विरोधियों की कड़वी बातों पर ध्यान ना दें और सबको साथ लेकर चलें : थरूर

लोकतंत्र में दो लोगों की राय में फर्क हो सकता

विरोधियों की कड़वी बातों पर ध्यान ना दें और सबको साथ लेकर चलें : थरूर

ज्यूडिशियरी पर उठ रहे सवालों पर थरूर ने कहा सवाल पूछना ज्यूडिशियरी को दबाने का संकेत नहीं है। संविधान में ज्यूडिशियरी को स्वतंत्र और स्वायत्त स्टेटस दिया है।

नवज्योति,जयपुर। वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. शशि थरूर ने जेएलएफ में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में एक सवाल पर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को नकारा-निकम्मा, गद्दार-कोरोना कहने पर यह स्वीकार किया कि ऐसा नहीं कहना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुस्से में ऐसे बोल निकल जाते हैं, कोशिश करनी चाहिए ना निकले। अपने साथियों के बारे में बोलने से पहले सोच विचार करें। किसी को भी ऐसा कहने के लिए या उकसाने वाली बातों से बचना चाहिए। मैं भी विरोधियों की कड़वी बातों पर ध्यान नहीं देता, बल्कि उनका दृष्टिकोण समझकर मैटर सुलझा लेते हैं। सभी सीनियर, जूनियर लीडर्स और वर्कर्स से कहना चाहूंगा कि अपने सहयोगियों को भी साथ लेकर चलते रहे। कांग्रेस के उद्देश्यों के प्रति सभी एक हैं।

थरूर ने कहा हमारे देश में कोई भी पार्टी हो, उसमें सबकी एक जैसी राय नहीं है। भाजपा में भी हर विषय पर हर व्यक्ति की एक राय नहीं है। मेरा मानना है कि लोकतंत्र में दो लोगों की राय में फर्क हो सकता है। अगर आपकी विचारधारा एक है और आप एक ही मकसद के लिए लड़ रहे हैं तो अंत में कौन लीड करेगा। यह तो पार्टी को तय करना पड़ेगा।

कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार हुआ
उन्होंने राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा पर कहा कि इसका कार्यकर्ताओं में सकारात्मक प्रभाव रहा है, उनमें ऊर्जा का संचार हुआ है। यात्रा में मैंने कन्याकुमारी में देखा कि हजारों की संख्या में लोग सुबह 6 बजे उठकर राहुल गांधी से मिलने और उन्हें सुनने के लिए आ रहे हैं।

सवाल खड़े करना ज्यूडिशियरी को दबाने का संकेत नहीं
ज्यूडिशियरी पर उठ रहे सवालों पर थरूर ने कहा सवाल पूछना ज्यूडिशियरी को दबाने का संकेत नहीं है। संविधान में ज्यूडिशियरी को स्वतंत्र और स्वायत्त स्टेटस दिया है। मुझे लगता है कि सत्ता में बैठे लोगों की ओर से यह सिद्धांत नहीं अपनाया जा रहा है। उनके पास वास्तव में ज्यूडिशयरी पर प्रेशर बनाने की क्षमता है। ऐसे में ज्यूडिशियरी को और मजबूत बनाने की आवश्यकता है।  

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