समिति के मेले में नगर निगम के नाम का धडल्ले से हो रहा दुरूपयोग
वाहन पार्किंग में राष्ट्रीय मेला दशहरा के नाम से काटी जा रही पर्ची
अभी तक दशहरा मेला शुरू भी नहीं हुआ है, अभी से मेले की नाम से पर्ची काटी जा रही है।
कोटा। नगर निगम कोटा दक्षिण क्षेत्र में जीएडी सर्किल पर श्रीनाथपुरम् स्टेडियम के सामने पिछले चार दिन से चल रहे गणेश मेले में नगर निगम के नाम का दुरूपयोग किया जा रहा है। समिति के मेले को नगर निगम का मेला बताकर संकेतक फ्लेक्स लगाए हुए हैं। साथ ही वाहन स्टैंड पर पर्ची भी राष्ट्रीय दशहरा मेले के नाम से ही काटी जा रही है। जिससे लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इतना सब कुछ होने के बाद भी निगम अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। श्रीनाथपुरम् में आयोजित गणेश मेले में रोजाना आने वाले लोगों के वाहनों को व्यवस्थित खड़ा करने के लिए वहां एक संवेदक द्वारा वाहन पार्किंग का संचालन किया जा रहा है। उसके द्वारा पूरे मार्ग में और दीवारों पर जगह-जगह फ्लेक्स लगा रखे हैं। उन फ्लेक्स पर नगर निगम मेला लिखा हुआ है। उसके नीचे टू व्हीलर पार्किंग और अपने वाहन पार्किंग में लगाएं, अन्यथा उठाए जाने पर अतिक्ति चार्ज लगेगा लिखा हुआ है। शुरुआत में तो लोगों को लगा कि यह मेला निगम की ओर से व वाहन पार्किंग भी निगम कीओर से ही संचालित हो रही है। दो पहिया वाहन के दस रुपए किराया वसूल किया जा रहा है। लेकिन जब कई लोगों ने देखा कि वाहन पार्किंग की पर्ची राष्ट्रीय दशहरा मेले के नाम से दी जा रही है तो लोगों को शक हुआ। अभी तक दशहरा मेला शुरू भी नहीं हुआ है। अभी से मेले की नाम से पर्ची काटी जा रही है। इसके बाद लोगों ने जानकारी की तो हकीकत सामने आई। मेले में जाने वाले लोगों का कहना है कि मेला स्थानीय मेला समिति के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है। जिसमें एक व्यक्ति विशेष ने अपने स्तर पर ही वाहन पार्किंग शुरु कर दी है। उसके द्वारा पर्ची नगर निगम के राष्ट्रीय दशहरा मेले के नाम से काटी जा रही है। लोगों का कहना है कि उस पर्ची पर न तो वर्ष लिखा हुआ है और न ही तारीख डाली गई है। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो स्टैंड पर तैनात लोगों द्वारा उनसे अभद्रता की गई। यहां तक कहा कि कहीं भी शिकायत कर लो हमारा कुछ नहीं हो सकता।
आए दिन विवाद व मारपीट
मेले में जहां रोजाना सैकड़ों लोगों के आने का दावा किया जा रहा है। वहां उनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। मेले में कभी दुकानें लगाने को लेकर चकूबाजी हो रही है तो कभी आयोजकों व पुलिस कर्मियों के साथ ही मारपीट व धक्का मुक्की की जा रही है।
नई डायरी नहीं छपी थी
इधर गणेश मेला समिति के अध्यक्ष व पूर्व पार्षद देवेन्द्र चौधरी मामा का कहना है कि मेला नगर निगम का नहीं है। यह स्थानीय लोगों की मेला समिति द्वारा किया जा रहा है। चौधरी ने बताया कि जिसके द्वारा पार्किंग का संचालन किया जा रहा है उसने पूर्व में दशहरा मेले में ठेका लिया था। नई डायरी नहीं छपने से पुरानी पर्ची हीे देना शुरू कर दिया था। यह मामला जानकारी में आने पर पुरानी पर्चियां हटवाकर नई डायरी की गणेश मेले के नाम से पर्ची काटी जा रही है।
केडीए का एरिया
इधर इस बारे में नगर निगम कोटा दक्षिण के अतिरिक्त आयुक्त जवाहर लाल जैन से जानकारी चाही तो उनका कहना था कि मेला नगर निगम का नहीं है। जिस जगह मेला लग रहा है वह श्रीनाथपुरम् क्षेत्र कोटा विकास प्राधिकरण के क्षेत्राधिकार में आता है।
इनका कहना
वहीं नगर निगम की दशहरा मेला व अन्य उत्सव आयोजन समिति के नव निर्वाचित अध्यक्ष विवेक राजवंशी ने इस सबंध में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि इस संबंध में कुछ भी कहने के लिए निगम अधिकारी ही अधिकृत है।
जानकारी नहीं
नगर निगम के नाम से इस तरह से कोई मेला आयोजित होने की जानकारी नहीं है। साथ ही निगम मेले के नाम पर पार्किंग चलाना गलत है। इसे दिखवाएंगे।
- राजीव अग्रवाल, महापौर नगर निगम कोटा दक्षिण
यह है कानूनी प्रावधान
यदि शहर में अनाधिकृत तौर पर कोई ऐसा कार्य हो रहा है तो यह स्वाभाविक है कि इसमें निगम की मौन सहमति है। नगर निगम, पुलिस व जिला प्रशासन सभी का दायित्व है कि जनता के साथ कोई भी व्यक्ति किसी तरह का छलावा नहीं करें। किसी भी निकाय के बैनर तले कोई कार्य किया जाता है तो निकाय के जिम्मेदार अधिकारियों का दायित्व बनता हैं कि वे ऐसे अनाधिकृत कार्य करने वाले व्यक्ति के खिलाफ नियमानुसार संबंधित पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाएं। अनाधिकृत तौर पर सार्वजनिक मार्ग पर साइकिल स्टैंड का संचालन अपने आप में ही राष्ट्रीय संपत्ति का दुरुपयोग करने के समान है। ऐसी स्थिति में नगर निगम ,पुलिस व जिला प्रशासन भारतीय न्याय संहिता के साथ साथ सार्वजनिक संपत्ति के दुरुपयोग के सम्बन्ध में कानूनी कार्रवाई करने के लिए सक्षम है। आमजन के साथ यह एक तरह से छलावा है और भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 के तहत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है। इसके तहत तीन वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान है।
- विवेक नंदवाना, एडवोकेट
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