रूस दे रहा चीन की सेना को हमले का प्रशिक्षण : 2 वर्ष के भीतर ही हमले की योजना, दस्तावेजों के विश्लेषण के आधार पर किया दावा 

कई देशों की चिंता को बढ़ा दिया है

रूस दे रहा चीन की सेना को हमले का प्रशिक्षण : 2 वर्ष के भीतर ही हमले की योजना, दस्तावेजों के विश्लेषण के आधार पर किया दावा 

यह विश्लेषण कहता है रूस चीन को सैन्य उपकरण, तकनीक और ट्रेनिंग दे रहा है। इससे बीजिंग ताइवान पर हवाई हमले की तैयारी कर सकता है।

लंदन। रूस चीनी सेनाओं को ताइवान पर हमले और उस पर कब्जा करने का प्रशिक्षण दे रहा है। चीन की ओर से ताइवान पर अगले 2 साल में हमला किया जा सकता है। इसके लिए रूस की ओर से चीन को खास मदद की जा रही है। ब्रिटेन के लंदन स्थित एक संस्था ने लीक रूसी दस्तावेजों के विश्लेषण के आधार पर यह दावा किया है। यह विश्लेषण कहता है रूस चीन को सैन्य उपकरण, तकनीक और ट्रेनिंग दे रहा है। इससे बीजिंग ताइवान पर हवाई हमले की तैयारी कर सकता है। इस दावे ने ताइवान समेत कई देशों की चिंता को बढ़ा दिया है।

मास्को से चीन को मिलने वाले मदद की सूची काफी लम्बी
रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट ने रूस के 800 पृष्ठों के दस्तावेजों को छाना है। इनमें ब्लैक मून ऐक्टिविस्ट समूह से डील और मॉस्को की ओर से बीजिंग को दिए जाने वाले सैन्य उपकरणों की सूची है। दस्तावेजों में चीनी और रूसी प्रतिनिधिमंडलों के बीच बैठकों का भी उल्लेख है। इसमें विशेष हथियारों के लिए भुगतान और डिलीवरी की समयसीमा पर चर्चा है। एक्सपर्ट का कहना है कि इन उपकरणों का इस्तेमाल ताइवान पर आक्रमण के लिए हो सकता है। 

जिनपिंग ने दिया सेना को तैयार रहने का आदेश 
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि जिनपिंग ने चीनी सेना को 2027 की शुरूआत में ताइवान पर संभावित आक्रमण के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है। दस्तावेजों में हालांकि ताइवान का सीधेतौर पर जिक्र नहीं है। संस्थान के विश्लेषण से पता चलता है कि इस चीन को रूस से उन्नत पैराशूटिंग क्षमता मिलेगी, जिनकी उसे आक्रमण में जरूरत होगी। डैनिल्युक ने कहा कि रूसी उपकरणों और चीन में प्रशिक्षण तक पहुंच का मतलब है कि बीजिंग आक्रमण के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होगा। उनका कहना है कि चीनी हवाई लैंडिंग स्कूल अभी बहुत नया है। ऐसे में रूस की सहायता से चीन के हवाई कार्यक्रम में 10 से 15 साल की तेजी आ सकती है। इस रिपोर्ट पर रूस, चीन या ताइवान ने प्रतिक्रिया नहीं दी है।

ओलेक्सांद्र डैनिल्युक और जैक वाटलिंग लिखते हैं कि चीन के लिए इस समझौते की सबसे ज्यादा अहमियत पैराशूट बलों की ट्रेनिंग और कमांड नियंत्रण में है। रूस के पास इस तरह के युद्ध का अनुभव है जबकि चीन के पास ऐसा तजुर्बा नहीं है। विश्लेषकों का कहना है कि बीजिंग की सैन्य क्षमता मॉस्को से ज्यादा है लेकिन इन क्षेत्रों में उसे रूस से मदद की जरूरत है। विश्लेषण के अनुसार रूसी अधिकारियों की ओर से चीन में प्रशिक्षण और एक हवाई बटालियन के लिए उपकरणों का सेट मिलेगा। इसमें 37 हल्के वाहन, 11 एंटी-टैंक स्वचालित बंदूकें, 11 हवाई बख्तरबंद कार्मिक वाहक, साथ ही कमांड और निगरानी वाहन शामिल हैं। इनकी कुल लागत 210 मिलियन डॉलर से अधिक बताई गई है।

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