हमारे रिश्तों के दुश्मन बनते मोबाइल फोन

एक डिजिटल डिटॉक्स से आपके रिश्ते और सेहत दोनों सुधर सकते हैं

हमारे रिश्तों के दुश्मन बनते मोबाइल फोन

पति-पत्नी के रिश्तों में मोबाइल प्यार नहीं बल्कि कलह पैदा करने लगा है। महिला आयोग के अनुसार पारिवारिक कलह के करीब 75 परसेंट केसेज का कारण मोबाइल रहा है।

फोन लोगों को आपस में जोड़े रखते हैं और संबंध बनाए रखने में मदद करते हैं। लेकिन कुछ मामलों में वे अवरोध भी बन जाते हैं। किसी के सामने उसके फोन की तारीफ  करना और किसी को नीचा दिखाना आजकल की एक बड़ी समस्या बन गया है। सोचिए आज क्यों मोबाइल बन रहे रिश्तों में दरार की वजह? कोई माने या न माने, वास्तविकता में मोबाइल के हद से ज्यादा उपयोग से सामाजिक रिश्तों में हम सब की दिक्कतें बढ़ी हैं। पहले के दौर में जब मोबाइल नहीं था, तो लोगों का आपस में काफी मिलना-जुलना होता था। संवाद का सिलसिला चलता रहता था। लोग एक-दूसरे के दर्द और भावना को समझते थे। साथ ही समस्याओं के निपटारे के लिए प्रयास करते थे। अब मोबाइल के आगमन के बाद बातें तो काफी हो रही हैं, लेकिन दिलों के बीच की दूरियां काफी बढ़ गई हैं। लोगों के बीच उचित संवाद नहीं हो पा रहा है। व्यक्तिगत समस्याओं का जाल बढ़ रहा है और रिश्तों की बुनियाद कमजोर पड़ती जा रही है। आज के समय में एक ही घर में रह रहे लोग एक-दूसरे से बातचीत करने के लिए भी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने लग गए हैं।

यही नहीं रोजाना एक साथ बैठकर होने वाली बातचीत और सोशल मीडिया ग्र्रुप्स पर होने लग गई है। ऐसे में इन आदतों का सीधा असर आपके रिश्तों पर पड़ रहा है। मोबाइल फोन के अनुचित उपयोग के कारण आपसी रिश्तों को नुकसान पहुंचाने वाली जो नई आदतें बन रही हैं, उनमें फबिंग भी शामिल है। स्मार्ट फोन पर चिपके रहने के कारण जब आप अपने करीबी रिश्ते को इग्नोर करते हैं, तो उसे फबिंग कहा जाता है। फबिंग एक ऐसा शब्द है जो स्मार्टफोन की लत से जुड़ा है। यह शब्द फोन और स्रबिंग से मिलकर बना है। स्रबिंग का मतलब होता है अनादर करना या फिर अनदेखी करना। स्मार्टफोन के इस्तेमाल से दूसरों की भावनाओं को समझना और भी मुश्किल हो जाता है। जब किसी का पूरा ध्यान स्मार्टफोन पर हो तो उसके चेहरे को पढ़ना मुश्किल है। इसका मतलब है कि इस प्रकार की स्थितियां आमने-सामने की बातचीत से कमजोर होती हैं। सार्थक बातचीत के बिना रिश्ते उतने विकसित नहीं होते। आज के दौर में मोबाइल से बढ़ता लगाव पारिवारिक रिश्तों में दरार पैदा कर रहा है।

पति-पत्नी के रिश्तों में मोबाइल प्यार नहीं बल्कि कलह पैदा करने लगा है। महिला आयोग के अनुसार पारिवारिक कलह के करीब 75 परसेंट केसेज का कारण मोबाइल रहा है। मोबाइल के कारण पति-पत्नी के बीच गलतफहमी, मनमुटाव, लड़ाई-झगड़ा हुआ और मामला तलाक तक जा पहुंचता है। टेक्नोलॉजी हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। लेकिन इसका लगातार इस्तेमाल ना सिर्फ  आपकी मेंटल हेल्थ को बिगाड़ रहा है, बल्कि आपके पार्टनर और रिश्तेदारों को भी आप से दूर कर रहा है। आज के युग डिजिटल युग में टेक्नोलॉजी हमारी रोजमर्रा की लाइफ  का एक अहम हिस्सा बन चुका है। यहां तक कि हम हमारे स्मार्टफोन से लेकर सोशल मीडिया और वीडियो कॉल तक अपने करीबियों से जुड़े रहने पर काफी भरोसा करने लगे हैं। एडवांस टेक्नोलॉजी ने हमारे करीबियों के साथ जुड़ना पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है। मोबाइल फोन के आने से जहां जिंदगी आसान हुई है वहीं कुछ मामलों में इसने नुकसान पहुंचाने का भी काम किया है।

दरअसल पहले जहां यह एक जरूरत थी वहीं अब ये जरूरत के साथ लत बन चुकी है। ऐसी लत जिसके बिना लोगों का एक पल गुजारना भी मुश्किल हो गया है। ये लत अब रिलेशनशिप में भी दरार की वजह बन रही है। अक्सर देखा जाता है कि ज्यादातर लोग अपनी डिवाइस में इस कदर उलझे रहते हैं कि वो दूसरों के साथ बेहतरीन पलों को एंजॉय तक नहीं कर पाते। ऐसे में स्थिति कभी न कभी इतनी बिगड़ जाती है कि रिश्ते में एक दूसरे के बीच गलतफहमियां पनपने लगती हैं। वहीं लगातार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल आपकी मेंटल हेल्थ को भी नुकसान पहुंचा सकता है। आज के समय में जब सोशल मीडिया और फोन ही सब कुछ है लोग एक मिनट भी उससे दूर नहीं रह सकते हैं। लोग किसी से मिलते समय भी फोन पर देखते रहते हैं या सोशल मीडिया पर स्क्रोल करते रहते हैं। उन्हें सामने वाले से ज्यादा जरूरी फोन पर बात करना लगता है। इस व्यवहार को अपमानजनक के रूप में देखा जा सकता है। इससे आप अपने पार्टनर से दूर हो सकते हैं और रिश्ता टूटने की कगार पर आ सकता है। इस बात को सुनश्चित करने के लिए कि आपका रिश्ता पहले की तरह बरकरार रहे, आपको अपने इलेक्ट्रानिक डिवाइसेस से जब भी जरूरत हो तब छोटे-छोटे ब्रेक यानी डिजिटल डिटॉक्स जरूर करने चाहिए। एक्सपर्ट्स के मुताबिक एक डिजिटल डिटॉक्स से आपके रिश्ते और सेहत दोनों सुधर सकते हैं।

-प्रियंका सौरभ
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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