपको बता दें कि मिग-41 की क्षमता पारंपरिक इंटरसेप्टर्स से काफी ज्यादा बताई जा रही है। आर्मी रिकॉग्निशन वेबसाइट के मुताबिक यह विमान मैक 4 से ज्यादा स्पीड यानि करीब 4,800 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड हासिल कर सकता है। इसके अलावा ये नियर-स्पेस अल्टीट्यूड यानि 80,000 फीट तक तक पहुंचने और हाइपरसोनिक और स्टील्थ टारगेट्स को निशाना बनाने में सक्षम होगा। इसके अलावा यह विमान पायलट के साथ और बिना पायलट के (ड्रोन) दोनों वर्जन में उपलब्ध होगा। मिग-41 में ऐसे सेंसर और रडार लगाए जाएंगे, जो एक साथ कई टारगेट्स को लॉक कर सकेंगे और लंबी दूरी तक निगरानी रख सकेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह रूस की आर्कटिक डिफेंस स्ट्रैटेजी में भी अहम भूमिका निभा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक मिग-41 को एंटी-सैटेलाइट मिशन के लिए भी रूस डिजाइन कर रहा है। इसका मतलब ये हुआ कि ये लो-अर्थ आॅर्बिट में मौजूद उपग्रहों को भी निशाना बना सकेगा। इसके लिए इसमें स्पेशल एयर-टू-स्पेस मिसाइलें लगाने का भी प्लान किया गया है। वहीं बात अगर हथियारों की करें तो इसमें एमपीकेआर डीपी मिसाइल सिस्टम लगाया जाएगा। यह एक ऐसा मल्टी-पर्पज सिस्टम होगा जो एक बड़े मिसाइल से कई छोटे सब-मिसाइल्स छोड़ सकता है, जिससे हाइपरसोनिक और अत्यधिक तेज टारगेट्स को निशाना बनाने की संभावना काफी बढ़ जाएगी। इन हथियारों के साथ यह फाइटर जेट एडवांस्ड रडार, लेजर डिफेंस सिस्टम और कंबाइंड साइकिल इंजन जैसी तकनीकों से लैस होगा। इसका इंजन एसयू-57 के इंजन का एडवांस्ड वर्जन बताया जा रहा है।

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