सावन का क्या है धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो हमारा पाचन तंत्र सूर्य पर निर्धारित है

सावन का क्या है धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

सावन के महीने में सूरज बहुत कम निकलता है। जिसके कारण हमारा पाचन तंत्र कमजोर होने लगता है। यही कारण है कि जल जनित रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

सावन का महीना बहुत ही शुभ माना गया है। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने का विधान हैं। इस महीने में पूरी श्रद्धाभाव से की गई पूजा से शिव जी जरूर प्रसन्न होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन का यह पवित्र माह वैज्ञानिक तौर पर भी बहुत अधिक महत्व रखता है।   

विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो हमारा पाचन तंत्र सूर्य पर निर्धारित है। ऐसे में सावन के महीने में सूरज बहुत कम निकलता है। जिसके कारण हमारा पाचन तंत्र कमजोर होने लगता है। यही कारण है कि जल जनित रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में हमें अपने पाचन तंत्र को आराम देने की जरूरत होती है। इसी वजह से  सावन के महीने में बैंगन, पत्तेदार साग-सब्जियां, मांसाहारी भोजन और शराब की मनाही होती है ताकि हमारा पाचन तंत्र अच्छा बना रहे।

धार्मिक महत्व
सावन के महीने में ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। ऐसे में सृष्टि का संचालन भगवान शिव द्वारा किया जाता है। साथ ही यह वह महीना भी है जब समुद्र मंथन हुआ था और विषपान करने के कारण शिव जी को नीलकंठ नाम मिला था। सावन के माहीने में ही माता पार्वती ने अपनी कठोर तपस्या से महादेव को प्रसन्न किया था तथा शिव और शक्ति का मिलन आरंभ हुआ था। 
वैज्ञानिक कारण- वर्षा ऋतु का आगाज आषाढ़ माह से होने से श्रावण मास में उपजने वाला पत्ते और सब्जियां प्रथम वर्षा के जल से दूषित हो जाते हैं। हमारे ऋषियों ने इसको पहले ही जान लिया था। इसलिए पत्ते वाली सभी सब्जियां खाना वर्जित किया। इसलिए पूरे माह व्रत रखने का संदेश दिया गया, जो आज भी एक बड़ा वर्ग मानता है। 

शिवलिंग पर दूध
चूंकि प्रथम वर्षा ऋतु में उपजी सब्जियां, पत्ते वाली सब्जियों का सेवन गाय-भैंस के करने से निकलने वाला दूध भी दूषित होता है। अत  ऋषियों ने विष पीने वाले शिव पर सिर्फ श्रावण मास में दूध चढ़ाने का आदेश दिया। 

पंचामृत क्या है
दूध, दही, घी,शहद और शकर क्रमश: जल, वायु,अग्नि,आकाश और धरती तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनसे मानव शरीर बना है। वह तत्व रूपी पंचामृत देकर ईश्वर के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हैं।  

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