वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू, धीमी गति से करना होगा काम
90 मीटर खुदाई करनी होगी लग सकते हैं छह से सात दिन
उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में पिछले 15 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए रविवार को वर्टिकल ड्रिलिंग (ऊपर से नीचे की ओर) शुरू कर दी गई।
देहरादून। उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में पिछले 15 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए रविवार को वर्टिकल ड्रिलिंग (ऊपर से नीचे की ओर) शुरू कर दी गई। रविवार शाम तक 15 मीटर की खुदाई हो चुकी थी। शुक्रवार को ऑगर मशीन का कटर टूटने के बाद राहत कार्य रोक दिया गया था। राहत कर्मियों को श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 90 मीटर खुदाई करनी होगी। बताया जा रहा है कि यह कार्य धीमी गति से करना होगा क्योंकि वर्टिकल ड्रिलिंग में खतरा ज्यादा है। एक्सपर्ट का मानना है कि इस कार्य में छह से सात दिन लग सकते हैं अगर कार्य में कोई बाधा नहीं आए तो। खतरे को देखते हुए एक तय दूरी के बाद हाथ से खुदाई करना होगी।
टूटने लगा फंसे श्रमिकों का सब्र
जैसे-जैसे राहत कार्य में देरी हो रही है। अंदर फंसे श्रमिकों का सब्र भी जवाब देने लगा है। वैसे तो परिजनों के साथ-साथ मनोचिकित्सक भी श्रमिकों के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं और उनका मनौबल बढ़ा रहे हैं।
परिजनों से फोन पर बात में श्रमिकों ने कहा है कि उन्हें सिर्फ बाहर निकलने का इंतजार है।
लंबा खिंच सकता है रेस्क्यू: अरनॉल्ड डिक्स
इस बीच ऑस्ट्रेलिया से आए टनल एक्सपर्ट ने कहा है कि ऑगर मशीन खराब हो गई है अब दूसरे विकल्प पर ही काम करना होगा। हम मैन्युअल माइनिंग पर ज्यादा फोकस करेंगे। जल्दबाजी की गई तो अंदर फंसे श्रमिकों की जान का खतरा है। सभी मजदूर सकुशल हैं। उन्हें दवा, खाना-पानी और आवश्यक सामान पहुंचाया जा रहा है। मैन्युअल माइनिंग के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन लम्बा खिंच सकता है।
दूसरी तरफ से भी कार्य जारी
उधर, उत्तराखंड शासन के सचिव डॉ. नीरज खैरवाल ने बताया कि पाइप में फंसे ऑगर मशीन की ब्लैड एवं सॉफ्ट को काटने का कार्य जारी है। इसके लिए लेजर कटर एवं प्लाज्मा कटर को भी मंगाया गया है जो सिलक्यारा पहुंच चुका है। अब केवल 13 मीटर के हिस्से को निकाला जाना बाकी है। पाइप में फंसे ऑगर बिट को निकाले जाने के उपरांत, आगे की माइनिंग का कार्य मैन्युअल रूप से किया जाएगा। जिसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है।

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