संघर्ष विराम के नाम पर सेना के हाथ बांधे गए, देश को जवाब चाहिए : सिसोदिया

पिछले 78 सालों में भारत कभी अमेरिका के सामने नहीं झुका

संघर्ष विराम के नाम पर सेना के हाथ बांधे गए, देश को जवाब चाहिए : सिसोदिया

सिसोदिया ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पूरे देश के लोगों में भयंकर गुस्सा था

चंडीगढ़। पंजाब आम आदमी पार्टी (आप) के प्रभारी मनीष सिसोदिया ने पहलगाम हमले और अचानक संघर्ष विराम को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कई गंभीर सवाल खड़े किए और उनसे संघर्ष विराम से उपजे सवालों और संशयों पर स्पष्टीकरण देने की मांग की। सिसोदिया ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पूरे देश के लोगों में भयंकर गुस्सा था। उसके बाद भारत की सेना ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक चलाकर पाकिस्तान में आतंकवादियों के अड्डे तबाह किये। फिर देश के लोगों के मन में न्याय की एक उम्मीद जगी और थोड़ा सुकून महसूस हुआ। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना लगातार पाकिस्तान पर कार्रवाई कर रही थी और लड़ाई में पाकिस्तान के मुकाबले काफी मजबूत स्थिति में थी, लेकिन सरकार की तरफ से अचानक संघर्ष विराम की घोषणा कर दी गई। इस घोषणा से पूरे देश को हैरानी हुई और उनके मन में कई सवाल और संशय पैदा हुए, जिसका जवाब न तो सरकार ने न ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल के अपने भाषण में दिया, जबकि लोगों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री संघर्ष विराम को लेकर उपजे सभी सवालों का जवाब देंगे और संशय स्पष्ट करेंगे।

उन्होंने कहा कि “ यहां महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि जब पूरा देश और विपक्ष सरकार के साथ खड़ी थी, भारतीय सेना मजबूत स्थिति में थी और आप खुद मान रहे हैं कि पाकिस्तान एक आतंकवादी देश है, तो आपने अचानक संघर्ष विराम क्यों कर दिया। पाकिस्तान हमारे हवाई हमले को रोक नहीं पा रहा था और तनाव खत्म करने के लिए गिड़गिड़ा रहा था तो आपने पहलगाम हमले के आतंकवादियों को भारत को सौंपने के लिए क्यों नहीं कहा। अगर प्रधानमंत्री संघर्ष विराम के लिए मान भी गए, तो उन्होंने 1972 समझौते की तरह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को बुलाकर लिखित समझौता क्यों नहीं किया। जिस समय भारत के अधिकारियों ने संघर्ष विराम की घोषणा की उससे आधा घंटा पहले अमेरिका के राष्ट्रपति ने सीजफायर का ऐलान कैसे कर दिया। ”

सिसोदिया ने कहा कि “पिछले 78 सालों में भारत कभी अमेरिका के सामने नहीं झुका। हमेशा अपने फैसले खुद लिए। मोदी जी की ऐसी क्या मजबूरी है कि देश के स्वाभिमान को दांव पर लगा दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इन सवालों का जवाब देश की जनता को देना चाहिए। ”

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