राजस्थान कबीर यात्रा : 2 अक्टूबर से शुरू होगा सूफी संतों की वाणी का महोत्सव

आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में होगा

राजस्थान कबीर यात्रा : 2 अक्टूबर से शुरू होगा सूफी संतों की वाणी का महोत्सव

कबीर यात्रा में लोक कलाकारों द्वारा इन वाणियों का जीवंत प्रस्तुतीकरण एक अनूठा अनुभव होगा। 

जयपुर। प्रदेश में 2 से 6 अक्टूबर के बीच धरती भक्ति और सूफी संतों की वाणी से गूंजेगी। राजस्थान कबीर यात्रा का आयोजन बीकानेर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में होगा। इस बार की यात्रा में संगीतकार रिकी केज भी होंगे। रिकी केज पर्यावरणीय संदेशों और सांस्कृतिक धरोहरों को संगीत के माध्यम से प्रस्तुत करते है। वह इस बार राजस्थान कबीर यात्रा का हिस्सा होंगे। यात्रा को लेकर रिकी ने बताया कि वह इस उत्सव में अपनी उपस्थिति को लेकर बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत की पारंपरिक संगीत परंपराओं को बढ़ावा देना और संरक्षित करना एक अद्भुत विचार है। गांवों में वहां के पारंपरिक संगीत का हिस्सा बनना एक बेहतर अनुभव होगा। उन्होंने कहा कि कबीर, मीरा और अन्य संत कवियों की सच्ची वाणी में वह गहराई है, जिस पर अब तक कम काम हुआ है। राजस्थान कबीर यात्रा में लोक कलाकारों द्वारा इन वाणियों का जीवंत प्रस्तुतीकरण एक अनूठा अनुभव होगा। 

राजस्थान कबीर यात्रा 2012 में लोकायन संस्थान, बीकानेर द्वारा शुरू की गई थी। राजस्थान पुलिस और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से अब यह भारत के प्रमुख लोक संगीत महोत्सवों में से एक है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य संत कबीर, मीरा, बुल्ले, जैसे महान संत कवियों की शिक्षाओं और उनके संदेशों को जन-जन तक पहुँचाना है। 

राजस्थान कबीर यात्रा के निदेशक गोपाल सिंह चौहान ने कहा कि राजस्थान के लोक संगीत और आध्यात्म की एक बेजोड़ परंपरा है, जिसमें लोक सिर्फ मनोरंजन नहीं तलाशता, बल्कि उस संगीत में एक गहरे दर्शन का भी इशारा है। सत्संग यानी 'सत्य के साधकों' की संगत। जहाँ सभी एक साथ कबीर और मीरा को गाते हैं। चौक- चौबारों पर गाए जाने वाली ये वाणियां अपने आप में सामूहिकता को समेटे हुए है। यह पूरा विचार ही लोक की समृद्ध परम्परा का जश्न है। ऐसे स्थान सभी प्रकार की लोक गायन धाराओं के सुंदर संगम है। यह भेदभाव से हटकर सभी समुदायों को एक साथ जोड़ते हैं और जाति- धर्म की सीमाओं को भी तोड़ते है। इन वाणियों के माध्यम से हम लोक की समृद्ध अभिव्यक्ति को समझने की कोशिश करते है। यात्रा में गीतों के बाद उनकी व्याख्या पर लंबी चर्चा होगी।

बीकानेर जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि ने यात्रा से अपने जुड़ाव के बारे में कहा कि इस यात्रा के माध्यम से विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग एक साथ आते हैं और संतों की वाणी में समाहित इस संदेश को आत्मसात करते हैं। यात्रा का उद्देश्य न केवल संगीत का आनंद लेना है, बल्कि इस विचार को प्रसारित करना है कि सभी धर्मों और पंथों का सार एक ही है प्रेम, शांति, और मानवता। राजस्थान कबीर यात्रा एक संगीतमय उत्सव होने के साथ-साथ एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव भी है। यात्रा के दौरान आयोजित होने वाले सत्संग, जागरण, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रतिभागी न केवल संगीत का आनंद लेते हैं, बल्कि संत कवियों के गहरे आध्यात्मिक संदेशों को भी समझते हैं। राजस्थान कबीर यात्रा का उद्देश्य कि सभी बाधाओं को पार कर प्रेम, शांति, और एकता की स्थापना करना है। यह यात्रा हमें संतों की वाणी में छिपे गहरे अर्थों को समझने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का अवसर देती है। 

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इस साल बीकानेर जिला प्रसाशन के सहयोग से मलंग फोक फाउंडेशन द्वारा कबीर यात्रा का आयोजन 2 अक्टूबर से 6 अक्टूबर तक बीकानेर और आस पास के ग्रामीण अँचलों पूगल, कोलायत, कक्कू और देशनोक में होगा। यह यात्रा राजस्थान के बीकानेर के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित की जाएगी। ये शहर न केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि यहां की सांस्कृतिक समृद्धि भी अद्वितीय है। यात्रा के दौरान स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकार अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से संत कवियों की वाणी को जीवंत करेंगे।

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यात्रा के निदेशक गोपाल सिंह चौहान ने बताया कि लोकसंगीत के कलाकारों में पद्मश्री प्रह्लाद सिंह टिपानिया, महेशा राम, मूरालाला मारवाड़ा, लक्ष्मण दास, अरुण गोयल, भल्लू राम, सुमित्रा देवी, मीरा बाई, मांगी बाई, मीर बासु, अरुण गोयल, अनवर खान, भारती बंधु, चार यार, कबीर कैफे, फेरो फ्लूइड, हमीरा किड्स, श्रुति विश्वनाथ के अलावा अन्य कलाकारों के साथ स्थानीय कलाकार भी शामिल होंगे। यात्रा का विशेष "कर्टेन रेजर" कार्यक्रम 1 अक्टूबर को हाल ही में नोखा के सीलवा गांव में बने पदम स्मारक में होगा।

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