लोथल बनेगा विश्व का सबसे बड़ा समुद्री धरोहर केंद्र : 4200 करोड़ की परियोजना, 2025 में पहला चरण पूरा
एनएमएचसी को दो चरणों में पूरा किया जाएगा
भारत की प्राचीन गौरवशाली धरोहर लोथल एक बार फिर विश्व पटल पर अपनी पहचान दर्ज कराने जा रही है
अहमदाबाद। भारत की प्राचीन गौरवशाली धरोहर लोथल एक बार फिर विश्व पटल पर अपनी पहचान दर्ज कराने जा रही है। मार्च 2019 में रखी गई आधारशिला के साथ, यहां राष्ट्रीय समुद्रीवर्ती विरासत परिसर का निर्माण तेजी से प्रगति पर है। यह परिसर दुनिया के सबसे बड़े समुद्री केंद्रों में से एक होगा, जो शिक्षा, पर्यटन और सांस्कृतिक संरक्षण का अद्वितीय संगम बनेगा। इसमें करीब 4200 करोड़ की लागत आएगी।
परियोजना का स्वरूप और महत्व
एनएमएचसी को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। इसमें 14 दीर्घाओं वाला संग्रहालय, ओपन एक्वेटिक गैलरी, लाइटहाउस संग्रहालय, बगीचा संकुल और तटीय राज्य पवेलियन शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त इको-रिसॉर्ट, म्यूजियोटेल, छात्रावास और समुद्री अनुसंधान संस्थान भी आगंतुकों को आधुनिक अनुभव प्रदान करेंगे। परिसर में संवादात्मक मॉडल्स, प्राचीन लोथल नगर की प्रतिकृति और समुद्री जीवन से जुड़ी कलाकृतियों का प्रदर्शन किया जाएगा। यहां आने वाले पर्यटक न केवल इतिहास से रूबरू होंगे, बल्कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से उस दौर के व्यापार और नौवहन की गहराइयों को भी जान सकेंगे।
चरणबद्ध विकास
चरण 1ए: वर्तमान में कार्य प्रगति पर है और लगभग 60 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। इसमें छह गैलरियों का निर्माण होगा, जिनमें भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल की विशेष गैलरी भी शामिल होगी। इस चरण में आईएनएस निशंक, सी हैरियर विमान और यूएच3 हेलीकॉप्टर जैसी नौसैनिक धरोहरें प्रदर्शित होंगी। अनुमानित लागत 1,238.05 करोड़ रुपए है और इसका समापन 2025 तक तय है।
चरण 1बी: इसमें आठ नई गैलरियों के साथ दुनिया का सबसे ऊंचा लाइटहाउस संग्रहालय बनेगा। साथ ही बगीचा संकुल, पार्किंग, फूड हॉल और चिकित्सा केंद्र भी विकसित किए जाएंगे। अनुमानित लागत 266.11 करोड़ रुपए रखी गई है।
चरण 2: इसमें तटीय राज्यों के पवेलियन, समुद्री थीम वाले इको-रिसॉर्ट्स और चार थीम पार्क विकसित होंगे। इन पार्कों में समुद्री-नौसैनिक, जलवायु परिवर्तन, स्मारक और एडवेंचर-मनोरंजन पार्क शामिल होंगे।

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