रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बेतिया में नवनिर्मित रेलवे ओवरब्रिज किया राष्ट्र को समर्पित, रेलवे के विकास के लिए 95 हजार 566 करोड़ व्यय
स्टेशन के 3-डी मॉडल का भी किया अवलोकन
पिछले वर्ष भारतीय रेलवे की ओर से पारदर्शी तरीके से 1.51 लाख से ज्यादा भर्तियां की गई हैं।
प्रयागराज। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को बेतिया में समपार संख्या-2 पर नवनिर्मित सड़क ऊपरी पुल (आरओबी) को महिलाओं के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित कराया। इस दौरान उपस्थित सांसद एवं जनसमूह ने बेतिया के रास्ते गोरखपुर और पटना के बीच वंदे भारत ट्रेन चलाने की मांग की। उन्होंने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया और कहा कि जल्द ही पूरे भारत में कई वंदे भारत ट्रेनें चलाई जाएंगी। रेल मंत्री ने अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पुनर्विकसित किए जा रहे बेतिया स्टेशन के 3-डी मॉडल का भी अवलोकन किया। इस अवसर पर बेतिया में आयोजित समारोह में कोयला एवं खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे, सांसद डॉ. संजय जायसवाल, सांसद सुनील कुमार, सांसद गोपाल ठाकुर एवं विधायक सहित कई अन्य अतिथि, पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक छत्रसाल सिंह एवं समस्तीपुर मंडल के डीआरएम विनय श्रीवास्तव भी उपस्थित थे।
समारोह के बाद बेतिया स्टेशन पर आयोजित प्रेस वार्ता में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए वैष्णव ने कहा कि वर्ष 2009 से 2014 के बीच बिहार में रेलवे के विकास के लिए प्रतिवर्ष औसतन 1132 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया जाता था, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल के बजट में बिहार को रेलवे के लिए रिकॉर्ड 10 हजार 66 करोड़ रुपए का बजट दिया है। बिहार में नई रेल लाइनों के निर्माण, विद्युतीकरण, नई ट्रेनों के संचालन, स्टेशनों के विकास, यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी के कार्य रिकॉर्ड स्तर पर किए जा रहे हैं ।
98 स्टेशनों का हो रहा पुनर्विकास: उन्होंने कहा कि अमृत भारत स्टेशन के तहत चम्पारण के आसपास के प्रमुख स्टेशनों जैसे-बेतिया, बापूधाम मोतिहारी, नरकटियागंज, रक्सौल आदि सहित बिहार में कुल 98 स्टेशनों का पुर्नविकास किया जा रहा है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में रेलवे अवसंरचना के विकास के लिए नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा रेलखंड के दोहरीकरण कार्य की कैबिनेट की मंजूरी दी गई है। वर्तमान में वाल्मीकिनगर-सगौली एवं सगौली-मुजफ्फरपुर रेलखंड का दोहरीकरण कार्य चल रहा है। इससे पहले रविवार सुबह रेल मंत्री ने गोरखपुर से स्पेशल ट्रेन द्वारा गोरखपुर-वाल्मीकिनगर-बगहा-बेतिया रेलखंड का विंडो ट्रेलिंग निरीक्षण किया गया। इस दौरान वैष्णव का वाल्मीकिनगर, बगहा एवं नरकटियागंज रेलवे स्टेशनों पर उपस्थित जनसमूह ने फूलमाला से स्वागत किया।
ट्रैफिक जाम से राहत के लिए 103 करोड़ रुपए: बेतिया शहर में ट्रैफिक जाम से राहत के लिए 103 करोड़ रुपए की लागत से बेतिया और कुमारबाग स्टेशन के मध्य बेतिया (छावनी) के निकट समपार संख्या-2 पर सड़क ऊपरी पुल (आरओबी) के निर्माण की मंजूरी दी गई थी। इस परियोजना के तहत आरओबी के साथ ही रेलवे लाईन के एक तरफ बेतिया-लौरिया लेन तथा दूसरी तरफ मैनाटांड एवं नरकटियागंज लेन का निर्माण किया जाना था। पिछले वर्ष मार्च, 2024 में प्रधानमंत्री ने बेतिया-लौरिया लेन का उद्घाटन किया गया था। इस आरओबी के मैनाटांड लेन तथा नरकटियागंज लेन भी वर्ष मई, 2024 में चालू कर दिए गए थे। इस परियोजना का शेष बचा भाग सड़क उपरि पुल का निर्माण कार्य माह जनवरी, 2025 में पूरा कर लिया गया था, जिसको रेल मंत्री ने राष्ट्र को समर्पित किया।
3-डी मॉडल का किया अवलोकन: बेतिया में आरओबी का राष्ट्र को समर्पण के बाद रेल मंत्री स्पेशल ट्रेन से मुजफ्फरपुर पहुंचे, जहां उन्होंने अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पुनर्विकसित किए जा रहे मुजफ्फरपुर जं. के 3-डी मॉडल का भी अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर वासियों के लिए हर्ष की बात है कि 442 करोड़ की लागत से मुजफ्फरपुर जंक्शन का वर्ल्ड क्लास स्टेशन के रूप में विकास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लंबी दूरी के लिए 100 अमृत भारत ट्रेनें तथा कम दूरी के लिए 50 नमो भारत ट्रेनें बनाने की योजना है। उन्होंने कहा कि रेलवे में 95 हजार युवाओं की भर्ती के लिए प्रक्रिया चल रही है। पिछले वर्ष भारतीय रेलवे की ओर से पारदर्शी तरीके से 1.51 लाख से ज्यादा भर्तियां की गई हैं।
रेलवे के विकास के लिए 95 हजार 566 करोड़ व्यय
उन्होंने कहा कि बिहार में रेलवे के समग्र विकास के लिए 95 हजार 566 करोड़ रुपए का इंवेस्टमेंट किया जा रहा है। बिहार में 2009 से 2014 के मध्य जहां औसतन प्रतिवर्ष 64 कि.मी. नई लाइन का निर्माण होता था, वहीं 2014 से 2025 के मध्य प्रतिवर्ष औसतन 167 कि.मी. नई लाइन का निर्माण हुआ है, जो लगभग 2.6 गुणा ज्यादा है। बिहार में 2014 से अब तक 1832 कि.मी. नई रेल लाइन का निर्माण किया जा चुका है, जो मलेशिया के कुल रेल नेटवर्क के बराबर है। इसके साथ ही बिहार में 2014 से 3020 कि.मी. रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण किया गया है। इसी का परिणाम है कि आज बिहार में शत-प्रतिशत विद्युतीकरण हो चुका है ।
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